जम्मू कश्मीर विलय दिवस 26 अक्टूबर को मुंबई के मलाड स्थित डीजी खेतान इंटरनेशनल स्कूल में आयोजित कार्यक्रम में जम्मू कश्मीर विधिन परिषद् के सदस्य श्री सुरेंद्र अंबरदार विशेष अतिथि थे। श्री अंबरदार ने स्कूल के छात्रों से संवाद करते हुए जम्मू कश्मीर के भारत में विलय को लेकर प्रचलित भ्रम और टीवी चैनलों पर जम्मू कश्मीर पर आए दिन होने वाली बहसों को लेकर कई तथ्य प्रस्तुत किए।
श्री अंबरदार ने बताया कि जम्मू कश्मीर को लेकर शेष भारत के समाज में सबसे बड़ी कमी संवाद की है। शेष भारत के लोग जम्मू कश्मीर के 22 जिलों के बारे में कुछ नहीं जानते लेकिन कश्मीर क्षेत्र के 5 जिले जहाँ कुछ पाकिस्तानी परस्त लोग अपना मीडियाके सहारे अपने कुत्सित एजेंडे को प्रचारित करते हैं उसके बारे में सब जानते हैं। उन्होंने बताया कि जम्मू कश्मीर और लद्दाख में कुल 22 जिले हैं। 10 जिले कश्मीर घाटी में, 10 जिले जम्मू क्षेत्र में और 2 जिले लद्दाख के लेह और करगिल, लेकिन मीडिया में इन मात्र 5 जिलों की गतिविधियाँ दिखाई जाती है, जिससे पूरे देश में भ्रम फैलता है। जम्मू कश्मीर के बाकी 17 जिलों के लोग पूरी ताकत और निष्ठा के साथ भारत की जनता से जुड़े हैं और हर भारतीय को अपना भाई मानते हैं।
उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर इस देश की वैदिक संस्कृति का सबसे बड़ा आधार रहा है। शैव संस्कृति का प्रारंभ जम्मू कश्मीर से हुआ है। कश्मीर मात्र भौगोलिक रूप से ही नहीं बल्कि आस्था, संस्कृति और धार्मिक दृष्टि से भी हमारा स्वर्ग है। पिछले 600 वर्षों से विदेशी हमलावरों ने लगातार इस संस्कृति को नष्ट करने की कोशिश की लेकिन वे सफल नहीं हो सके।
उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के भारत में विलय को लेकर एक नकारात्मक प्रचार चल रहा है, और देश के हर नागरिक को इस षड़यंत्र को समझना होगा।
हमारे देश के लोगों के बीच जम्मू कश्मीर को लेकर चर्चा का मुद्दा ये होना चाहिए कि पाकिस्तान ने हमारी जो हजारों एकड़ जमीन कब्जे में कर रखी है उसे वापस कैसे लाएँ। जिस दिन देश के लोगों में ये चेतना आ जाएगी कि हमें पाकिस्तान के कब्जे से अपनी जमीन छुड़ानी है उस दिन हम पाकिस्तान द्वारा चलाए जा रहे छद्म युध्द को आसानी से मात दे देंगे।
हमें पाकिस्तान के कब्जे से जम्मू कश्मीर के कब्जाए क्षेत्रों के साथ ही गिलगिट बाल्टिस्तान का क्षेत्र भी वापस लेना है। पाकिस्तान ने गिलगिट बाल्टिस्तान का एक बडा हिस्सा चीन को सौंप दिया है।
श्री सुरेंद्र अंबरदार के वक्तव्य के बाद छात्र-छात्राओं ने उनसे पीडीपी और भाजपा के गठबंधन, जम्मू कश्मीर के विस्थापित हिन्दुओं की वर्तमान दशा और उनके भविष्य, पाकिस्तान द्वारा लगातार की जा रही गोलीबारी, गिलगिट बाल्टिस्तान, भारत पाक युध्द, बांग्लादेश के निर्माण से लेकर कई तीखे राजनीतिक सवाल पूछे। श्री अंबरदार ने अपने तर्को, सहजता और विनम्रता से सब छात्र-छात्राओं को लाजवाब कर दिया।
उन्होंने छात्रों को बताया कि पाकिस्तान में कोई भी फैसला सरकार नहीं लेती इसलिए पाकिस्तान से कूटनीतिक स्तर पर कितनी भी बात की जाए उसका कोई नतीजा नहीं निकलता। सरकार जो चाहती है वह फौज नहीं चाहती और पाकिस्तानी फौज ने वहाँ कई आतंकवादी संगठनों को पाल पोस रखा है जो सरकार के खिलाफ अपना अलग एजेंडा तय करते हैं।
श्री अंबरदार ने सभी छात्र-छात्राओं से आग्रह किया कि वे जम्मू कश्मीर और लद्दाख के टूर पर आएँ और वहाँ के लोगों और बच्चों से मिलें तो उनको जम्मू कश्मीर की एक अलग छवि दिखाई देगी जो देश का मीडिया नहीं दिखाता है।
कार्यक्रम के प्रारंभ में श्री सुरेश भगेरिया ने कहा कि जैसे हमारा पूरा शरीर हमारा होता है और शरीर के किसी भी कोने में मामूली दर्द भी हमें परेशान कर देता है, वैसा ही हमारा पूरा देश है और इसका हर राज्य हमारे देश का हिस्सा है। अगर जम्मू कश्मीर संकट में है तो हमें महसूस होना चाहिए कि हम भी संकट में हैं।
कार्यक्रम में जम्मू कश्मीर स्टडी सेंटर मुंबई की श्रीमती शक्ति मुंशी, और दिल्ली से आए श्री रंजन चौहान खेतान स्कूल की प्राचार्या श्रीमती अरुंधति निकम सहित बड़ी संख्या में शिक्षक-शिक्षिकाएँ उपस्थित थे।