भोपाल। म.प्र. के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा 12 सितम्बर, 2015 को भोपाल में हुए दसवें विश्वहिन्दी सम्मेलन के समापन अवसर पर दिये गये निर्देशों के अनुरूप राज्य शासन ने यह निर्णय लिया है कि सरकारी कामकाज में हर जगह हिन्दी का ही प्रयोग किया जाएगा। इस संबंध में अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव, सभी विभागाध्यक्ष, संभागायुक्त, कलेक्टर्स और जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को अवगत करवाया गया है।
आदेशानुसार किसी अधिकारी-कर्मचारी को किसी प्रकार की शास्ति इस आधार पर नहीं हो सकेगी कि उसे अंग्रेजी नहीं आती। हिन्दी में काम करने के परिणाम स्वरूप यदि किसी को प्रताड़ना अथवा हतोत्साहित किया जाता है तो इस पर सख्ती से प्रतिबंध लगाया जाये। राज्य शासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि सभी विभाग, संचालनालय, निगम, उपक्रम या अर्ध-शासकीय संस्थान में कोई भी कार्रवाई अंग्रेजी में होती पायी जाती है तो उसे शासन के आदेशों की गंभीर अवहेलना तथा कदाचरण माना जायेगा और संबंधित अधिकारी के विरुद्ध सख्त अनुशासनात्मक कार्यवाही की जायेगी।
सरकारी काम-काज एवं पत्र-व्यवहार में हिन्दी का प्रयोग अनिवार्य
राज्य शासन ने निर्देश दिये हैं कि सभी शासकीय कार्य, पत्र-व्यवहार अनिवार्यत: राजभाषा हिन्दी में ही हो। केन्द्र शासन को भेजे जाने वाले पत्रों के साथ उनका अंग्रेजी अनुवाद भी संलग्न कर दिया जाये। अन्य राज्यों से पत्र-व्यवहार संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार ही किया जाये। सचिव, विभागाध्यक्ष और निगमों के प्रमुख कार्यपालिक अधिकारी का दायित्व होगा कि अपने विभाग में हिन्दी में काम हो रहा है या नहीं।
सरकारी कार्यालयों, अर्ध-शासकीय निकायों, उपक्रमों तथा निगमों में तकनीकी और गैर-तकनीकी सभी प्रकार का सरकारी काम-काज अनिवार्य रूप से हिन्दी में ही किये जाने के स्पष्ट और सख्त निर्देश हैं। उन्हें अनेक बार दोहराया भी जा चुका है। केन्द्र तथा अन्य राज्यों से भी पत्र-व्यवहार संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार निर्दिष्ट भाषा में ही किये जाने चाहिये। इसमें कोई विकल्प नहीं है। राज्य शासन के देखने में आ रहा है कि कुछ विभाग, निगम, उपक्रम और अर्ध-शासकीय संस्थान अभी भी तकनीकी विषयों का बहाना लेकर अपने दैनिक सरकारी काम-काज, पत्र-व्यवहार, नाम-पट्ट, सूचनाएँ, समाचार-पत्रों में निविदाएँ, विज्ञप्तियाँ आदि के प्रकाशन तथा केन्द्र और अन्य राज्यों से सम्पर्क में अंग्रेजी का उपयोग करते हैं।