Saturday, November 23, 2024
spot_img
Homeप्रेस विज्ञप्तिनॉलेज ऐरा' में 'नॉलेज बेस्ड इकोनॉमी' की महत्वपूर्ण भूमिका : हरिवंश

नॉलेज ऐरा’ में ‘नॉलेज बेस्ड इकोनॉमी’ की महत्वपूर्ण भूमिका : हरिवंश

नई दिल्ली। भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के सत्रारंभ समारोह को संबोधित करते हुए राज्यसभा के उपसभापति श्री हरिवंश नारायण सिंह ने कहा कि ‘नॉलेज ऐरा’ में ‘नॉलेज बेस्ड इकोनॉमी’ की महत्वपूर्ण भूमिका है। 21वीं सदी में भारत ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था का केंद्र होगा। उन्होंने कहा कि डिजिटल रूप से सशक्त समाज इस अर्थव्यवस्था के लिए बेहद जरूरी है। इस अवसर पर आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी, अपर महानिदेशक श्री आशीष गोयल, सत्रारंभ कार्यक्रम के संयोजक एवं डीन (अकादमिक) प्रो. गोविंद सिंह सहित आईआईएमसी के सभी केंद्रों के संकाय सदस्य एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।

‘मीडिया और जन सरोकार’ विषय पर विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करते हुए श्री हरिवंश नारायण सिंह ने कहा कि एक पत्रकार को समाज से जुड़े प्रत्येक विषय की जानकारी होनी चाहिए। आज तकनीक ने पत्रकारों की इस क्षमता को बढ़ाया है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने पत्रकारिता की दुनिया में बड़ा परिवर्तन किया है। उन्होंने कहा कि शब्दों का सौंदर्य, विचारों का विस्तार, पत्रकारिता की गंभीरता और अभिव्यक्ति की मर्यादा, अखबारों के पन्नों में दिखाई देती है। तकनीक के इस युग में मीडिया के नए माध्यम तो आएंगे, लेकिन लिखे हुए शब्दों की मर्यादा सदैव बरकरार रहेगी।

मीडिया के विद्यार्थियों को सलाह देते हुए राज्यसभा के उपसभापति ने कहा कि अगर आपकी स्किल अच्छी नहीं होगी, तो आप बेहतर पत्रकारिता नहीं कर सकते। इसलिए आपको हर दिन कुछ नया सीखना चाहिए और उसे समाज के हित में प्रयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पाठक ही आपका उपभोक्ता है। सूचना और मनोरंजन के साथ-साथ जनता को शिक्षा देना भी पत्रकारों का कर्तव्य है।

श्री हरिवंश के अनुसार भाषा की मर्यादा और तथ्यों की सत्यता मीडिया के लिए बेहद जरूरी है। तथ्यों को सार्वजनिक रूप से कहने में पत्रकारों को कोई कठिनाई नहीं होनी चाहिए। खबरों की दौड में झूठी या गलत खबरें देकर पत्रकारिता की साख को हम नुकसान पहुंचा रहे हैं। अगर पत्रकारिता की साख कायम रहेगी, तो जन सरोकार के मुद्दों पर काम करना पत्रकारों के लिए आसान होगा। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया की भाषा पर प्रत्येक व्यक्ति को विचार करना चाहिए।

पत्रकारों के लिए आवश्यक है मानवीय चेतना : प्रो. द्विवेदी

इस अवसर पर आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि मानवीय चेतना खत्म होने पर पत्रकारिता की आत्मा मर जाती है। इसलिए मानवीय संवेदना प्रत्येक पत्रकार के भीतर होनी चाहिए। यह मानवीय संवेदना ही हमें गलत रास्ते पर चलने से बचाती है। पत्रकारिता भारतीय जनता के विश्वास का बड़ा आधार है। भारत की पत्रकारिता पर जनता का विश्वास है। इस विश्वास को बचाकर रखना है, तो हमें जन सरोकारों को जीना होगा।

चीन और पाकिस्तान मुख्य चुनौती : लेफ्टिनेंट जनरल हसनैन

कार्यक्रम के दूसरे सत्र में ‘राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनौतियां’ विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ कश्मीर के चांसलर लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन ने कहा कि हर देश के पास अपने नागरिकों के लिए कोई विजन होता है। इस विजन में जो चीजें बाधा बनती हैं, वही भारत के सामने चुनौतियां हैं। भारत के सुरक्षा परिदृश्य में चीन और पाकिस्तान मुख्य चुनौतियों के रूप में हमारे सामने हैं। हसनैन ने बताया कि बॉर्डर पर सेना तो सुरक्षा कर रही है, लेकिन आंतरिक सुरक्षा भी जरूरी है। आने वाले समय में युद्ध नहीं, बल्कि साइबर हमले का ट्रेंड होगा। पाकिस्तान को पूरा भरोसा है कि भारत आर्थिक वृद्धि और विकास पर इतना केंद्रित है कि वह युद्ध का जोखिम नहीं लेगा। उन्होंने कहा कि भारत और दुनिया को आतंकवाद के बारे में और ज्यादा सोचने की जरुरत है।

कोरोना के कारण छिड़ा ‘बायोलॉजिकल वॉरफेयर’ : मेजर जनरल कटोच

राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे को आगे बढ़ाते हुए मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) ध्रुव कटोच ने कहा कि कोरोना के कारण पूरे विश्व में ‘बायोलॉजिकल वॉरफेयर’ की स्थिति पैदा हो गई है। भारत ने ज्ञान और अनुसंधान के दम पर इससे निपटने में सफलता भी हासिल की है। उन्होंने कहा कि ‘हाइब्रिड वॉरफेयर’ दुश्मन के साथ जंग करने का नये जमाने का तरीका है। इस युद्ध में डेटा का खेल होता है और उस डेटा के विश्लेषण के बाद दुश्मन के खिलाफ चालें चली जाती हैं। इस डेटा की मदद से आप दुश्मन देश में गलत सूचनाएं फैलाकर हिंसा और तनाव की स्थिति को जन्म दे सकते हैं। हमारे पड़ोसी देश आजकल यही काम कर रहे हैं, लेकिन भारत ने सूचनाओं के सही प्रयोग से उसे करारा जवाब दिया है।

‘भाषाई पत्रकारिता ही भारत का भविष्य’

कार्यक्रम के अंतिम सत्र में ‘भारतीय भाषाई पत्रकारिता का भविष्य’ विषय पर देश के प्रख्यात पत्रकारों ने विद्यार्थियों को संबोधित किया। महाराष्ट्र टाइम्स के संपादक श्री पराग करंदीकर ने कहा कि अब युवा ‘नोटिफिकेशन न्यूज’ पढ़ना ज्यादा पसंद करते हैं। नोटिफिकेशन की एक लाइन में आए समाचार से ही वे अपनी राय बना लेते हैं। न्यूज 18 उर्दू के संपादक श्री राजेश रैना के अनुसार भाषाई पत्रकारिता ही भारत का भविष्य है। आज डिजिटल चैनल ‘हाइपर लोकल’ हो रहे हैं और टीवी चैनल अपने रीजनल चैनल शुरू कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर आप मीडिया फील्ड में ऑलराउंडर नहीं हैं, तो आपका कार्यक्षेत्र बहुत सीमित हो जाएगा। ओडिया समाचार पत्र ‘समाज’ के संपादक श्री सुसांता मोहंती ने कहा कि कोविड के दौरान क्षेत्रीय भाषाओं के समाचार पत्रों के प्रसार में कमी आई है, लेकिन इन समाचार पत्रों के डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर पाठकों की संख्या बढ़ी है। इस मौके पर मलयालम समाचार पत्र ‘जन्मभूमि’ के संपादक श्री केएनआर नंबूदिरी ने कहा कि डिजिटल माध्यमों ने भाषाई पत्रकारिता को एक नई दिशा दी है।

समारोह के पांचवें और अंतिम दिन शुक्रवार को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव एवं आईआईएमसी के अध्यक्ष श्री अपूर्व चंद्र, न्यूज 24 की प्रबंध निदेशक सुश्री अनुराधा प्रसाद, लेखक श्री संक्रान्त सानु एवं काठमांडू विश्वविद्यालय के प्रो. निर्मल मणि अधिकारी विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करेंगे। कार्यक्रम के समापन सत्र में आईआईएमसी के पूर्व छात्र नए विद्यार्थियों से रूबरू होंगे। इन पूर्व छात्रों में आज तक के न्यूज़ डायरेक्टर श्री सुप्रिय प्रसाद, इंडिया न्यूज के प्रधान संपादक श्री राणा यशवंत, जनसंपर्क विशेषज्ञ सुश्री सिमरत गुलाटी, इफको के जनसंपर्क प्रमुख श्री हर्षेंद्र सिंह वर्धन एवं आईआईएमसी एलुमिनाई एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री कल्याण रंजन शामिल हैं।

Ankur Vijaivargiya
Associate – Public Relations
Indian Institute of Mass Communication
JNU New Campus, Aruna Asaf Ali Marg
New Delhi – 110067
(M) +91 8826399822
(F) facebook.com/ankur.vijaivargiya
(T) https://twitter.com/AVijaivargiya
(L) linkedin.com/in/ankurvijaivargiya

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार