नई दिल्ली। केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री श्री थावरचंद गहलोत ने आज एनआईसी के वेबकास्ट के माध्यम से 272 जिला कलेक्टरों, 31 राज्य सचिवों, 500 से अधिक एनजीओ / वीओ, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के अधिकारियों, एनडीडीटीसी, एम्स के डॉक्टरों और पेशेवरों तथा ‘नशामुक्त भारत’ अभियान से जुड़े राज्यों और जिलों के सभी अधिकारियों की सभा को संबोधित किया। इससे अभियान के शुभारंभ को एक महत्वपूर्ण प्रोत्साहन मिला है। उन्होंने अभियान के चार पोस्टर भी लॉन्च किए। सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री श्री कृष्णपाल गुर्जर, श्री राम दास अठावले और श्री रतन लाल कटारिया ने भी इस सभा को संबोधित किया।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के सचिव श्री आर. सुब्रह्मण्यम ने स्वागत भाषण दिया। कार्यक्रम में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की संयुक्त सचिव श्रीमती राधिका चक्रवर्ती द्वारा नशा मुक्त भारत अभियान पर पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से एक प्रस्तुति दी गयी। प्रस्तुति में अभियान अवधि के दौरान अपनाये जाने वाले तौर-तरीकों और गतिविधियों को दिखाया गया।
श्री थावरचंद गहलोत ने अपने संबोधन में कहा कि सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने ‘नशामुक्त भारत’ अभियान तैयार किया है, जिसे नशीली दवा (मादक पदार्थ) के उपयोग के संदर्भ में सबसे अधिक प्रभावित 272 जिलों में चलाया जायेगा। राज्य सरकारें और 272 जिला कलेक्टर 15 अगस्त, 2020 को ‘नशामुक्त भारत’ अभियान की शुरुआत करेंगे जो 7 महीने तक चलेगा और 31 मार्च, 2021 को समाप्त होगा। जिला और राज्य स्तर पर गठित नशा मुक्त भारत समितियाँ, अभियान के लिए रणनीति और कार्य योजना तैयार करेंगी। ये समितियाँ अभियान की गतिविधियों को प्रभावी ढंग से लागू करना और अभियान के उद्देश्यों को पूरा करना सुनिश्चित करेंगी। इन 272 जिलों की पहचान, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो से प्राप्त इनपुट और मंत्रालय द्वारा किए गए व्यापक राष्ट्रीय सर्वेक्षण के निष्कर्षों के आधार पर की गई है।
श्री गहलोत ने कहा कि सरकार, नशा मुक्त भारत के लिए प्रतिबद्ध है। इस अभियान के लिए 2017 में वित्तीय आवंटन 43 करोड़ रुपये था, जिसे 2020 में बढाकर 260 करोड़ रुपये किया गया है। आवंटन में पांच गुना वृद्धि दर्शाती है कि सरकार इस अभियान को बहुत महत्व देती है। उन्होंने एनएपीडीडीआर योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए राज्य सरकारों को बधाई दी।
अभियान के तहत 272 सर्वाधिक प्रभावित जिलों में त्रि-आयामी रणनीति अपनाई जायेगी – नारकोटिक्स ब्यूरो के प्रयास, सामाजिक न्याय विभाग द्वारा आउटरीच / जागरूकता अभियान तथा स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से उपचार। अभियान योजना में निम्नलिखित घटक हैं:
जागरूकता सृजन कार्यक्रम;
उच्च शैक्षणिक संस्थानों, विश्वविद्यालय परिसरों और स्कूलों पर विशेष ध्यान;
सामुदायिक आउटरीच और आश्रित आबादी की पहचान;
अस्पताल की उपचार सुविधाओं पर ध्यान; तथा
सेवा प्रदाता के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम।
नशीली दवाओं से केवल इसका सेवन करने वाले व्यक्ति को ही नहीं, बल्कि परिवार और समाज को भी इसका नुकसान झेलना पड़ता है और यह देश के लिए चिंता का विषय है। इस समस्या का मुकाबला करने के लिए रोकथाम सबसे प्रभावी रणनीति साबित हुई है। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय नशीली दवाओं के सेवन में कमी लाने की योजना के लिए नोडल मंत्रालय है जो कई हस्तक्षेपों का समन्वय, क्रियान्वयन और निगरानी करता है। इन हस्तक्षेपों में समस्या की रोकथाम, समस्या के विस्तार का मूल्यांकन, सेवन करने वालों के उपचार और पुनर्वास, तथ्यों का विश्लेषण और जनता के बीच जागरूकता का प्रसार शामिल हैं। देश में नशीली दवाओं (मादक पदार्थ) के उपयोग की समस्या की भयावहता का आकलन करने, मादक पदार्थ के पैटर्न को समझने, विभिन्न नशीली दवाओं (मादक पदार्थ) का सेवन करने वाले लोगों के अनुपात और मादक पदार्थों के उपयोग से होने वाले विकारों का पता लगाने के लिए मंत्रालय ने एक व्यापक राष्ट्रीय सर्वेक्षण किया था। राष्ट्रीय सर्वेक्षण के निष्कर्ष वर्ष 2019 में प्रकाशित किए गए थे।