मध्य प्रदेश के धार जिले के ग्राम गुजरी के कृषक ने एक गाय के माध्यम से जैविक खेती का 10 एकड़ में ऐसा प्रयोग किया, जिससे कि अमरूद की फसल लहलहा उठी है। किसान का फंडा यह है कि एक गाय से एक माह में 30 एकड़ खेती के लिए जीवामृत नामक घोल तैयार किया, जो कि खेती में रासायनिक टॉनिक को टक्कर दे रहा है। साथ ही इसमें गरीब किसान बहुत ही आसानी से जैविक खेती अपना सकता है। अभिषेक गर्ग ने गाय के गोबर से टॉनिक बना दिया और साथ में नीम आदि के पत्तों के रस से कीटनाशक बना दिया।
ऐसे तैयार होता है जीवामृत टॉनिक
-एक गाय से प्रतिदिन मिलने वाला 10 किलो गोबर और गौमूत्र का मिश्रण तैयार करना होता है। मिश्रण में एक किलो बेसन, एक किलो गुड़, एक किलो मिट्टी व एक किलो सीजन का फल डालना होता है।
-गोबर, गौमूत्र और मिट्टी से जीव पैदा होते हैं। बेसन और फल से जीवों का विकास होता है। इस घोल को सात दिन तक सड़ाना होता है और हर रोज 5 मिनट के लिए हिलाना होता है।
-इससे करीब 200 लीटर घोल बनाकर छिड़काव किया जाता है।
लाभ का गणित
-आज कल खेती में रासायनिक टॉनिकों का इस्तेमाल होने लगा है जो कि काफी महंगे होते हैं।
-एक एकड़ में एक साल तक टॉनिक का इस्तेमाल किया जाए तो 20 हजार स्र्पए तक खर्च हो जाते हैं।
-जीवामृत का खर्च साल भर का 1200 स्र्पए है।
-नीम के पत्ते के कीटनाशक का खर्च न के बराबर है जबकि रासायनिक कीटनाशक का एक एकड़ में एक साल में 50 हजार स्र्पए तक खर्च हो सकता है।
खुद ने आजमाया
-गुजरी के कृषक अभिषेक गर्ग ने इस घोल को तैयार किया। पहले वे स्वयं खेती नहीं करते थे लेकिन खेती करने की ठानी तो यह युक्ति निकाली। कृषक के पास 5 गायें हैं।
-10 एकड़ के अमरूद के खेत में एक साल पहले इस घोल का उपयोग किया गया।
महत्वपूर्ण प्रयोग
गर्ग द्वारा इस तरह का जो प्रयोग किया जा रहा है, वह जैविक खेती का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। जीवामृत बनाने के लिए हर व्यक्ति अलग-अलग युक्ति अपनाता है। इससे किसानों और फसलों को फायदा होता है।
-डॉ. एस. किराड़, प्रभारी, कृषि विज्ञान केंद्र धार
साभार – http://naidunia.jagran.com/ से