लोकसभा चुनाव के पहले भारतीय चुनाव आयोग ने मतदाता सूची में गड़बड़ दूर करने के लिए कमर कस ली है। मुख्य रूप से डुप्लीकेट नाम हटाने, हटाए गए नामों और जोड़े गए नए नामों का परीक्षण किया जाएगा। आयोग ने दो सॉफ्टवेयर बनाए हैं, जो मुख्य निर्वाचन अधिकारी को दिए गए। इनके जरिए हर जिले की वोटर लिस्ट का परीक्षण किया जाएगा।
चुनाव आयोग ने पहला सॉफ्टवेयर एसक्यूएल के आधार पर विकसित किया है जो सभी राज्यों के सीईओ को दिया गया है। इससे सभी तरह के संभावित डुप्लीकेट नामों को पकड़ा जाएगा। दूसरा सॉफ्टवेयर पायथॉन के आधार पर बनाया गया है। यह आयोग की वेबसाइट पर ही रहेगा। इसके इस्तेमाल के लिए निर्वाचन कार्य से जुड़े सभी अफसरों को लॉगिन और पासवर्ड दिया जाएगा। इससे वोटर लिस्ट का ऑनलाइन परीक्षण कर डुप्लीकेट नामों को पकड़ा जाएगा।
देना होगा पार्ट-4
वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने के लिए फार्म 6 तो भर दिया जाता, लेकिन पुराने स्थान पर नाम नहीं हटवाया जाता। इसके चलते डुप्लीकेट नाम आ जाते हैं। आयोग ने व्यवस्था कर दी है कि फार्म 6 भरते समय उसके साथ पार्ट-4 भी देना होगा। पार्ट-4 किसी अन्य स्थान पर नाम होने पर उसे हटाने का आवेदन है।
ऑनलाइन फॉर्म भरते समय भी पार्ट-4 देना होगा। बीएलओ बिना पार्ट-4 के फार्म 6 नहीं लेगा और यदि लिया भी तो वह आगे रिजेक्ट हो जाएगा। ऎसा इसलिए किया जा रहा है कि यदि किसी का नाम किसी अन्य स्थान पर हो तो उसे हटाया जा सके।
इस तरह खोजे जाएंगे नाम
- सॉफ्टवेयर वोटर लिस्ट को क्रॉस चेक कर नाम, उम्र, पिता का नाम, पता आदि के आधार पर डुप्लीकेट नामों की खोज करेगा। इन नामों की अलग लिस्ट बनेगी।
- डुप्लीकेट नाम मिलने पर, दोनों इंट्री को एक के नीचे एक प्रिंट कर लिया जाएगा। ईआरओ दोनों नामों के फोटो के आधार पर जांच करेगा कि ये एक हैं या अलग-अलग।
- यदि फोटो मैच हो जाते हैं तो बीएलओ सत्यापन करेगा। दोनों नामों से उस नाम को हटा दिया जाएगा, संबंधित व्यक्ति जिस पते पर नहीं रहता है।
- राज्यों की सीमाओं पर डुप्लीकेट नामों पर विशेष परीक्षण होगा क्योंकि सीमा के जिलों और गांवों में डुप्लीकेट इंट्री की संभावना ज्यादा हो सकती है।