Monday, December 23, 2024
spot_img
Homeमीडिया की दुनिया सेसांसद हुकुम सिंह ने कहा, गाय को पूजने वालों का दर्द तो...

सांसद हुकुम सिंह ने कहा, गाय को पूजने वालों का दर्द तो समझिए

गौरक्षकों को लेकर चल रहे विवाद के बीच कैराणा से सांसद हुकुम सिंह ने गुरुवार को लोकसभा में कहा कि गौरक्षकों के खिलाफ आवाज उठाना छद्म धर्मनिरपेक्ष लोगों के लिए फैशन बन गया है। उन्‍होंने कहा कि ये लोग यहां-वहां होने वाली छोटी-मोटी घटनाओं पर चिल्‍ला-चिल्‍लाकर राई का पहाड़ बना देते हैं। उत्‍तर प्रदेश से आने वाले हुकुम सिंह ने गाय का आदर करने वाले लोगों का दर्द न समझने पर विपक्ष के नेताओं पर भी हमला बोला। उन्‍होंने कहा कि गाय का सम्‍मान करने वालों का दर्द समझने के बजाय ये लोग गाय की रक्षा के नाम पर होने वाली किसी भी घटना का राजनीतिकरण कर देते हैं।

अनुदान की मांग पर बहस के दौरान बोलते हुए हुकुम सिंह ने ‘गायों पर हो रहे अत्‍याचार’ का मामला उठाया। उन्‍होंने कहा कि गायों को ट्रक में भरकर एक राज्‍य से दूसरे में ले जाते हुए उन्‍होंने खुद ने देखा है। सांसद ने कहा, ” उनमें से करीब 15 मर गई और मरी हुई गायों को कत्‍लखाने ले जाकर बीफ के रूप में बेचा गया। क्‍या इससे ज्‍यादा गंभीर बात कुछ और हो सकती है।” उनके बयानों से विपक्षी सांसद उत्‍तेजित हो गए और विरोध करने लगे। इस पर भाजपा सांसदों ने उन्‍हें बैठ जाने को कहा। मेरठ से भाजपा सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने कहा, ”भारत को समझने की कोशिश करो। गांधीजी ने क्‍या कहा था इसे समझने का प्रयास करो।”

बहस शुरू होने के समय वित्‍त मंत्री अरुण जेटली सदन में मौजूद थे लेकिन जब यह बयान दिए गए जब वे वहां पर नहीं थे। हुकुम सिंह ने आगे कहा, ”यदि ऐसे अवैध कामों के खिलाफ हम कार्रवाई की मांग करते हैं तो इसे दमन कहा जाता है। आपने कभी सोचा है यह कितना तकलीफ देता है? आपको ऐसा क्‍यों लगता है कि हमें इससे परेशान नहीं होना चाहिए? आप हमारा दर्द क्‍यों नहीं समझते? गायों को लेकर आपके मन में इतनी नफरत क्‍यों है? क्‍या ऐसे करने वालों पर कार्रवाई नहीं होनी चाहिए? छद्म धर्मनिरपेक्ष होना फैशन बन गया है। मैं कहता हूं, मैं गायों का आदर करने वाले परिवार से आया हूं। यहां-वहां छोटी-मोटी घटनाएं हुई होंगी। कुछ लोग राई का पहाड़ बनाने में लगे हैं।”

हुकुम सिंह सात बार विधायक भी रह चुके हैं। उन्‍होंने कहा, ”कुछ राजनेता हैं जो इस तरह की घटनाओं पर अपने कार्यक्रम बनाते हैं। लेकिन यह सच्‍चा धर्मनिरपेक्षवाद नहीं है। यह धर्मनिरपेक्षता पर धब्‍बा है।”

साभार- इंडियन एक्सप्रेस से

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार