जोहानिसबर्ग। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने एक कारोबारी शिखर सम्मेलन के मद्देनजर द. अफ्रीका के दौरे पर हैं। एक कार्यक्रम में प्रभु ने कहा कि भारत, दक्षिणी अफ्रीकी देशों के विकास में मदद करने के लिए तैयार है।
दरअसल, केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु दो दिवसीय भारत- अफ्रीका कारोबारी सम्मेलन 2018 में भाग लेने गये उच्च स्तरीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं। एक कार्यक्रम के दौरान प्रभु ने कहा कि इन देशों में व्यापार की अपार संभावनाएं हैं।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि महात्मा गांधी और नेल्सन मंडेला अपने जीवनकाल में ही किवदंती बन गए थे और दोनों ही नेता आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बने रहेंगे। पहले भारत-दक्षिण अफ्रीका कारोबार सम्मेलन के उद्घाटन के मौके पर उन्होंने ये बातें कही। वह इस दो दिवसीय सम्मेलन में उच्च स्तरीय कारोबारी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं।
प्रभु ने सम्मेलन में कहा, ‘‘दोनों (गांधी और मंडेला) दुनिया भर में कई लोगों को प्रेरित करते रहे हैं। क्या इन दोनों नेताओं की विचारधारा को ऐसी जीवनशैली नहीं बनाया जा सकता जिसे लोग वास्तविकता में जिएं? यदि हम इन दो महान नेताओं के दर्शन का अनुसरण करें तो आज अकेलेपन और तनाव के कारण परेशान कई लोगों की समस्याएं दूर की जा सकती हैं।’’ वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने कहा कि यदि हम इनके विचारों को अमल में लाएं तो यह उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
प्रभु ने कहा, ‘‘गांधी के बाद जन्मे मंडेला हमेशा कहते रहे कि वह गांधी से प्रेरित हैं। वहीं गांधी ने दक्षिण अफ्रीका में शोषण के विरुद्ध संघर्ष करके पहचान बनाई। गांधी ने भारत में स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी पर इसकी प्रेरणा उन्हें दक्षिण अफ्रीका में मिली। दोनों नेताओं में बहुत समानताएं हैं।’’ प्रभु ने सम्मेलन में पड़ोसी देशों के कई नेताओं की भागीदारी की भी सराहना की। उन्होंने कहा, ‘‘हम उनसे बात और चर्चा करना चाहते हैं कि कारोबार के जरिए किस तरह दुनिया को बेहतर बनाया जा सकता है। लोगों की जीवनशैली में कारोबारी तरीके अपनाए जाएं तो क ई सामाजिक चुनौतियों को दूर किया जा सकता है।’’
भारत-दक्षिण अफ्रीकी देशों के बीच अपार संभावनाएं
प्रभु ने सम्मेलन के दौरान बोत्सवाना, स्वाजीलैंड, लीसोथो और मोजाम्बिक के अपने समकक्षों के साथ मंच साझा किया। उन्होंने कहा, ‘हमें लगता है कि इन दो क्षेत्रों (भारत और दक्षिणी अफ्रीकी देशों) के बीच अपार संभावनाएं हैं।’ प्रभु ने इस संबंध में एक महीने पहले भारत में हुई एक बैठक में चर्चा का भी जिक्र किया।
सुरेश प्रभु ने कहा, ‘ यह हमारे लिए आंखें खोलने वाला था क्योंकि हमने इन देशों में से कुछ की क्षमताओं को पहचाना जिससे हम पहले अवगत नहीं थे। हम इसका इस्तेमाल कर सकते हैं और भारत भी ले जा सकते हैं। हम सभी देशों के लिए तैयारी कर रहे हैं कि साथ में हम क्या कर सकते हैं।’ केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि अफ्रीका के साथ व्यापारिक संबंधों को लेकर भारत मजबूती से प्रतिबद्ध है और इस बात को लेकर प्रयास किये जा रहे हैं कि इन देशों में परियोजनाओं के वित्त पोषण के लिए दिये गये ऋण को कैसे और बेहतर किया जा सकता है।
प्रभु ने कहा कि ये कदम उन देशों को लाभ पहुंचाएंगे जहां इन परियोजनाओं का क्रियान्वयन किया जाना है। उन्होंने भारत की तरफ से समर्थन का वादा करने के साथ ही सावधान भी किया कि इन परियोजनाओं को अत्यधिक महत्वाकांक्षी नहीं होना चाहिए। तौर तरीकों की तलाश के लिए संयुक्त अध्ययन समूह का प्रस्ताव रखते हुए प्रभु ने कहा, ‘ हम अक्सर तरीके काम नहीं कर पाते क्योंकि हम बड़ी महत्वाकांक्षाओं के साथ शुरुआत करते हैं। उन्होंने कहा ‘हम चाहते हैं कि सब कुछ तत्काल होना चाहिए। यह संभव नहीं है, भारत के लिए भी नहीं जो कि अपने अफ्रीकी भागीदारों की तुलना में काफी बड़ा है।’ बोत्सवाना की निवेश, व्यापार एवं उद्योग मंत्री बोगोलो केनेवेंडो ने प्रभु की बातों का समर्थन करते हुए कहा कि भारत के साथ हर तरीके के भागीदारी से उनके देश के लोगों को फायदा हो रहा है।