श्रमण डॉ पुष्पेन्द्र ने जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी के जन्म कल्याणक (जयंती) के अवसर पर प्रदेशवासियों को बधाई एवं शुभकामनाएँ दी हैं। श्रमण डॉ पुष्पेन्द्र ने कहा है कि भगवान महावीर ने समाज को सत्य, अहिंसा, प्रेम और करूणा का संदेश दिया। उन्होंने अहिंसा को सभी धर्मो से सर्वोपरि बताया है। भगवान महावीर ने लोगों को श्जियो और जीने दोश् की सीख दी। उनके सिद्धांत और उपदेश आज भी प्रासंगिक हैं। वर्तमान में किसी को वर्धमान बनना है तो जीवन की संपूर्ण चर्या को वर्तमान में जीएँ। भगवान महावीर ने जीवन में अर्जन के साथ विसर्जन का भी सूत्र दिया। तीर्थंकर महावीर का संदेश है कि दूसरों को जीतना आसान है. लेकिन स्वयं को जीतना मुश्किल। दुनिया को जीतने वाला वीर हो सकता है, लेकिन जो स्वयं को जीते, वही महावीर हो सकता है।
उन्होंने कहा कि महावीर संयम, सद्ज्ञान दर्शन हैं। महावीर एक सूत्र है जीवन अनुसंधान का। जब महावीर का जन्म हुआ, तब जाति-पंथवाद था। महावीर के आने से जनमानस को राहत मिली। भगवान महावीर ने चंदनबाला के हाथों पारणा करके 2600 वर्ष पूर्व ही दास प्रथा के विरूद्ध बिगुल बजा दिया था। भगवान महावीर ने कहा है कि सबसे प्रेम करो, घृणा से केवल विनाश होता है, आइये, उनकी शिक्षाओं को आत्मसात कर धरा पर प्रत्येक मनुष्य ही नहीं, समस्त प्राणियों से हम सब प्रेम एवं अहिंसा के साथ रहें, यही उनकी सच्ची आराधना होगी।