Thursday, December 26, 2024
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सेवा पथिक के बहाने किशोर जी रामुका की यादें ताजा हो गई

मुंबई। आयोजनों और समारोहों की नगरी मुंबई में कुछ समारोह निश्चित ही यादगार हो जाते हैं, और कोई आयोजन अगर किसी पुस्तक के विमोचन का हो और 300 लोग पूरे तीन घंटे तक कार्यक्रम में उपस्थित रहें तो फिर इस पुस्तक का महत्व और जिस पर पुस्तक लिखी गई है उस व्यक्तित्व का महत्व समझा जा सकता है।

मुंबई के विभिन्न संस्थानों से लेकर राजस्थान से मुंबई आकर संघर्ष करने वाले सैकड़ों लोगों को आश्रय देकर रोजगार दिलवाने वाले किशोर रामुका पर प्रकाशित ग्रंथ सेवापथिक के विमोचन में दीदी माँ साध्वी ऋतंभरा जी, उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल श्री राम नाईक, मुंबई के महानगर संघचालक श्री सुरेश भगेरिया, श्री विमल जी केड़िया और डॉ. श्याम अग्रवाल जैसे अतिथियों की उपस्थिति में संपन्न ये कार्यक्रम इस बात का उदाहरण था कि किसी व्यक्ति के चले जाने के बाद भी समाज व परिवार के प्रति उसका योगदान समाज सम्मान के साथ याद रखता है।

साध्वी ऋतंभरा जी ने किशोर जी रामुका को याद करते हुए कहा कि उन्होंने अपने गाँव उदयपुर वाटी में जब मुझसे भागवत कथा करने का आग्रह किया तो मैं मना नहीं कर सकी। इस भागवत कथा में आसपास के कई गाँवों के लोग भागवत सुनने आए और देखते ही देखते ये संख्या 10 हजार तक पहुँच गई। उन्होंने एक रोचक किस्सा बताते हुए कहा कि गाँव के ही एक सामान्य परिवार की महिला ने अपने घर में रखे सब गहने एक थैले में भरकर चुपचाप गाँव में मैं जिस घर में ठहरी थी वहाँ लाकर रख दिये। वह थैला कई दिन तक वहाँ पड़ा रहा, उसे देखा सबने लेकिन किसी ने उस पर ध्यान नहीं दिया। कथा के समापन पर जब हम जाने की तैयारी कर रहे थे तो सबका ध्यान उस थैले की ओर गया और जब उसे खोलकर देखा तो उसमें सोने चांदी के गहने रखे हुए थे। ये देखकर हम दंग रह गए कि ये इतने गहने यहाँ कोई क्यों छोड़ गया। बाद में पता चला कि गाँव की एक महिला ने कथा से प्रभावित होकर अपना सर्वस्व कथा के लिए समर्पित कर दिया था। दीदी माँ ने कहा जिस गाँव के ऐसे संस्कार हों और उस गाँव का एक बच्चा किशोर मुंबई आकर सैकड़ों लोगों के घर बसा दे, कई संस्थाओं को खड़ा कर दे तो ये कोई आश्चर्य की बात नहीं ये उस गाँव की मिट्टी का असर है। दीदी माँ ने कहा कि रामुका जी के मुंबई के एक कमरे के एक छोटे से घर में गाँव से आने वाले 30 से 35 लोग नाश्ता, खाना खान से लेकर रह भी लेते थे। रामुका जी अपनी पत्नी को कहते थे कि मैं जभी जब मुंबई आया था तो किसी ने मुझे सहारा दिया था, तो मैं अगर किसा का सहारा बन रहा हूँ तो ये मेरी जिम्मेदारी है।

श्री राम नाईक ने कहा कि जब टल जी ने उन्हें आदेश दिया कि वे उत्तर मुंबई से चुनाव लड़ें तो ये सुनकर मैं घबरा गया, क्योंकि ये क्षेत्र देश का सबसे बड़ा लोकसभा क्षेत्र तो था ही मेरे पास चुनाव लड़ने के लिए पैसे भी नहीं थे। उस समय किशोर रामुका मुंबई भाजपा के कोषाध्यक्ष थे, उन्होंने मुझसे कहा आप तो चुनाव लड़िये पैसे की व्यवस्था मैं करुंगा। ये किशोर जी की हिम्मत थी कि मैं चुनाव लड़ने के बारे में सोच सका।

मुंबई महानगर संघ चालक एवँ स पुस्तक के प्रेरणास्त्रोत श्री सुरेश भगेरिया ने कहा कि किशोर रामुका हम सभी मित्रों की हिम्मत थे। वो हमारे परिवार से लेकर कारोबार तक की फिक्र किया करते थे। उनके अंदर हौसला, ईमानदारी और समर्पण की भावना ऐसी थी कि हमारे अंदर हिम्मत पैदा हो जाती थी। संघर्ष के दौर में रामुका जी हमारे लिए बहुत बड़ा संबल थे।

रामुका जी के सहयोगी रहे श्री बिमल जी केड़िया ने बताया कि रामुका जी की वजह से कैसे जोगेश्वरी में अस्मिता भवन में स्कूल का निर्माण हो पाया। उन्होंने राजस्थान से मुंबई आकर बसने वाले संघ के कार्यकर्ताओं को एकजुट करने और उन्हें संघ के काम से जोड़ने में अहम भूमिका निभाई।

डॉ. श्याम अग्रवाल ने कहा कि जब गोरेगाँव स्पोर्ट्स क्लब बनना था तो हमारे पास उजाड़ जमीन थी लेकिन पैसा नहीं था, किशोर जी ने तब क्लब के लिए 35 करोड़ रुपये एकत्र किये और आज ये क्लब मुंबई के सबसे शानदार क्लब के रूप में अपनी पहचान बना चुका है।

श्री विनोद लोवड़िया शाह ने कहा कि मैंने रामुका जी के गाँव में ही पढ़ाई की और पढ़ाई के बाद रामुका जी ने मुझे मुंबई बुला लिया और मुझे जहाँ मौका मिलता काम दिलाते रहते। वो मेरे रहने खाने से लेकर इस बात का भी ध्यान रखते थे कि अगर मेरी नौकरी छूट जाए तो आगे कहाँ नौकरी लगवाना है। उन्होंने मुझे मुंबई शहर में अपने परिवार के सदस्य से भी बढ़कर समझा। आज मैं जहाँ भी हूँ उनकी वजह से ही हूँ।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए श्री वीरेन्द्र याज्ञिक ने कहा कि किशोर जी हर किसी की सहायता के लिए तत्पर रहते थे, मुझे जब संयुक्त राष्ट्र संघ की धर्म संसद में भाषण देने जाना था तो उन्होंने मेरी अमरीका यात्रा के लिए आगे बढ़कर सहायता की।

इस अवसर पर सांसद श्री गोपाल शेट्टी ने भी संबोधित किया

कार्यक्रम के अंत में किशोर रामुका जी के बेटे अनूप व अमित रामुका ने आभार प्रदर्शन किया।

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