भारतीय मूल के सिख तनमनजीत सिंह ढेसी उर्फ टैन ढेसी और वीरेंद्र शर्मा ने इंग्लैंड में इतिहास रचा है. तनमनजीत सिंह ब्रिटेन की संसद हाऊस ऑफ कॉमन्स के पहले सिख यानी पगड़ीधारी सांसद चुने गए हैं. इससे पहले वह इंग्लैंड के ग्रेवशैम शहर में यूरोप के सबसे युवा सिख मेयर बनने का भी कारनामा कर चुके हैं. मूल रूप से जालंधर के रायपुर गांव के रहने वाले तनमनजी सिंह स्थानीय उम्मीदवार को हराकर सांसद चुने गए हैं. वीरेंद्र शर्मा साऊथ हाल के ईलिंग्स से लगातर चौथी बार सांसद का चुनाव जीते हैं. वीरेंद्र शर्मा इसलिए भी चर्चा में हैं, क्योंकि वे इंग्लैंड में ट्रक ड्राइवर की नौकरी करते थे. देश का नाम रोशन करने वाले वीरेंद्र सिंह ने इंग्लैंड में ट्रक ड्राइवर के रूप में अपना सफर शुरू किया था. इसी दौरान उनका रुझान यहां की राजनीति की ओर हुआ.
वीरेंद्र शर्मा का बचपन फगवाड़ा के साथ लगते गांव मंढाली में बीता है. फगवाड़ा में आज भी उनका मकान है, वे यहां आते भी रहते हैं. इस तरह फगवाड़ा उनका एक तरह से घर ही है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वीरेंद्र सिंह को कबड्डी खेलना बेहद पसंद है. वे बचपन में गांव में खूब कबड्डी खेला करते थे. 5 अप्रैल 1947 को जन्मे वीरेंद्र शर्मा अपने विनम्र स्वभाव के लिए जाने जाते हैं.
मालूम हो कि इंग्लैंड के मध्यावधि चुनावों में भारतीय मूल के 12 नेताओं ने जीत दर्ज की, वहीं चार पंजाबी मूल के हैं. भारतीय मूल की प्रीत कौर गिल बर्मिंघम से चुनाव जीत गई हैं. वह इस तरह चुनाव जीतने वाली पहली सिख महिला बन गई हैं. प्रीत कौर गिल लेबर पार्टी से ताल्लुक रखती हैं और बर्मिंघम एजबेस्टन सीट से उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 6,917 वोटों से हराया. चुनाव जीतने के बाद उन्होंने कहा, ”मुझे इस बात की खुशी है कि एजबेस्टन से सांसद बनने का मौका मिला क्योंकि मेरा यहां जन्म और परवरिश हुई है…”.
इसी तरह भारतीय मूल के सिख तनमनजीत सिंह धेसी स्लॉ से चुनाव जीत गए हैं. वह यहां से चुनाव जीतने वाले पहले पगड़ीधारी सिख सांसद बन गए हैं. तनमनजीत सिंह उर्फ टैन भी लेबर पार्टी से ही जुड़े हैं और अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को उन्होंने तकरीबन 17 हजार मतों से हराया. भारतीय मूल के कीथ वाज ने लीसेस्टर ईस्ट से जीत हासिल की है.