रामायण में श्रीराम के पिता दशरथ की पत्नी कैकई का किरदार तो आपको याद ही होगा। कभी युद्ध में राजा दशरथ की जान बचाने के बदले उन्हें दशरथ ने वरदान दिए जिन्हें वो कभी भी मांग सकती थीं। फिर एक दिन, अपनी दासी मंथरा के कहने पर उन्होंने भगवान राम को 14 वर्षों का वनवास दिलाया था। हजारों सालों के बाद, समाजवादी परिवार में भी लोगों को मुलायम सिंह की दूसरी पत्नी साधना गुप्ता में कैकई का किरदार नजर आने लगा है। दरअसल इसकी शुरुआत 12 सितंबर से दिखने लगी थी, जब मुलायम सिंह की 54 वर्षीय पत्नी साधना गुप्ता वाराणसी गई थीं। वहां वह एक साधु से मिलीं। इसके बाद से ही उत्तर प्रदेश की सरकार डगमगानेे लगी थी। कुछ घंटों के भीतर ही, 12 अक्टूबर की शाम को यूपी के मुख्यमंत्री और मुलायम सिंह के बेटे अखिलेश यादव ने साधना गुप्ता के करीबी मंत्री जी.पी. प्रजापति को हटाया था। इससे अगले दिन, मुलायम सिंह यादव ने प्रदेश अध्यक्ष पद से अखिलेश यादव को हटा दिया और अखिलेश के चाचा शिवपाल यादव को नियुक्त कर दिया। उसी दिन शाम को अखिलेश यादव ने शिवपाल यादव से कई मंत्रालय छीन लिए। हालांकि कुछ मंत्रालय उन्हें बाद में लौटा दिए गए, लेकिन अखिलेश ने रविवार के दिन शिवपाल यादव को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया। बाद में अखिलेश ने प्रजापति को मंत्रिमंडल में वापस लिया, लेकिन खनन की जगह ट्रांसपोर्ट मिनिस्ट्री का कार्यभार दिया।
एक चर्चा यह भी है कि 2012 में अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री बनने के समय साधना ने पति मुलायम सिंह से एक वचन लिया था। साधना ने अपने बेटे प्रतीक को भी दो साल के भीतर अखिलेश के समान दर्जा दिए जाने का वादा लिया था। 2014 में दो साल बीत गए और ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। मुखर स्वभाव की साधना गुप्ता ने दो और साल इंतजार किया। कई लोगों का मानना है कि साधना को डर था कि समय के साथ मुलायम सिंह का पार्टी में कद घटता जा रहा है। उन्हें अपने 28 साल के बेटे प्रतीक के भविष्य को लेकर भी डर था। यही डर उनके सब्र का बांध टूटने का कारण बना।
मुलायम सिंह यादव के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति याचिका दायर करने वाले वकील विश्वनाथ चतुर्वेदी ने अंग्रेजी अखबार ‘द टेलीग्राफ’ को बताया, ‘मुलायम सिंह यादव और साधना गुप्ता की मुलाकात 1989 में हुई थी। उस समय प्रतीक 1 साल का था। साधना की पहली शादी फर्रुखाबाद के एक पंसारी चंद्र प्रकाश गुप्ता से 1986 में हुई थी। अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव तभी से साधना को जानते थे। साधना को सचिवालय में लिपिक का काम मिल गया और 1990 में उन्होंने पति से तलाक ले लिया।”
साभार- http://www.jansatta.com/ से