केवल ४०० वर्षों में ईरान ने इस्लाम के सामने घुटने टेक दिए! भारत १,४०० वर्षों से इस्लाम से युद्ध लड़ रहा है, और आज भी अच्छा सामना कर रहा है, लड़ रहा है!
*इतिहास की वास्तविकता से आज भी अनभिज्ञ है! सच्चाई तो ये है कि मुसलमान इस बात पर गौरवान्वित होते हैं, कि इस्लाम तलवार के बल पर फैला है!*
*इस्लाम और इतिहास के विद्वानों ने अपनी पुस्तकों में ही अत्यंत स्पष्ट लिखा है, कि गांवो, बस्तियों, शहरों पर नियंत्रण होने के बाद, इस्लाम बादशाहों द्वारा थोपे गए नियम क़ायदों के द्वारा फैलाया गया! जुल्म जबर से फैला, ना कि अपनी किसी अच्छाई के कारण!*
*मुहम्मद के जन्म के केवल १५० वर्षों में ६०% से अधिक एशिया अपने मूल धर्मों – यहूदी, ईसाई, पारसी, हिंदू, बौद्ध, आदि – को छोड़कर, मुसलमान हो गया! और ये सब तलवार के बल पर, और युद्ध में पराजित होने के बाद ही हुआ!*
ईरान में इस्लाम की स्थापना से पहले कुल ३० से अधिक लड़ाइयाँ हुई थींं! निर्णायक लड़ाइयों में ईरान के पारसी शासक की पराजय के बाद, जब ईरान आरबों का गुलाम हो गया, तब जाकर ईरान में इस्लाम फैला है!*
विचलित करने वाली बात ये है, कि ईरान के परम तेजस्वी नागरिक ४० वर्षों के अंदर, इस्लाम के गुलाम होने को विवश कर दिए गए, जबकि भारत में इतने लंबे समय से अत्याचारों के बाद भी, आज भी हिंदू इस आताताई मजहब के विरुद्ध एक बड़ा युद्ध लड़ रहा है!*
अनुमान लगाया जाता है कि इस्लाम के नाम पर, जिहाद के नाम पर, हुई लडाइयों में भारत के ८ करोड़ हिंदुओं का बलिदान हुआ है! ८ करोड़ नागरिकों ने संसार का सबसे बड़ा बलिदान देकर राष्ट्रधर्म की रक्षा की है!*
आप समझ लीजिए कि ये आरब से चला आ रहा एक रक्तपीडित पहिया है, जो लगातार यमन… सीरिया… इराक़.. ईरान जैसे प्रदेशों को रौंदता हुआ भारत की सीमा में आता है, लेकिन यहां भारत के द्वारा ये पहिया रोक दिया जाता है!*
इसका श्रेय भारत के महान वीर पुत्रों को जाता है… छत्रपति शिवाजी महाराज जैसे कूटनीतिज्ञ सम्राट, पृथ्वीराज चौहान जैसे योद्धा, वीर महाराणा प्रताप जैसे शूरवीर, पेशवा बाजीराव जैसे प्रशासक, और ऐसे अनंन्य कुशल महाराजा और रणबाँकुरों ने अपनी जान की बाजी लगाई, तब जाकर देश बचा है! हम इतिहास की वास्तविकता लिख पा रहे हैं, और आप सच्चाई पढ़ पा रहे हैं!*