दो टूक : कहते हैं बुराई चाहे जितनी ताकतवर हो उसका अंतिम संस्कार अच्छाई ही करती है . बस इतनी से बात कहती है.
निर्देशक राकेश रोशन की ऋतिक रोशन , प्रियंका चोपड़ा , विवेक ओबरॉय , कंगना राणावत , आरिफ जकारिया , शौर्य चौहान , मोहनीश बहल , राजपाल यादव ,रेखा और नसीरुद्दीन शाह के अभिनय फ़िल्म वाली कृष थ्री .
कहानी : फ़िल्म की कहानी वहीँ से शुरू होती हैं जहाँ पहली फ़िल्म की कहानी ख़तम होती है . पिता रोहित [ऋतिक रोशन ] पर होने वाले डॉक्टर आर्य [नसीर उद्दीनशाह ] के जुल्म के बाद कृष (रितिक रोशन) अब भारत का सुपरहीरो बन चूका है। अपने पिता और पत्नी प्रिया (प्रियंका चोपड़ा) के साथ वह खुश है। लेकिन कृष की दुनिया तब बदलती है जब काल [विवेक ओबरॉय ] नाम का एक वैज्ञानिक उसके रास्ते में आ जाता है . दुनिया के दूसरे छोर पर रहें वाला अपंग काल जीनियस है लेकिन उस के इरादे दुनिया में तबाही मचाने के है। इसके लिए पहले वह खतरनाक बीमारियों के वायरस फैलाता है और फिर उनका एंटीडोट बेचकर पैसा कमाता है। उसके इस काम को अंजाम देने में काया (कंगना रनोट) उसकी मदद करती है जो गिरगट की तरह अपना भेष बदल लेती है। हालात तब मुश्किल होते हैं जब कृष काल का रास्ता रोककर उसे उसके इरादों में नाकाम कर देता है और बदले में काल उसके पिता रोहित और पत्नी प्रिया को अपने कब्जे में लेकर दुनिया को तबाह करने पर उतर आता है . इसके बाद शुरू होती है कृष की दुनिया , प्रिया और रोहित को बचाने कि जंग की शुरुआत.
गीत संगीत : फ़िल्म में राजेश रोशन का संगीत और समीर के गीत हैं लेकिन फ़िल्म में इस बार ऐसा कोई भी गीत नहीं जो कानों को सुकून दें। हाँ एक गीत है जो मुझे बहुत पसंद आया और वो है दिल तू ही तो बता' जैसे बोलों वाला गीत . उसका फिल्मांकन भी अद्भुत रंगों और लोकेशंस वाला है . जबकि इसके साथ रघुपति राघव राजा राम बस सुना जा सकता है .
अभिनय : ऋतिक रोशन को अगर हम अपने पिता का हीरो माने तो बुरा नहीं लगाना चाहिए .सुपरहीरो की भूमिका के लिए रितिक रोशन से बेहतरीन विकल्प उनके पास नहीं है . यही नहीं ..इस पात्र के चरित्र को भी ऋतिक सलीके से अभिनीत करते हैं और उसके लिए भावुक भरी डिलीवरी देने के साथ ही एक सुपर एक्शन हीरो को भी वो अद्भुत तरीके से परदे पर उतारते हैं . रोहित और कृष के की भूमिकाओं का अवयव तत्व , उसकी शारीरिक भाषा और संवादों के उम्र और पात्र के अंतर्मन को भी . विवेक ओबेरॉय को पहली बार इतनी ग़हरी और गम्भीर खलनायकी करते हुए देखा . सुपर हीरो को सुपर खलनायक की ताकर देना आसान नहीं था पर प्रियंका चोपड़ा के पास करने के लिए ज्यादा कुछ नहीं था। उनसे बेहतर रोल कंगना के पास था और उन्होंने अपना काम बखूबी निभाया। एक विशेष कास्ट्यूम के लिए उन्होंने अपने फिगर पर खासी मेहनत की जो नजर आती है ।काल भूमिका में उन्होंने मेहनत तो की है बात .औरउनके साथ कंगना ने भी .
हालांकि कंगना को कुछ और विस्तार दिया जा सकता था . पर फिर प्रियाका के लिए जगह कम हो जाती है और वैसे भी उनके लिए करने को बहुत कुछ नहीं था जबकि कंगना उनके और खुद के पात्र के लिए भी आधार बनी रही . राजपाल यादव और राखी विजन की कोई जरुरत नहीं थी . मोहनीश बहाल,रेखा और नसीर बस कुछ दृश्यों कें दिखाई देते है और आरिफ जकारीय को बहुत जल्दी मार दिया गया . हाँ नाजिए शेख और समीर अली खान जरुर याद रहते हैं.
निर्देशन : फिल्म की कहानी राकेश रोशन ने लिखी है और पटकथा हनी ईरानी, रॉबिन भट्ट, आकाश खुराना और इरफान कमल ने लिखी है। कहानी में कुछ भी नया नहीं है लेकिन एनीमेशन, स्पेशल इफेक्टस , साउंड्स और कैमरे के कमाल को राकेश ने बहुत मेहनत के साथ परदे पर रखा है . अपने नयाक को भी और खलनायक को भी . उनका सुपरहीरो अपने बेहद क्रूर और विध्वंसकारी खलनायक को मात देता है तो लोग ताली बजाते हैं लेकिन फ़िल्म में विज्ञान सम्बन्धी शब्दों और भाषा का बेहद गूढ़ इस्तेमाल उसका चार्म कम कर देता है . फ़िल्म में एक्शन , रोमांस और रिश्तों की कहानी को बुना गया है .कोई और फ़िल्म .माने ..जब सुपर मैन , स्पाइडर मैन , टर्मिनेटर जैसी फ़िल्में देख चुके हों तो कृष ३ उतना प्रभाव नहीं छोड़ती ..ये अलग बात है कि फ़िल्म के क्लामीमेक्स में वही सब कुछ है जो किसी उत्रकृष्ठ फिल्मांकन , एक्शन , संपादन और कैमरावर्क वली फ़िल्म में होता है.
फ़िल्म क्यों देखें : उत्कृष्ठ तकनिकी शैली वाली फ़िल्म हैं .
फ़िल्म क्यों ना देखें : अगर इसकी तुलना पिछली वाली फ़िल्म से कर रहे हों .