मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हिन्दी सभी को जोड़ने वाली भाषा है। यह सबको एकता के सूत्र में पिरोती है। हिन्दी भाषी क्षेत्र में प्रशासन में हिन्दी का प्रयोग होना मानवाधिकार है। उन्होंने कहा कि हिन्दी के विस्तार के लिए मध्यप्रदेश में जो भी संभव है वह सब किया जाएगा। श्री चौहान आज विश्व हिन्दी सम्मेलन के दूसरे दिन प्रशासन में हिन्दी सत्र की अध्यक्षता कर रहे थे। इस मौके पर विभिन्न विद्वान और प्रतिभागियों ने प्रशासन में हिन्दी के उपयोग के उपयोगी सुझाव दिए।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रशासन में ऐसी भाषा का उपयोग होना चाहिए जिसे आमजन भी समझ सके। इसके लिए प्रदेश में प्रशासन में हिन्दी की सरल शब्दावली का प्रयोग सुनिश्चित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि वे स्वयं और उच्चाधिकारी सहित सभी अधिकारी द्वारा हिन्दी का उपयोग तथा भारत सरकार से पत्राचार भी हिन्दी में होगा। इसी तरह सभी नामकरण, तकनीकी प्राक्कलन भी हिन्दी में बनाने और शासकीय दस्तावेज भी हिन्दी में प्रकाशित करने के प्रयास किये जायेंगे।
इस मौके पर प्रो. चन्द्रकला पाड़िया ने कहा कि कोई देश तभी तरक्की कर सकता है जबकि उसकी भाषा अंतर्राष्ट्रीय हो। भाषा संस्कृति की वाहक होती है। उन्होंने कहा कि हिन्दी अनुवाद के लिए संदर्भ की जानकारी होना बहुत जरूरी है। प्रो. महेन्द्रपाल शर्मा ने कहा कि हिन्दी का विरोध किसी भी भारतीय भाषा से नहीं है। उन्होंने तकनीक में उपयोग और अभ्यास बढ़ाने पर जोर दिया। चर्चा में भाग लेते हुए माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के प्रो. बृजकिशोर कुठियाला ने कहा कि अन्य प्रान्त से आये गैर हिन्दी भाषी अधिकारियों का हिन्दी प्रशिक्षण अनिवार्य किया जाये।
इस दौरान विभिन्न क्षेत्रों से आये हिन्दी के विद्वान और हिन्दी प्रेमियों ने प्रशासन में हिन्दी के उपयोग संबंधी बहुमूल्य सुझाव दिये। सत्र का संचालन श्री हरीश नवल ने किया। इस मौके पर स्वास्थ्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्र और अन्य जन-प्रतिनिधि तथा मुख्य सचिव श्री अन्टोनी डिसा, प्रमुख सचिव संस्कृति श्री मनोज श्रीवास्तव सहित अन्य अधिकारी एवं प्रतिनिधि उपस्थित थे।