*महाराष्ट्र सरकार को चाहिए कि वह प्रवासी मजदूरों का बाकी का रेल किराया वहन करे।
मुंबई बीजेपी के प्रदेश महामंत्री अमरजीत मिश्र ने कहा है कि प्रवासी मजदूरों के दर्द को समझते हुए राज्य सरकार को चाहिए कि जिस तरह रेल मंत्रालय टिकट भाडे में 85 फीसदी की कटौती की है,अब बाकी बचे रेल किराये का खर्च खुद राज्य सरकार वहन करे। भाजपा नेता ने कहा कि पिछ्ले डेढ महिनों से बरोजगारी की मार झेल रहे प्रवासी मजदूरों की अनेकों समस्यायें हैं। श्री मिश्र ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे पत्र में कहा है कि मेडिकल प्रमाण पत्र लेने से लेकर फॉर्म भरने तक का मनमाना पैसा वसूलने की शिकायत मिल रही है।भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार पहले भी उत्तरभारतीयों के साथ द्वेषपूर्ण व्यवहार करती रही है,अब वह सत्ता में है,उसे अब समझना अपनी भूमिका समझनी होगी।मुंबई बीजेपी के महामंत्री अमरजीत मिश्र ने सरकार के मंत्री नवाब मलिक के उस वक्तव्य को गैरजिम्मेदाराना बताया कि वे कह रहे हैं कि मुंबई से उत्तरप्रदेश जाने वाले प्रवासी मजदूरों की संख्या 30 लाख है।श्री मिश्र ने कहा कि मंत्री लोगों की दिशा भूल कर रहे हैं।
उन्होने कहा कि अपने गांव घर से दूर भूख से बिलख रहे इन मजदूरों की पीड़ा को समझा जाना चाहिए।उन्होंने सुझाया है कि यहाँ से उनके गन्तव्य स्टेशन तक पहुंचाने की जवाबदारी यहाँ की राज्य सरकार ले और वहां से उनके गांव तक पहुंचाने की जवाबदेही वहां की राज्य सरकार संभाले ।
श्री मिश्र ने कहा है कि लॉक डाउन के बाद सबसे अधिक प्रवासी मजदूर ही परेशान है।राज्य सरकार उन्हें दो वक्त का राशन भी उपलब्ध नहीं करा पाई।अब जब केंद्र के गृह मंत्रालय द्वारा उनकी घर वापसी का मार्ग सुगम हुआ है और रेल मंत्रालय ने राज्य सरकार को इन मजदूरों से समन्वय स्थापित करने का आग्रह किया है।हम इस संबंध में पहले से ही मांग कर रहे थे कि इन मजदूरों को उनके घर तक जाने का खर्च वह राज्य सरकार वहन करे जहां वे मजदूरी के लिये आये हुए थे।राज्य के कोने कोने से यह शिकायत आ रही है कि उनसे मेडिकल रिपोर्ट के नाम पर 4 सौ रुपए वसूले जा रहे हैं।खाने को मोहताज इन मजदूरों के पास फूटी कौडी भी नही है तिस पर उनसे फॉर्म के भी पैसे लिए जाने की शिकायत आ रही है।नासिक से जो ट्रेन उत्तर भारत के लिए गई है उस का भी 420 रुपए किराये की जगह 480 रुपया वसूला गया।
भाजपा नेता ने कहा कि इस मामले मे सच्चाई जो भी हो पर लोग बेहद परेशान हैं।इस मामले को पारदर्शी बनाने का एक ही रास्ता है कि डेढ महीने से बेरोजगारी की मार झेल रहे प्रवासी मजदूरों के रेल यात्रा का खर्च राज्य सरकार उठाये और उन्हें मेडिकल प्रमाण पत्र देने की जवाबदारी का भी निर्वहन करे। यहाँ से जाने के बाद वे जिस राज्य में उतरेगे वहां का खर्च वहां की राज्य सरकार वहन करे।