Sunday, December 29, 2024
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मोदीजी हिंदी बोलते हैं, पूरी सरकार अंग्रेजी की गुलाम

महोदय,

आज लगभग २ वर्ष बीत गए हैं, इन दो वर्षों में यह मेरी तीसरी शिकायत है और 5 बार अनुस्मारक भी भेज चुका हूँ पर फिर भी भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम” ने न तो संज्ञान लिया है न ही ऑनलाइन सेवाओं तथा वेबसाइट में हिंदी को शामिल करने के लिए कोई कदम उठाया है। इनकी भर्ती सम्बन्धी सभी ऑनलाइन सेवाएं एवं आवेदन केवल अंग्रेजी में बनाये जा रहे हैं। राष्ट्रीय भुगतान निगम की वेबसाइट पर एक भी दस्तावेज राजभाषा में उपलब्ध नहीं है।

राजभाषा अधिनियम की धारा ३(३) के अधीन अनिवार्य द्विभाषी दस्तावेज केवल अंग्रेजी में जारी किए जा रहे हैं. डिजिटल भुगतान की सेवाएं, भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम की वेबसाइट एवं अन्य जानकारी केवल अंग्रेजी में जारी होने से जनता में भ्रम की स्थिति बनी रहती है।

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मैं इस ईमेल के माध्यम से अपनी शिकायत फिर से दर्ज करवा रहा हूँ तथाकथित वित्तीय समावेशन की बात करने वाले भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम लिमिटेड में ग्राहकों के हितों का बिलकुल भी ध्यान नहीं रखा जा रहा है इसलिए इनके विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई करें और मुझे सूचित करें।

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राजभाषा अधिनियम के विरुद्ध निगम ने अपनी सभी 5 सेवाओं के नाम एवं प्रतीक चिह्न (लोगो) (अनुलग्नक देखें) सिर्फ अंग्रेजी में बनाए हैं इन सेवाओं के नाम हिंदी में रखे जाने चाहिए और उनके तथा रुपे कार्ड के लोगो में राजभाषा को स्थान मिलना ही चाहिए, जैसा कि सन 1972 से नियम है और 2008 में राष्ट्रपति जी ने भी सभी प्रतीक चिह्न हिंदी में बनाने का निर्देश दिया है ।

सोशल मीडिया ट्विटर/फेसबुक पर भी राष्ट्रीय भुगतान निगम की ताजा सूचनाएँ केवल अंग्रेजी में जारी होती हैं जो आम जनता तक नहीं पहुँच पाती हैं।

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जब तक जनभाषाओं में बैंक एवं डिजिटलभुगतान सेवाएँ उपलब्ध नहीं करवाई जाएँगी, वित्तीय समावेशन असम्भव है, आम जनता की सुविधा के लिए जरूरी है कि भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम अपनी सभी सेवाओं में राजभाषा हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषाओं का प्रयोग अनिवार्य करे।

मैंने पिछला ईमेल 11 दिसंबर 2015 को लिखा था और उसके पहले 15 दिसंबर 2014 को लिखा था, मेरी शिकायत का लगभग ढाई साल (31 महीने) बीतने पर भी भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम” ने न तो संज्ञान लिया है न ही ऑनलाइन सेवाओं तथा वेबसाइट में हिंदी को शामिल करने के लिए कोई कदम उठाया है। इनकी भर्ती सम्बन्धी सभी ऑनलाइन सेवाएं एवं आवेदन केवल अंग्रेजी में बनाये जा रहे हैं।

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मैं इस ईमेल के माध्यम से अपनी शिकायत फिर से दर्ज करवा रहा हूँ तथाकथित वित्तीय समावेशन की बात करने वाले भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम लिमिटेड में ग्राहकों के हितों का बिलकुल भी ध्यान नहीं रखा जा रहा है इसलिए इनके विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई करें और मुझे सूचित करें।

जब तक जनभाषाओं में बैंक सेवाएँ उपलब्ध नहीं करवाई जाएँगी, वित्तीय समावेशन की बात केवल ढोंग ही बनी रहेगी। इस देश में अंग्रेजी के दम पर वित्तीय समावेशन कभी नहीं होगा ये बात भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम लिमिटेड के निदेशक मंडल को भी समझायी जाये।

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भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम लिमिटेड ने राजभाषा अधिनियम का उल्लंघन करते हुए अपना प्रतीक-चिह्न (NPCI) और ‘रुपे’ का चिह्न एवं वेबसाइट केवल अंग्रेजी में बनाई है जो भारत के उन 95% ग्राहकों के अधिकारों का भी हनन है जो बैंकों की सेवाएँ लेते हैं तथा अंग्रेजी का एबीसी भी नहीं जानते, इस सम्बन्ध में सरकार कानून का उल्लंघन रोकने एवं ग्राहकों को बैंकिंग सेवाएँ भारतीय भाषाओं में दिलवाने हेतु क्या कदम उठा रही है?

राजभाषा अधिनियम की धारा ३ (३) के अंतर्गत आने वाले महत्वपूर्ण दस्तावेज भी केवल अंग्रेजी में जारी कर रहा है और संसाधनों के अभाव की दुहाई दे रहा है, जनता की भाषा में काम करने में भी यही रोना.

भवदीय
प्रवीण जैन
201 ए, आदीश्वर सोसाइटी
सेक्टर 9 ए, वाशी, नवी मुम्बई
पिन: 400703

एक निवेदन

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