प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी अच्छे वक्ता हैं इसमें कोई दोराय नहीं. यह भी सच है कि उनके भाषणों की पहुंच जबरदस्त है. अपने भाषण में वो जो पंचलाइन देते हैं वह कई दिनों तक सुर्खियों में रहती हैं. उनके भाषणों की सफलता का राज़ उनकी वाक् शैली तो है ही साथ ही हिन्दी में भाषण देने का उनका अंदाज सीधे लोगों के दिलों को छू जाता है. यह तो हुई पीएम की बात. अब बात देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी की करते हैं. राहुल गांधी भले ही पीएम मोदी की तरह वाक् कला में मशहूर न हों लेकिन पिछले कुछ समय से वह सोशल मीडिया खास तौर से ट्विटर पर छाए हुए हैं. जी हां, राहुल गांधी के ट्वीट पीएम मोदी के मुकाबले औसतन ज्यादा रिट्वीट हुए हैं और इस कामयाबी का श्रेय हमारी राज भाषा हिन्दी को जाता है. ऐसा हम नहीं कह रहे हैं बल्कि यह बात मिशिगन यूनिवर्सिटी (University of Michigan) की एक रिसर्च में सामने आई है.
जी हां, मिशिगन यूनिवर्सिटी की रिसर्च के मुताबिक भारत में अंग्रेजी की तुलना में हिन्दी भाषा में किए गए ट्वीट के शेयर होने की संभावना काफी ज्यादा रहती है. मिशिगन यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ इंफॉर्मेशन में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर काम कर रहे जॉयोजीत पॉल (Joyojeet Pal) और पीएचडी स्टूडेंट लिया बोजार्ट ( Lia Bozarth) ने इस रिसर्च को अंजाम तक पहुंचाया.
रिसर्च के मुताबिक जनवरी 2018 से अप्रैल 2018 के बीच भारतीय राजनेताओं के जिन 15 ट्वीट्स को सबसे ज्यादा रिट्वीट किया गया उनमें से 11 हिन्दी भाषा में थे. इस स्टडी के लिए पाल और बोजार्ट ने 274 राजनेताओं और उनके राजनीतिक ट्विटर एकाउंट का विश्लेषण किया. इस स्टडी में उन्हीं राजनेताओं के एकाउंट को शामिल किया गया जिनकी पार्टी में पोजिशन या पोस्ट थी और जिनके 50 हजार से ज्यादा फॉलोवर्स थे.
रिसर्च में यह बात सामने आई कि भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऑनलाइन फॉलोइंग के मामले में सबसे आगे हों, लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि राहुल गांधी के ट्वीट्स को सबसे ज्यादा रिट्वीट किया गया है.
पाल के मुताबिक, ”राहुल गांधी के ट्वीट्स की लोकप्रियता की वजह यह हो सकती है कि वे काफी आक्रामक होते हैं. वह अपने ट्वीट में वन-लाइनर्स का इस्तेमाल करते हैं. शब्दों के साथ खेलते हैं और तुकबंदी भी करते हैं. यही नहीं उनके ज्यादातर ट्वीट्स हिन्दी भाषा में होते हैं.”
शोधकर्ताओं का कहना है कि अंग्रेजी की तुलना में स्थानीय भाषाओं में भावनाओं का इज़हार ज्यादा अच्छे से हो पाता है. उनके मुताबिक, ”जिन ट्वीट्स को सबसे ज्यादा रिट्वीट किया गया उनमें कटाक्ष भी था और अपमानजनक बातें भी थीं.”
हालांकि शोधकर्ता यह भी मानते हैं कि अभी भाषा के कुल प्रभाव के बारे में कहना जल्दबाजी होगी लेकिन कुछ ट्रेंड जरूर बन गए हैं- साल 2016 के बाद से राजनीतिक पार्टियों के लिए हिन्दी ट्वीट ज्यादा अच्छा काम करते हैं. साथ ही गैर-हिन्दी ट्वीट्स की पहुंच और प्रभाव वैसा नहीं है जैसा हिन्दी या अंग्रेजी के ट्वीट्स का होता है.
बहरहाल, हम तो यही कहेंगे कि हिन्दी कमजोरी नहीं बल्कि ताकत है. बाजार तो हिन्दी का लोहा मान ही चुका है और राजनेता भी इसके फायदों को नजरअंदाज नहीं कर पा रहे हैं. राहुल गांधी इस बात को समझ रहे हैं और इसके अच्छे परिणाम भी उन्हें मिल रहे हैं.