भारत सरकार डिजिटल इंडिया कार्यक्रम को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है। डिजिटल इंडिया के अभिन्न घटक, ई-क्रांति के कार्यान्वयन का उद्देश्य शासन में सुधार के लिए ई-गवर्नेंस में सुधार लाना है और देश में ई-गवर्नेंस के परिणाम, शासन में आसानी और सुशासन के लिए यह महत्वपूर्ण है।
प्रधानमंत्री ने कई बार इस बात पर जोर दिया है कि ई-गवर्नेंस एक आसान शासन, प्रभावकारी शासन और किफायती शासन प्रणाली है। सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हाल में की गई तीव्र प्रगति एक सुशासन के युग में प्रवेश के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण माध्यम है। मायगॉव प्लेटफॉर्म, जीवन प्रमाण, वाई-फाई हॉटस्पॉटों, ग्रामीण क्षेत्रों में बीपीओ, डाकघरों के माध्यम से ई-कॉमर्स जैसी ई-गवर्नेंस परियोजनाओं का कार्यान्वयन एक मौन इलेक्ट्रॉनिक क्रांति की शुरूआत है, जिसका लक्ष्य नागरिकों को इलेक्ट्रॉनिक विधि से सरकारी सेवाएं और व्यापार के अवसर उपलब्ध कराकर एक ऐसा वातावरण तैयार करना है, जिससे एक सशक्त और डिजिटल तौर पर समावेशी और समानता आधारित विकास सुनिश्चित हो सके। ई-गवर्नेंस के उद्देश्यों में ये सभी शामिल हैं। इन ई-गवर्नेंस परियोजनाओं के लिए नीतियों, मार्गनिर्देशों और कार्यक्रमों के माध्यम से सरकार की ओर से आवश्यक सहायता जरूरी है।
हाल में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में नीति संबंधी कई पहल किए हैं, जिसमें ई-क्रांति, ओपन सोर्श सॉफ्टवेयर, ओपन एपीआई, ईमेल नीति, सूचना प्रौद्योगिकी संसाधनों का इस्तेमाल, सहयोग आधारित एप्लीकेशन विकास और एप्लीकेशन विकास तथा क्लाउड रेडी एप्लीकेशनों के लिए पुनराभियंत्रण शामिल हैं। नीति संबंधी इन पहलों से सभी केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों के साथ-साथ सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को उभरती प्रौद्योगिकियों से लाभ प्राप्त करने में सचमुच मदद मिलेगी और वे नए व्यापारिक प्रारूपों का इस्तेमाल करके अपनी मौजूदा परियोजनाओं में सुधार कर सकते हैं, ताकि नागरिकों को प्रभावकारी, पारदर्शी और किफायती सेवाएं इलेक्ट्रॉनिक विधि से प्राप्त हो सकें।
दूरसंचार विभाग में आम लोगों के पास पहुंचने और उन्हें कम लागत पर सेवाएं प्रदान करने के लिए कई कदम उठाए हैं। सरकार ने जुलाई, 2015 से एक राष्ट्र के लिए मोबाईल नम्बर, पोर्टेबिलिटी को लागू किया है। इंटरनेट तक पहुंच कायम करने में नागरिकों को समर्थ बनाने के क्रम में सरकार ने वर्ष 2015-16 के दौरान देश में 2500 वाई-फाई हॉटस्पॉट स्थापित करने की योजना तैयार की है। भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) ने अब तक ताजमहल-आगरा, हुसैन सागर झील और चारमीनार-हैदराबाद, सारनाथ-वाराणसी, सूर्य मंदिर-कोणार्क, बृहदेश्वर मंदिर-तंजावुर, हम्पी–कर्नाटक, खजुराहो, जगन्नाथ मंदिर-पुरी, नासिक, बंगलुरू, विजयवाड़ा, बिलारपुर आदि जैसे महत्वपूर्ण पर्यटक स्थलों और प्रसिद्ध नगरों को वाई-फाई हॉटस्पॉटों में शामिल किया है।
डिजिटल सुविधाओं में अंतर को पाटने के क्रम में सरकार ने 25 दिसंबर, 2014 को ज्ञानसेतु की शुरूआत की है। देश की वंचित ग्रामीण संख्या को विभिन्न प्रकार की इलेक्ट्रॉनिक सेवाएं प्रदान करने के लिए सी-डॉट द्वारा तैयार की गई एक इंटरनेट आधारित तत्काल सूचना और संचार प्रौद्योगिकी प्रणाली है। ज्ञानसेतु कार्यक्रम से देश के सभी ग्राम पंचायतों में ग्रामीण भारत में इंटरनेट प्रौद्योगिकी का लाभ पहुंचाएगा। हमारे ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को घर-घर में जानकारी और सूचना पहुंचाकर साक्षर, समृद्ध लोगों और ग्रामीण समुदाय के बीच डिजिटल सुविधाओं में अंतर कम होगा।
ग्रामीण क्षेत्रों में प्रभावी तौर पर डिजिटल सुविधाएं बढ़ाने के लिए सरकार ने एक विशेष उपाय के तहत ‘भारतनेट’ नामक योजना को एक अभियान के रूप में शुरू किया है ताकि देश के सभी 2,50,000 ग्राम पंचायतों (60 करोड़ से अधिक ग्रामीण नागरिकों) को 100 एमबीपीएस ब्रॉडबैंड से जोड़ा जा सके और ब्रॉडबैंड सुविधाओं और ध्वनि आधारित सुविधाओं में अंतर को पाटा जा सके। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए भारत सरकार द्वारा तैयार भारत ब्रॉडबैंड नेटवर्क लिमिटेड (बीबीएनएल) द्वारा इसे कार्यान्वित किया जा रहा है। बीएसएनएल, पीजीसीआईएल और रेलटेल जैसे साझेदारों द्वारा पहले चरण में इसका वास्तविक कार्यान्वयन किया जा रहा है। भारतनेट अपनी ओर से ई-गवर्नेंस सेवाओं, टेलिमेडिसिन, टेलीएजुकेशन, वित्तीय सेवाएं, ई-वाणिज्य और ई-मनोरंजन में सहायता करेगा और दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाले सभी लोग इसका लाभ प्राप्त करेंगे। इससे मोबाईल ऑपरेटरों, केबल टीवी ऑपरेटरों जैसे सेवा प्रदाताओं तक पहुंच कायम करने के लिए नए माध्यम तैयार होंगे और अगली पीढ़ी की सेवाएं शुरू होने के साथ-साथ ई-कॉमर्स और सूचना प्रौद्योगिकी आउटसोर्शिंग आदि सहित स्थानीय तौर पर रोजगार की अवसर तैयार होंगे, जिसमें समावेशी विकास के लिए ई-बैंकिंग, ई-हेल्थ और ई-एजुकेशन भी शामिल होंगे। इसके परिणामस्वरूप सरकारी योजनाओं के अधीन पंचायत स्तर पर स्थानीय आयोजना, प्रबंधन, निगरानी और भुगतान जैसी अनेक सेवाएं भी प्रदान की जा सकेंगी।
सेना के संचालनात्मक संचार को बढ़ाने के क्रम में सरकार ने नेटवर्क फॉर स्पेक्ट्रम नामक एक परियोजना शुरू की है। यह एक देशव्यापी सुरक्षित, बहुविध सेवा और बहुविध तरीके से मिश्रित अगली पीढ़ी नेटवर्क है जो विशेष और समर्पित ट्राई-सर्विस ऑप्टिकल ट्रांसपोर्ट बैकबोन पर आधारित है। भारतीय सेना की नेटवर्क केंद्रित युद्धक क्षमता पर इस परियोजना का प्रभाव पड़ेगा, जो अधिक ध्वनि, आंकड़े और तत्काल विडियो सेवाओं के रूप में दिखेगा। इसे बीएसएनएल की ओर से कार्यान्वित किया जा रहा है।
दूरसंचार क्षेत्र में मेक इन इंडिया के लिए मनमुताबिक जोर देने के क्रम में सरकार ने (1) केंद्रीय बजट 2014-15 में खास आयातित दूरसंचार उत्पादों पर 10 प्रतिशत आधारितभूत सीमा शुल्क लगाना ताकि घरेलू निर्माताओं के लिए समान अवसर उपलब्ध हो और घरेलू दूरसंचार इलेक्ट्रॉनिक निर्माण पर जोर दिया जा सके, (2) प्रतिकूल शुल्क ढांचे को दुरूस्त करना, (3) वर्ष 2015-16 के बजट में दूरसंचार ग्रेड ऑप्टिकल फाइबर केबलों के निर्माण में इस्तेमाल के लिए एचडीपीई पर आधारितभूत सीमा शुल्क को 7.5 प्रतिशत से घटाकर उसे शून्य के स्तर तक लाना, ताकि देश में ऑप्टिकल फाइबर के उत्पादन जोर दिया जा सके, जैसे उपाय किए हैं।
एमटूएम संचार पर जोर देने के क्रम में, संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री द्वारा 12 मई, 2015 को ‘राष्ट्रीय दूरसंचार एमटूएम मार्गनिर्देश’ शुरू किया गया था। मार्गनिर्देश से जुड़े कार्यक्रम में विभिन्न एमटूएम मानकों, नीतियों और नियामक पहलों तथा एमटूएम के विस्तार संबंधी उपायों को एक साथ मिलाने पर जोर दिया गया है। इसमें अंतर्राष्ट्रीय एमटूएम परिदृश्य, वर्तमान संचार प्रौद्योगिकियां स्तरीकरण गतिविधियां और विभिन्न क्षेत्रों में भारत की स्थितियों के अनुकूल उन्हें अपनाना शामिल है।
विभिन्न बैंडों में स्पेक्ट्रम उपलब्ध कराने के क्रम में दूरसंचार विभाग ने वर्ष 2015 में स्पेक्ट्रम की नीलामी की है। इसे पूर्णत: पारदर्शी और निष्पक्ष बोली प्रक्रिया के माध्यम से संचालित किया गया है, जिससे 80,277 करोड़ रूपए के स्वीकृत आरक्षित मूल्य पर 1,09,874 करोड़ रूपए प्राप्त हुए जो अब तक का सर्वाधिक है। इसके परिणामस्वरूप इस क्षेत्र में सभी हितधारकों का विश्वास कायम हुआ है।
पिछले एक वर्ष में किए गए विभिन्न उपायों के कारण भारतीय दूरसंचार क्षेत्र ने जून, 2014 से लेकर जून, 2015 के बीच 64.44 मिलियन नए टेलीफोन कनेक्शन लगाए हैं, जो फ्रांस की जनसंख्या के समतुलय हैं। इसके साथ भारत में 1007.43 मिलियन टेलीफोन हैं, जो इसे केवल चीन के बाद विश्व का दूसरा सबसे बड़ा टेलीफोन नेटवर्क के रूप में स्थापित करता है। इसमें से 423.42 मिलियन टेलीफोन कनेक्शन ग्रामीण क्षेत्रों में और 584 मिलियन शहरी क्षेत्रों में हैं। ग्रामीण टेलीघनत्व 4.78 प्रतिशत और शहरी टेलीघनत्व 149.34 प्रतिशत के साथ देश का टेलीघनत्व बढ़कर 80.02 प्रतिशत पहुंच गया। इंटरनेट का भी तेजी से प्रसार हो रहा है। मार्च, 2015 तक भारत में 302.35 मिलियन इंटरनेट हैं, जो अमरीका की जनसंख्या के समतुल्य है।