मुंबई। शंघाई सहयोग संगठन फिल्म महोत्सव के तीसरे दिन फिल्म उद्योग से जुड़े विभिन्न हितधारकों ने सक्रिय भागीदारी की। ‘डोन्ट बरी मी विदाउट इवान’ जैसी फिल्मों की स्क्रीनिंग के दौरान कक्ष पूरा भरा हुआ देखा गया, वहीं वर्कशॉप और चर्चाओं के दौरान भी फिल्म महोत्सव काफी रोचक लगा। प्रदर्शित होने वाली अन्य फिल्मों में किर्गिस्तान की ‘जुकर’, भारत की ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’, उज्बेकिस्तान की ‘मेरोस’ और तुर्की की फिल्म ‘किस्पेट’ शामिल हैं।
डब्सवर्क मोबाइल के सह-संस्थापक और एमडी श्री आदित्य कश्यप ने सिनेबड्स नामक एक एप्लिकेशन का प्रदर्शन करते हुए एक कार्यशाला आयोजित की। ऐप में सिने-प्रेमियों को उनकी पसंद की भाषा में ऑडियो उपलब्ध करके उनके अनुभव को बढ़ाने की क्षमता है। श्री आदित्य कश्यप ने घोषणा करते हुए कहा कि यह ऐप पहले 10 लाख ग्राहकों के लिए मुफ्त में उपलब्ध होगा।
‘भारत और दुनिया भर में सिनेमा वितरण का भविष्य’ पर एक पैनल चर्चा आयोजित की गई। चीन के एससीओ फिल्म महोत्सव ज्यूरी सदस्य निंग यिंग, 91 फिल्म स्टूडियो के संस्थापक और सीईओ नवीन चंद्रा, फिल्म निर्माता और प्रोड्यूसर गिल्ड ऑफ इंडिया के अध्यक्ष सुनीर खेतरपाल, प्रोड्यूसर गिल्ड ऑफ इंडिया शिबाशीष सरकार ने पैनलिस्ट के रूप में काम किया। विशेषज्ञों ने जोर देकर कहा कि महामारी और मंदी जैसी घटनाओं ने सिनेमा पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। हालांकि, उन्होंने ओटीटी प्लेटफार्मों के आगमन के कारण भविष्य या सिनेमा की एक आशावादी तस्वीर प्रस्तुत की, जिससे गुणवत्ता वाले कंटेंट में वृद्धि हुई है।
दिन के आखिरी इन-कन्वर्सेशन सत्र का विषय- “संस्कृतियों, चरित्रों और देशों के साथ मिलकर काम करना” था। पैनल में अर्मेनिया के गुरेश गजेरियन और हयाक ऑर्डियन और कजाकिस्तान के बोलत कलेमबेतोव जैसे प्रशंसित निर्देशक शामिल थे। उन्होंने युवा निर्देशकों और निर्माताओं को एससीओ क्षेत्र में सह-निर्माण में सक्रिय रूप से शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करने पर जोर दिया। इसके अलावा, पैनल ने आग्रह किया कि प्यार और दोस्ती की घटती भावनाओं को फिर से जगाने के लिए रेट्रो फिल्में बनाई जाएं। इसके अलावा, विशेष रूप से सहयोग को बढ़ावा देने में लघु फिल्मों की भूमिका पर सत्र में प्रकाश डाला गया।
एससीओ क्षेत्र में फिल्म निर्देशकों के बीच तालमेल पर बातचीत सत्र का आयोजन
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) फिल्म महोत्सव के तीसरे दिन “संस्कृतियों, चरित्रों और देशों का सहयोग” विषय पर एक इंटरैक्टिव सत्र आयोजित किया गया। इस पैनल में अर्मेनिया के प्रशंसित निर्देशक गरुश ग़ज़रयान और हयेक ऑर्दयान और कजाकिस्तान के निर्देशक बोलात कलेमबेतोव शामिल थे। इस सत्र का संचालन किर्गिस्तान की निर्देशक और टीवी प्रस्तोता गुलबारा टोलोमुशोवा ने किया।
बोलात कलेमबेतोव ने वर्तमान समय में प्यार और दोस्ती की कम होती भावनाओं को फिर से जगाने की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने मुकागली जैसी रेट्रो फिल्में बनाकर ऐसा करने के अपने प्रयास के बारे में बात की। हयेक ऑर्दयान ने इस चर्चा में जोड़ा कि फिल्में किस प्रकार सिने परदे पर प्यार और दोस्ती जैसी मानवीय भावनाओं को चित्रित करने की कोशिश करती हैं। हयेक ऑर्दयान ने कहा कि कोविड के बाद इंसानों के बीच अंतर-वैयक्तिक संबंधों का विषय सबसे आगे आ गया है।
आगे की बातचीत में गरुश ग़ज़रयान ने एससीओ क्षेत्र में अधिक तालमेल के लिए अभिनेताओं, निर्देशकों और निर्माताओं के बीच सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने शॉर्ट फिल्मों की उभरती भूमिका पर भी खासतौर पर ध्यान केंद्रित किया।
पैनल के सदस्यों ने तत्कालीन सोवियत क्षेत्र में “आवारा” और “मेरा नाम जोकर” जैसी राज कपूर की बेहद लोकप्रिय फिल्मों की प्यारी यादों का जिक्र करते हुए सत्र समाप्त किया। बोलात कलेमबेतोव ने आने वाले दिनों में उसी उत्साह और सहयोग को फिर से जगाने की आवश्यकता पर बल दिया।
एससीओ फिल्म महोत्सव में ‘भारत और पूरी दुनिया में सिनेमा वितरण का भविष्य’ पर पैनल परिचर्चा आयोजित
मुंबई में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) फिल्म महोत्सव के तीसरे दिन ‘भारत और पूरी दुनिया में सिनेमा वितरण का भविष्य’ पर एक पैनल परिचर्चा आयोजित की गई। इस सत्र के दौरान फिल्म वितरण के विभिन्न पहलुओं पर जीवंत चर्चा हुई, जिनमें ओटीटी प्लेटफॉर्मों का प्रभाव और महामारी की वजह से फिल्म देखने की आदतों में आया बदलाव भी शामिल है। निंग यिंग, चीन की ओर से एससीओ फिल्म महोत्सव में ज्यूरी की सदस्य; नवीन चंद्रा, 91 फिल्म स्टूडियोज के संस्थापक एवं सीईओ; सुनीर खेत्रपाल, फिल्म निर्माता; और शिबाशीष सरकार, अध्यक्ष, प्रोड्यूसर्स गिल्ड ऑफ इंडिया इस सत्र के दौरान पैनलिस्ट थे।
शिबाशीष सरकार ने इस बात पर चर्चा की कि वैश्विक स्तर पर महंगाई और मंदी से उपभोक्ता व्यय आखिरकार किस तरह से बुरी तरह प्रभावित हुआ है। उन्होंने बताया कि यही कारण है कि महामारी के बाद बेहद कम लोग सिनेमाघरों का रुख कर रहे हैं। नवीन चंद्रा ने बताया कि डिजिटलीकरण की नई लहर ने हर परिवार में ‘व्यक्तिगत आलोचक’ उत्पन्न कर दिया है। फिल्म समीक्षा महज कुछ ही सेकेंडों के भीतर पोस्ट कर दी जाती है और ऐसे में संबंधित फिल्म के लिए कई चुनौतियां उत्पन्न हो जाती हैं। उन्होंने यह भी बताया कि वैश्विक सिनेमा के क्षेत्रीयकरण ने किस तरह से दर्शकों की पसंद को काफी हद तक प्रभावित किया है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि आखिरकार कैसे एक कोरियाई फिल्म ऑस्कर 2022 में सर्वश्रेष्ठ फिल्म बन गई।
सुनीर खेतरपाल ने अपने विचार पेश करते हुए कहा कि कोई भी बड़ी या छोटी फिल्म नहीं होती है, बल्कि केवल अच्छी और बेकार फिल्में होती हैं। उन्होंने कहा कि सिनेमा का सार दरअसल अच्छी फिल्म बनाना है। निंग यिंग ने बड़े सितारों की ओर से वैश्विक सिनेमा को मिल रही एक नई चुनौती की चर्चा की। उन्होंने कहा, ‘बड़े सितारों पर फिल्म निर्माता अपनी उम्मीद के मुताबिक बड़ा दांव लगाते हैं। हालांकि जब कोई फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह से पिट जाती है तो उन्हें भारी नुकसान होता है।’ इसी तरह उन्होंने कहा कि जब दर्शकों की बात आती है तो महामारी के बाद चीन मुख्यत: अपने घरेलू बाजार पर ही अपना ध्यान केंद्रित करता रहा है क्योंकि चीन की विशाल आबादी दरअसल घरेलू सिनेमा के लिए एक विशाल बाजार है।
इस सत्र का समापन शिबाशीष सरकार की इस राय के साथ हुआ कि आखिरकार कैसे हिंदी सिनेमा को प्रासंगिक एवं दमदार कहानियों के साथ बड़ी संख्या में दर्शकों को आकर्षित करते हुए डब फिल्मों के बाजार में अपनी व्यापक पहुंच सुनिश्चित करनी चाहिए। वह ओटीटी प्लेटफॉर्मों के प्रति भी काफी आशान्वित नजर आए और उन्होंने गुणवत्तापूर्ण फिल्म कंटेंट को समृद्ध करने में इनके बहुमूल्य योगदान को स्वीकार किया।
एससीओ फिल्म महोत्सव में ‘ईज़ ऑफ लैंग्वेज इन मूवी वॉचिंग एक्सपीरियंस’ पर वर्कशॉप आयोजित हुई
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) फिल्म महोत्सव में आज ‘ईज़ ऑफ लैंग्वेज इन मूवी वॉचिंग एक्सपीरियंस’ विषय पर वर्कशॉप का आयोजन किया गया। इस वर्कशॉप में सिनेडब्स नामक एक एप्लिकेशन का प्रदर्शन किया गया, जिसमें सिनेप्रेमियों को उनकी पसंद की भाषा में ऑडियो प्रदान करके उनके फिल्म देखने के अनुभव को बढ़ाने की क्षमता है। डब्सवर्क मोबाइल के सह-संस्थापक और एमडी आदित्य कश्यप ने इस सत्र का संचालन किया।
सिनेडब, सिनेमाघर में चल रही फिल्म की भाषा संबंधी बाधा को दूर करते हुए दर्शकों को क्षेत्रीय या विदेशी भाषाओं में फिल्मों का आनंद लेने में सक्षम बनाता है। इसका उपयोग दर्शक घर में भी फिल्मों और ओटीटी शोज़ का अपनी पसंद की भाषा में आनंद लेने के लिए कर सकते हैं। ये भाषा की बाधाओं को दूर करने में मदद करता है और परिवार व दोस्तों को एक साथ बैठने और अपनी पसंद की भाषा में फिल्में देखने में सक्षम बनाता है।
ये ऐप फिल्म या सीरीज में चल रहे मूल ऑडियो को रिकॉर्ड करता है ताकि उसके टाइमस्टैम्प को पहचान सके और फिर वो प्लेबैक के साथ पसंदीदा भाषा को सिंक करता है। आदित्य कश्यप ने इस वर्कशॉप में दर्शकों के सामने इस ऐप के काम करने के तरीके का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया।
आदित्य कश्यप ने कहा कि सिनेडब सिनेमाघरों में दर्शकों की संख्या बढ़ाकर फिल्मों को निर्माताओं के लिए लागत प्रभावी बनाने का काम करेगा। उन्होंने दर्शकों को बताया कि सिनेडब प्लेटफॉर्म पर आने वाली पहली फिल्म आर माधवन स्टारर ‘रॉकेट्री’ थी। उन्होंने टिप्पणी की कि इस ऐप के लिए उनकी प्रेरणा पेरिस में मिशन इम्पॉसिबल देखने का उनका अनुभव था। फ्रेंच थियेटर्स में अंग्रेजी भाषा की पूरी कमी ने उन्हें इस ऐप पर काम करने के लिए प्रेरित किया।
इस कंपनी का लक्ष्य अपने सदस्यता आधार को मोनेटाइज करना और राजस्व उत्पन्न करने के लिए विज्ञापन प्राप्त करना है। संस्थापक आदित्य कश्यप ने घोषणा की कि ये ऐप पहले 10 लाख ग्राहकों के लिए मुफ्त में उपलब्ध होगा।
‘रीचिंग आउट- इंडिया एंड द एससीओ’ पर गोलमेज बैठक का आयोजन
शंघाई सहयोग संगठन फिल्म महोत्सव के दौरान, ‘रीचिंग आउट-इंडिया एंड द एससीओ’ पर एक गोलमेज बैठक का आयोजन किया गया। इस सत्र का उद्देश्य भारत और एससीओ देशों के बीच सहयोग के संभावित रास्ते की खोज करने के लिए केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारतीय उद्योग हितधारकों, फिल्मकारों व फिल्म महोत्सव के जूरी सदस्यों के बीच सहयोग को सुविधाजनक बनाना है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम और फिल्म सुविधा कार्यालय, इन्वेस्ट इंडिया के तत्वावधान में आयोजित इस सत्र की अध्यक्षता सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में अपर सचिव नीरजा शेखर ने की और इसका संचालन संयुक्त सचिव (फिल्म) और प्रबंध निदेशक (एनएफडीसी) पृथुल कुमार ने किया।
सत्र के दौरान, एससीओ सदस्य देशों से प्रतिभा के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने और भारत के साथ सह-निर्माण समझौतों की संभावनाओं को तलाशने तथा संयुक्त परियोजनाओं के माध्यम से विद्यमान भारतीय फिल्म प्रोत्साहनों का लाभ उठाने की अपील की गई। यह देखते हुए कि भारत और सहभागी देशों में अपेक्षाकृत मजबूत फिल्म उद्योग हैं, वहां अन्य देशों के फिल्म उद्योगों के लिए एक केन्द्र के रूप में भारत को बढ़ावा देने की असीम संभावना है। इन देशों में फिल्माई जा रही भारतीय फिल्मों के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराने की क्षमता भी विद्यमान है।
भारत के वर्तमान में चीन और रूस के साथ द्विपक्षीय ऑडियो-विजुअल सह-निर्माण समझौते हैं। ताजिकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान सदस्य देशों और तुर्की जैसे संवाद देशों के साथ सह-निर्माण समझौतों के लिए सक्रियतापूर्वक विचार किया जा रहा है। भारत, नेपाल और श्रीलंका के फिल्म उद्योगों के बीच घनिष्ठ सहयोग है, तथापि कोई द्विपक्षीय समझौता नहीं है। पिछले 6 वर्षों में एक भारत-चीन सह-निर्माण और एक भारत-रूस सह-निर्माण समझौता हुआ है।
एससीओ देशों- चीन (5), ईरान (2), कजाकिस्तान (1), नेपाल (1), रूस (2), श्रीलंका (1) और तुर्की (1) जैसे देशों के लिए कई फिल्मों को भारत में शूटिंग की अनुमति दी गई है और लगभग सभी सदस्य देशों में कई भारतीय फिल्मों की शूटिंग की गई है। इस गोलमेज बैठक का मुख्य उद्देश्य अनुभवों को साझा करना और समग्र इकोसिस्टम में सुधार के लिए दृष्टिकोण और सुझाव प्रदान करना तथा भारत सरकार द्वारा घोषित विदेशी निर्माण और आधिकारिक सह-निर्माणों के लिए प्रोत्साहन के संबंध में आउटरीच प्रदान करना है।