Saturday, November 23, 2024
spot_img
Homeसोशल मीडिया सेकलम आज मौलवी मोहम्मद बाक़ीर की जय बोल !

कलम आज मौलवी मोहम्मद बाक़ीर की जय बोल !

क्या आपको पता है कि भारतीय स्वतंत्रता-संग्राम में शहादत सिर्फ उन वीरों की नहीं हुई थी जिन्होंने हथियारों के दम पर यह लड़ाई लड़ी थीं, कलम से आज़ादी की लड़ाई लड़ने वाला एक शख्स भी शहीद हुआ था ? मौलवी मोहम्मद बाक़ीर देश के पहले और शायद आखिरी पत्रकार थे, जिन्होंने 1857 में स्वाधीनता के पहले संग्राम में अपने प्राण की आहुति दी थी। मौलवी साहब अपने समय के बेहद निर्भीक पत्रकार रहे थे। वे उस दौर के सबसे लोकप्रिय ‘उर्दू अखबार दिल्ली’ के संपादक थे। ज्वलंत सामाजिक मुद्दों पर जनचेतना जगाने के अलावा दिल्ली और आसपास अंग्रेजी साम्राज्यवाद के खिलाफ जनमत तैयार करने में इस अखबार की बड़ी भूमिका रही थी। वे अपने अखबार में अंग्रेजों की विस्तारवादी नीति के विरुद्ध लगातार लिखते रहे।

1857 के स्वतंत्रता सेनानियों के बीच अपने जोशीले लेखन के कारण वे बेहद लोकप्रिय थे। हिन्दू-मुस्लिम एकता के पक्षधर यह पत्रकार दोनों क़ौमों के बीच फूट डालने की अंग्रेजों की कोशिशों को लगातार बेनक़ाब करता रहा। लार्ड केनिंग ने 13 जून 1857 को मौलवी साहब के बारे में लिखा था – ‘पिछले कुछ हफ्तों में देसी अखबारों ने समाचार प्रकाशित करने की आड़ में भारतीय नागरिको के दिलों में दिलेराना हद तक बगावत की भावना पैदा कर दी है।’ अंग्रेजों ने उन्हें बड़ा खतरा मानकर गिरफ्तार किया और संक्षिप्त सुनवाई के बाद सज़ा-ए-मौत दी। कलम के इस 79-वर्षीय सिपाही को तोप के मुंह पर बांध कर उडा दिया गया जिससे उनके वृद्ध शरीर के परखचे उड़ गए। यह दुर्भाग्य है कि आज़ादी की लड़ाई के इस शहीद पत्रकार को न कभी देश के इतिहास ने याद किया और न देश की पत्रकारिता ने। इन दिनों देश की पत्रकारिता के गिरते स्तर को देखते हुए मौलवी बाक़ीर के आदर्शों और जज्बे को याद करने की सबसे ज्यादा ज़रुरत है। इतिहास के इस विस्मृत नायक को नमन, उनकी शहादत की एक दुर्लभ तस्वीर और शहादत के पूर्व उनके आखिरी शब्दों के साथ !

‘‘मेरे देशवासियों, वक़्त बदल गया। निज़ाम बदल गया। हुकूमत के तरीके बदल गए। अब ज़रुरत है कि आप खुद को भी बदलो। अपनी सुख-सुविधाओं में जीने की बचपन से चली आ रही आदतें बदलो ! अपनी लापरवाही और डर में जीने की मानसिकता बदल दो। यही वक़्त है। हिम्मत करो और विदेशी हुक्मरानों को देश से उखाड़ फेको !”

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार