वाणिज्यिक व्यापार की तुलना में सेवा व्यापार में कहीं ज्यादा तेजी से वृद्धि हो रही है और इस तरह के गतिशील बदलाव वैश्विक व्यापार प्रणाली में अवश्य ही परिलक्षित होने चाहिए। यह बात वाणिज्य एवं उद्योग और नागरिक उड्डयन मंत्री श्री सुरेश प्रभु ने कही। श्री सुरेश प्रभु 18-19 जून, 2018 को नई दिल्ली में आयोजित छठी ग्रोथ नेट समिट में बोल रहे थे जिसे अनंत सेंटर और भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा स्मादजा एंड स्मादजा के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है।
मंत्री महोदय ने कहा कि वाणिज्यिक व्यापार के विपरीत सेवा व्यापार में लोगों की विभिन्न जगहों पर आवाजाही होती है। उन्होंने कहा कि भारत ने वर्ष 2026-27 तक 5 लाख करोड़ (ट्रिलियन) डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य रखा है और वस्तु एवं सेवा निर्यात को इस राशि का एक ट्रिलियन डॉलर लक्षित किया गया है। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष वस्तु एवं सेवा निर्यात में 12 प्रतिशत से भी अधिक की वृद्धि दर्ज की गई।
श्री प्रभु ने कहा कि सरकार सेवा निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि के लिए एक व्यापक रणनीति पर काम कर रही है और 12 प्रमुख (चैम्पियन) सेवा क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए एक अरब डॉलर खर्च किए जाएंगे। पहली बार नए बाजारों में उत्पादों की एक रणनीति विकसित की जा रही है। उन्होंने कहा कि अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और मध्य एशिया जैसे क्षेत्रों को निर्यात करने पर भी फोकस किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि विश्व व्यापार का विस्तारीकरण करने के उद्देश्य से एक नियम आधारित, बहुपक्षीय, लोकतांत्रिक और सहभागितापूर्ण संस्थान के एक हिस्से के रूप में विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) का सृजन किया गया था। उन्होंने कहा कि इसे ध्यान में रखते हुए विभिन्न देशों ने विकास की गति तेज करने एवं रोजगारों के सृजन के लिए वैश्विक व्यापार की अहमियत को स्वीकार किया है। श्री सुरेश प्रभु ने कहा कि भारत अन्य देशों के साथ मिलकर काम कर रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि डब्ल्यूटीओ आगे भी प्रसांगिक बना रहे।
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के एक कार्यक्रम में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि वैश्विक व्यापार इस समय बड़ी चुनौतियों का समाना कर रहा है और इन चुनौतियों का उचित तरीके से समाधान किये जाने की जरूरत है ताकि विश्व अर्थव्यस्था का मजबूत बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि वैश्विक व्यापार से घरेलू अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलने में मदद मिलती है। इसलिये हमें इस पर समुचित ध्यान देने की जरूरत है।
अमेरिका के कुछ इस्पात और एल्यूमीनियम उत्पादों पर ऊंचा आयात शुल्क लगाने के फैसले से व्यापार युद्ध जैसी स्थिति पैदा हो गई है। क्योंकि इसके बाद कई अन्य देशों ने भी आयात शुल्क बढ़ाने शुरू कर दिये हैं। सुरेश प्रभु ने कहा कि ऐसे समय जब 2008 के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था काफी कमजोर बनी है , संस्थान गहन छानबीन के दायरे में आये हैं , हम गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि पिछले कई दशकों में ऐसा पहली बार हो रहा है जब लोग न केवल संस्थानों को चुनौती दे रहे हैं बल्कि व्यापार की अवधारणा को ही नकार रहे हैं। यह वास्तव में काफी गंभीर मुद्दा है। हमें इस समस्या का उचित तरीके से समाधान करना चाहिये क्योंकि विश्व व्यापार से सभी को फायदा मिलता है और यह साबित हो चुका है।
विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की अहमियत पर जोर देते हुये वाणिज्य मंत्री ने कहा कि वह कुछ देशों के साथ बात कर रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वैश्विक व्यापार प्रणाली में डब्ल्यूटीओ को अधिक अहम बनाया जा सके। उन्होंने कहा, ‘‘…डब्ल्यूटीओ में सुधार किया जाना चाहिये। संस्थानों में सुधार होना चाहिये लेकिन हम चाहते हैं कि डब्ल्यूटीओ वैश्विक व्यापार का संवर्धन करे।’
प्रभु ने कहा कि सेवाओं का व्यापार भी तेजी से बढ़ रहा है ऐसे में पेशेवरों के आवागमन के नियमों की समीक्षा पर गौर करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि 2017- 18 में वस्तु एवं सेवाओं का निर्यात 12 प्रतिशत बढ़ा है।