मुंबई। प्रकाश गणपत जाधव के मूल मराठी कविता संग्रह का हिन्दी अनुवाद “ मन के तलघर का प्रकाश “ तथा “ एकताच्या पाऊलखुणा “ नामक संकलित मराठी कविताओं के पुस्तक का लोकार्पण समारोह रवीन्द्र नाट्य मंदिर के मिनी थिएटर में संपन्न हुआ. इस अवसर पर बतौर प्रमुख अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सूर्यबाला ने कहा कि संग्रह की कविताएं दिल को छू लेती हैं, जितनी अच्छी कविताएं हैं उतना ही सुंदर अनुवाद रमेश यादव और अरविंद लेखराज ने किया है. इन कविताओं को बार – बार पढ़ने का मन करता है. ये कविताएं कभी हंसाती हैं, कभी रूलाती हैं तो कभी व्यंग्य करती हैं. सामाजिक ताना- बाना और परिवेश के सरोकारों का निर्वहन करते हुए अपनी रचनाधर्मिता का परिचय कवि ने दिया है. अनुवाद के माध्यम से एक सशक्त रचना संग्रह हिंदी में आया है इसका हम स्वागत करते हैं. समारोह की अध्यक्षता करते हुए राष्ट्रीय साहित्य अकादमी के सदस्य एवं मराठी के वरिष्ठ साहित्यकार लक्ष्मण गायकवाड़ ने संग्रह के लिए बधाई देते हुए कहा कि दुनिया की तमाम क्रांतियों में कलमकारों ने हमेशा महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है, अत: लेखनी को जिम्मेदारी से चलाई जानी चाहिए. भाषाओं को समृध्द बनाने के लिए अनुवाद के महत्व पर भी उन्होंने अपंरे विचार रखें.
इस अवसर पर संग्रह के अनुवादक रमेश यादव और अरविंद लेखराज ने किताब की चुनिंदा कविताओं का पाठ करते हुए श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया. मराठी के कवि सतीश सोलांकूरकर, अजय कांडर, धनराज खरटमल, शरण बिराजदार ने संग्रह की मराठी कविताओं का सुंदर पाठ किया. कवि प्रकाश गणपत जाधव ने अतिथियों का स्वागत एवं अपनी प्रस्तावना बड़े भावुक अंदाज में किया.
कार्यक्रम का सूत्र संचालन प्रा. अवधूत भिसे ने तो आभार कवि प्रकाश पाटिल ने किया. कार्यक्रम के आरंभ और अंत में संगीतकार पांडुरंग ठाकरे ने गीत एवं पसायदान प्रस्तुत किया. कवयित्री फरज़ाना इकबाल ने संग्रह में छपी डॉ. रमेश मिलन एवं नाटककार जयंत पवार की प्रस्तावना को अपने अंदाज में पढ़कर सुनाया. समारोह का आयोजन एकता कल्चरल अकादमी की ओर से किया गया था.