बेंगलुरु। सफलता की कुछ कहानियां ऐसी होती है जिन पर विश्वास करना कठिन होता है। मूदबिदरी-कर्कला की जानी-मानी फर्म जीके डेकोरेटर्स के पीछे जो शख्स है अगर उसकी कहानी आपने सुन ली तो आपको समझ आ जाएगा कि जिंदगी में कोई भी चीज असंभव नहीं है।
गणेश कामथ जीके डेकोरेटर्स के मालिक है जो एक ऐसी कंपनी है जो क्षेत्र में कई मेगा इवेंट के लिए साउंड, लाइटिंग और अन्य उपकरणों को उपलब्ध कराती है। गणेश की जिंदगी इतनी आसान नहीं थी। उसने कई साल पहले बिजली की एक दुर्घटना में अपने दोनों हाथ गंवा दिए थे। कक्षा 7वीं के ड्रॉपआउट गणेश इलेक्ट्रिकल कॉन्ट्रेक्टर बतौर काम करते थे। 2001 में कार्कला में एक आयोजन के दौरान गणेश के बॉस ने उसे एक फ्लड लाइट पर एक लाइट बल्ब ठीक करने के लिए 29 फीट ऊंचे मचान पर चढ़ने को कहा।
वे कहते हैं, ‘मैं लाइट्स कनेक्ट कर रहा था और तभी मेरा संतुलन बिगड़ा और मैं नीचे जा गिरा।’ उसे आखिरी बार का यही वाकया याद है और जब अस्पताल में होश आया तब वह अपने दोनों हाथ खो चुका था। गणेश के हाथ सीधे तार के संपर्क में आ गए थे जो कि पास के पोल से लगे थे और उसे करंट लग गया। जैसे-तैसे स्थानीय लोगों और उसके साथियों ने जिंदा तारों से उसे बचाया लेकिन उसके दोनों हाथ खराब हो चुके थे।
25 साल के गणेश उसके बाद डिप्रेशन में आ गए। गणेश के मुताबिक, ‘मैं एक करीब परिवाप से हूं। सबसे पहली बात जो मेरे दिमाग में आई वो यही थी कि सिर्फ मेरे हाथ ही आय का स्त्रोत थे। मेरे ऊपर परिवार की जिम्मेदारी थी। अगर मेरे हाथ नहीं रहेंगे तो मैं काम कैसे कर पाऊंगा।’
गणेश को शारीरिक चोटों से उबरने में तीन महीने लग गए। उन्हें कृत्रिम हाथ उपलब्ध कराए गए।
कई लोगों यह तक कहा कि बिना हाथ का अब ये किस काम का। उसके पिछले जॉब से भी निकाल दिया गया। यह वहीं फर्म थी जो कि इस हादसे के पहले उसे अपनी कंपनी का सबसे मूल्यवान शख्स मानती थी। उसने उस फर्म में 13 साल काम किया था।
इंश्योरेंस के रूप में कुछ थोड़े रुपए मिले, लेकिन उसके पास अब कोई आय का स्त्रोत नहीं था। वे कहते हैं, ‘उस समय मैंने सुसाइड तक करने के बारे में सोचा।’
लेकिन कुछ सप्ताह बाद एक रिश्तेदार की बात ने उसे इस स्थिति से उबारा। उस रिश्तेदार ने उसे हार न मानने की सलाह दी और कहा कि उसने उसके चेहरे पर ‘राजयोग’ देखा है। गणेश के मुताबिक, ‘भले ही उनका मकसद मुझे खुश करने को था लेकिन उस समय मैं अपनी जिंदगी से इतना निराश था कि उनके ये शब्द मेरे लिए उम्मीद की बड़ी कीमत थे।’
जो भी उसे एक्सीडेंटल इंश्योरेंस से पैसा मिला, उसने अपनी किस्मत से लड़ने का फैसला कर लिया। उसने दो म्यूजिक सिस्टम्स खरीदे और उसे शादी और अन्य सार्वजनिक आयोजनों में किराए से देना शुरू कर दिए। पहले, वह एक दिन में 350 रुपए कमाता था। आज गणेश कामथ का फर्म जीके डेकोरेटर्स का एक महीने का टर्न ओवर लाखों में है।
16 सालों से जीके डेकोरेटर्स शादियों और सार्वजनिक आयोजनों में अपनी सेवाएं दे रहा है। पिछले कुछ सालों में उन्होंने कई मेगा इवेंट्स किए हैं जिसमें एक दिन में 30 से 50 हजार के बीच ऑडियंस थी।
इस फर्म में आज 40 लोग काम करते हैं। कुछ सालों पहले गणेश ने अपनी सहपाठी रही लता से शादी की और उनकी सात साल की एक बेटी है। वे कहते हैं, ‘आज भले ही मैं खुद अपने हाथ से खाना नहीं खा पाता हूं लेकिन मेरा वेंचर 40 लोगों और उनके परिवार का पेट भर रहा है।’
साभार- दैनिक नईदुनिया से