भारतीय सेना के विशेष दस्ते ने जिस तरह से म्यांमार में घुसकर मणिपुर हमले में शामिल आतंकियों का खात्मा किया ये अपने आप में बड़ी कार्रवाई थी। लेकिन क्या आप जानते हैं इस रणनीति की पटकथा कहां से लिखी गई?
म्यांमार ऑपरेशन को लेकर जो खुलासे सामने आ रहे हैं उसके मुताबिक इस सबके पीछे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल का अहम रोल था। 4 जून को मणिपुर में जिस तरह से उग्रवादियों ने आर्मी टीम को अपने निशाने पर लिया उसके तुरंत बाद अजीत डोभाल ने प्रधानमंत्री के साथ ढाका जाने का विचार छोड़ दिया।
डोभाल ढाका नहीं जाकर सीधे मणिपुर पहुंचे और हालात का जायजा लिया। इतना ही नहीं उन्होंने ही बाकायदा इस हमले को लेकर कार्रवाई की पड़ताल की।
एनएसए अजित डोभाल ने मणिपुर में रहकर पूरे ऑपरेशन की रणनीति बनाई, इसके लिए उन्होंने खुफिया जानकारियां एकत्र की। साथ ही खुफिया एजेंसियों के साथ समन्वय करके इसे अंजाम तक पहुंचाया।
सेना का अधिकारियों के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की रणनीति ही थी जिसके चलते म्यांमार में जाकर ये बड़ी कार्रवाई सफल हो सकी। पहली बार ऐसा हुआ जब सीमा पार ऑपरेशन में भारतीय सेना के विशेष टीम ने वायुसेना के सहयोग से म्यांमार में घुसकर करीब 20 उग्रवादियों को मार गिराया।
हालांकि इस सबकी शुरूआत एक हफ्ते पहले ही हो गई थी जब विदेश सचिव एस. जयशंकर ने म्यांमार का गुपचुप दौरा किया था। विदेश सचिव के दौरे के चलते ही इस ऑपरेशन को लेकर कोई भी सूचना म्यांमार सरकार ने किसी को नहीं दी।
म्यांमार सरकार मंगलवार को हुए पूरे ऑपरेशन के लेकर बेहद शांत और संवेदनशील बनी रही। जिसके चलते भारतीय जवानों ने म्यांमार में घुसकर उग्रवादियों को अपना शिकार बनाया और एक अहम मिशन में सफलता हासिल की।
इससे पहले साल 1995 के अप्रैल-मई में भारत-म्यांमार ने मिलकर 'ऑपरेशन गोल्डन बर्ड' चलाया था। इस ऑपरेशन में भी 40 आतंकियों को मारने में सफलता मिली थी।
साल 2001 के बाद से ही दोनों देश मिलकर उत्तर पूर्व के आतंकियों को अपना निशाना बना रहे हैं। वहीं भारत ने इस मुद्दे को चीन के सामने कई बार रखा है कि कई ऐसे ग्रुप हैं जो लगातार भारत के खिलाफ कार्रवाई में जुटे हुए हैं।
श्री अजीत डोभाल ने चला धोबी पाट दाँव
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