इन्दौर। श्वेतांबर जैन समाज के जैन विधिकारक मनोज कुमार बाबूमल हरण अब तक 1049 जैन मंदिर में विधिकारक की भूमिका निभा चुके हैं। इसके लिए करीब 7 हजार कराेड की बोलियां उन्होंने समाज के लोगों को प्रेरित कर लगवाईं, लेकिन वे कहीं भी न ट्रस्टी बने और ना ही कोई पद लिया।
वे पिछले 45 बरसों से जिनालय के निर्माण में अर्थ के एकत्रीतकरण से लेकर वास्तु, निर्माण की बारीकियां और प्रतिष्ठा के दौरान होने वाले विधान में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
रामबाग दादावाड़ी प्रतिष्ठा महोत्सव के लिए आए विधिकारक मनोजकुमार हरण बताते हैं कि आचार्य सुशील सुरिश्वरजी ने 45 साल पहले जोधपुर में जिनमंदिर की प्रतिष्ठा के प्रसंग पर उपस्थित रहने की आज्ञा दी थी। उन्होंने कहा कि इस मंदिर के सभी विधि-विधान तुम्हें करना है। इस विधान की सफलता के बाद शुरू हुआ यह क्रम आज तक जारी है।
देश के हर हिस्से के साथ ही बैंकॉक, हांगकांग, कनाड़ा, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया, टर्की, चायना, नेपाल, मकाऊ, न्यूजीलैंड सहित विदेशी धरती पर 200 जैन मंदिरों की प्रतिष्ठा का भी अवसर मिला, जहां जैन संत नहीं जाते हैं। प्रतिष्ठा से जुड़ने से पहले इस बात का ध्यान रखता हूं कि मंदिर की बोलियों का पैसा मंदिर के कार्य में ही लगे। यह पैसा समाज का है और इसका इस्तेमाल उसी के लिए हो।
मंदिर निर्माण के समय मंदिर के स्थान, आकार के हिसाब से कार्ययोजना बनाई जाती है। वे बताते है कि अगर लोगों की धर्म प्रभावना की बात करें तो वो दिनोंदिन बढ़ी है।
दादावाड़ी की प्रतिष्ठा महोत्सव के लिए लगवाई 2 करोड़ की बोलियां
अखिल भारतीय खरतरगच्छ महासंघ के सहमंत्री धर्मेंद्र मेहता के मुताबिक दादावाड़ी का जीर्णोद्धार 3 करोड़ की राशि से हुआ है। प्रतिष्ठा महोत्सव 18 जनवरी को होना है। इसके लिए उन्होंने अपनी वाणी से समाज को इस तरह से प्रेरित किया कि इस अवसर पर होने वाले अलग-अलग आयोजन के लिए दो कराेड की बोलियां लगीं। उनके पास मंदिर निर्माण के साथ पूजन विधान और जैन दर्शन की गहरी समझ है। वे जब बोलियों लगवाते हैं तो उसका प्रभाव भी समाजजनों पर पड़ता है।
शहर में भी 6 मंदिर के बन चुके विधिकारक
अखिल भारतीय खरतरगच्छ श्रीसंघ के प्रचार सचिव योगेंद्र सांड बताते हैं कि एक हजार से अधिक मंदिरों की प्रतिष्ठा में अहम भूमिका निभा चुके हैं। जब भी मंदिर के निर्माण में समाज की वह पहली पसंद होते हैं। शहर में कालानी नगर, हाइलिंक सिटी, पिपली बाजार सहित 6 मंदिर की प्रतिष्ठा उन्होंने की। वे अपनी सेवाएं निशुल्क देते हैं। एक हजार से अधिक मंदिर की प्रतिष्ठा में अहम भूमिका निभा चुके हैं।
अमेरिका में 120 एकड़ में सम्मेद शिखर व सिद्धांचल
-अमेरिका में सम्मेद शिखरजी और सिद्धांचल तीर्थ का निर्माण 120 एकड़ में किया जा रहा है। इसके लिए अब तक 80 कराेड की बोलियां बोली गईं।
-तिरुपति में गुरुवानंद आश्रम में 100 करोड़ की राशि से सर्वधर्म मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। इसमें 100 करोड़ की बोलियां लगी। इसमें एक व्यक्ति ने ही 50 करोड़ की बोली ली।
-मंदिरों के अलावा 25 जगह उपाश्रय, 20 दादावाड़ी में भी उन्होंने अपनी भूमिका निभाई। इसके साथ ही अस्पताल, स्कूल और प्याऊ का निर्माण भी किया।
साभार- https://naidunia.jagran.com/ से