विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में लोकसभा चुनाव संपन्न हुए तथा तीसरी बार नरेंद्र मोदी ने देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लिया। इतनी लंबी चुनाव प्रक्रिया मैं जहां संपूर्ण विपक्ष एकजुट होकर नरेंद्र मोदी के खिलाफ संविधान बदल देने के नॉरेटिव को गढ़कर भी सत्ता को हथिया पाने में बुरी तरह असफल रही वहीं चुनाव के तुरंत बाद ओपन-एआई संस्था के द्वारा एक आधिकारिक बयान जारी किया गया कि भारत के लोकसभा चुनाव को इजरायल की कंपनियों के द्वारा बड़े स्तर पर नरेंद्र मोदी के विरुद्ध करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग करते हुए सोशल मीडिया का दुरुपयोग किया गया। ऐसे में देश के ख्यातिलब्ध पत्रकार श्री अशोक श्रीवास्तव के द्वारा हाल ही में लिखी गई पुस्तक मोदी v/s खान मार्केट गैंग बेहद प्रासंगिक हो जाती है। प्रकाशित होते ही तेजी से चर्चा में आई इस पुस्तक का विमोचन बीते दिनों डॉ. सुधांशु त्रिवेदी जी द्वारा नई दिल्ली में किया गया।
इस पुस्तक में लेखक ने भारत की संप्रभुता एवं लोकतंत्र को अस्थिर करने के लिए भारत से लेकर वैश्विक स्तर तक फैले भारत विरोधी तत्वों द्वारा चलाए जा रहे नॉरेटिव की जंग के बारे में विस्तार से लिखा है। यह पुस्तक ऐसे लोगों का पर्दाफाश करती है जो अपने निजी एवं राजनीतिक स्वार्थ के कारण पेड वर्कर बनकर भारत के खिलाफ एक छद्म युद्ध लड़ रहे हैं। संभव है की इसी खतरे को भांपते हुए स्व. जनरल बिपिन रावत जी ने ढाई मोर्चे के युद्ध की तैयारी का आह्वान किया था। लेखक ने 25 अध्यायों और 295 पन्नों की अपनी इस पुस्तक में खान मार्केट गैंग के षडयंत्रों का बड़ी बेवाकी व तर्कपूर्ण ढंग से पर्दाफाश किया है।
इस पुस्तक के प्रारंभिक अध्यायों में नई दिल्ली से न्यूयॉर्क तक फैले हुए इस खान मार्केट गैंग और उसके द्वारा 2024 के लोकसभा चुनाव को हाईजैक करने के क्रम में संविधान बदलने के नॉरेटिव को गढ़ते हुए गैंग का वर्तमान परिदृश्य बहुत बेहतर ढंग से पुस्तक के प्रारंभ में समझाया है। इससे पाठक देश के प्रधानमंत्री के विरुद्ध छेड़े गए इस नैरेटिव युद्ध को आसानी से समझकर पुस्तक से जुड़ जाता है।
पुस्तक में मोदी के खिलाफ़ लंबे समय से खान मार्केट गैंग के छुटभैया लुटियंस मीडिया द्वारा गढ़े जा रहे तानाशाह के नेरेटिव जो 2014 में प्रारंभ हुआ था उसकी 2024 तक की पूरी यात्रा का सिलसिलेवार वर्णन करते हैं। इंडी एलायंस के द्वारा देश के 14 चुनिंदा पत्रकारों को प्रतिबंधित और बहिष्कृत करने का कुचक्र कैसे इसी खान मार्केट गैंग के द्वारा “नेमिंग एंड शेमिंग” करने हेतु रचा गया, यह घटना इतिहास के उस कालखंड से पाठकों को जोड़ती है जब सरदार पटेल को दूरदर्शन पर कम से कम दिखाने का षड्यंत्र रचा गया था और यह खबर समाचार पत्रों में छपी थी।
अशोक श्रीवास्तव जी ने एक अध्याय में मीडिया संस्थानों पर छापे और अभिव्यक्ति की आजादी पर होने वाले सिलसिलेवार हमले के बारे में विस्तार से लिखते हुए बताते हैं कि कैसे दूरदर्शन को सुनियोजित तरीके से प्रभाव शून्य किया गया और अपने चुनिंदा मीडिया संस्थानों को आगे बढ़ाया गया और मालामाल किया गया। खान मार्केट गैंग को होने वाली विदेशी फंडिंग व मीडिया की आजादी के नाम पर फर्जी इंडेक्स दिखाकर भारत को बदनाम करने के षड्यंत्र के बारे में लेखक ने विस्तार से लिखा है जो देश के द्वारा पढ़ा जाना अत्यंत आवश्यक है।
2014 में नरेंद्र मोदी सरकार के केंद्र में आने के बाद जब खान मार्केट गैंग का लुटियंस से सरकार चलाना बंद हुआ तो बिलबिलाए और शक्तिहीन गैंग ने फैक्ट चेक के नए टूल के साथ इनफॉरमेशन वारफेयर के मोर्चे पर घुसपैठ करने लगे। यह पुस्तक बताती है की कैसे देशभर में मुसलमान को डराने और किसानों के नाम पर देश को तोड़ने के खालिस्तान आंदोलन को हवा देने के पीछे यह खान मार्केट गैंग कम कर रहा है। हाल ही में कंगना रनौत को थप्पड़ मरने वाली घटना के द्वारा इसी किसान आन्दोलन की आड़ में देश में पुनः अशांति फैलाने के कुचक्र इसी खान मार्किट गैंग के टूलकिट का अंग है जिसे परत दर परत इस किताब में उधेडा गया है।
देश के विकास, सेंट्रल विस्टा और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के बारे में भी नकारात्मक बातें कर देश के उत्साह को भंग किया जा रहा था। कैसे कश्मीर के मुद्दे पर देश की संप्रभुता पर आघात किया गया और भारत के जन मन में व्याप्त मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के बारे में नफरत फैलाते हुए मंदिर पर सियासत करने के लिए यह गैंग सक्रिय रहा इन सभी बातों को विस्तार से इस पुस्तक में बताया गया है। लेखक ने जॉर्ज सोरोज जैसे भारत विरोधियों, देश-विदेश के बिकाऊ मीडिया एवं फंडिंग पर पलने वाले पत्रकारों, एनजीओ गैंग के तीन तिगाड़ों को बाखूबी एक्सपोज किया है। फैक्ट और तथ्यों के साथ प्रस्तुतीकरण किताब को समृद्ध और सार्थक बनाती है। अशोक श्रीवास्तव जी ने इस पुस्तक हेतु मात्र लेखक का धर्म नहीं निभाया है अपितु अपने पत्रकारिता कौशल से सम्पूर्ण तथ्यों, बिंदुओं, घटनाओं सहित एक पूर्ण दस्तावेज के रूप में देश में हो रहे नरेटिव की जंग का साक्षीभाव से रिपोर्टिंग किया है। यह पुस्तक पठनीय एवं संग्रहणीय है।
पुस्तक: मोदी vs खान मार्केट गैंग
लेखक: अशोक श्रीवास्तव
प्रकाशक: काउंसिल फॉर मीडिया एंड पब्लिक पॉलिसी रिसर्च
मूल्य: INR 399.00/-
समीक्षक: शिवेश प्रताप
मोब: 8750091725