नई दिल्ली। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने भारत और रूस के रिश्ते को क्रेता- विक्रेता के संबंधों से परे बताते हुए कहा है कि रूस की कंपनियां दिल्ली – मुंबई औद्योगिक गलियारे, स्मार्ट सिटीज, रेलवे, लोक परिवहन, रक्षा उत्पादन, स्वच्छता और किफायती आवास के क्षेत्र में सहयोग कर सकती हैं। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने सोमवार को यहां बताया कि श्री प्रभु ने रूसी कंपनियों के एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल को संबोधित करते हुए कहा कि भारत ने रूसी कंपनियों की सुविधा के लिये ‘रूस प्लस’ नाम का एक कार्यक्रम शुरू किया है। इसका उद्देश्य भारत में निवेश की इच्छुक रूसी कंपनियों की मदद करना है।
इसके जरिए एक ही जगह पर रूस की कंपनियों की सभी जरुरतें पूरी की जाएंगी और उनकी समस्याअों का समाधान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि भारत निर्माण के लिये सरकार कई योजनायें,कार्यक्रम और अभियान चला रही हैं। इनमें रूसी कंपनियों निवेश कर सकती हैं और तकनीकी मदद मुहैया करा सकती हैं। उन्होंने इसके लिये दिल्ली – मुंबई औद्योगिक गलियारा, स्मार्ट सिटीज, रेलवे, लोक परिवहन, स्वच्छता और किफायती आवास के क्षेत्र का उल्लेख किया।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि रूसी कंपनियां भारत की सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों की विशेषज्ञता और सेवा का लाभ ले सकती हैं। दोनों देश की कंपनियां के लिये आईटी क्षेत्र के साफ्टवेयर और हार्डवेयर के क्षेत्र में सहयोग की संभावनाएं हैं।