सहज,सरल,हंसमुख साहित्यकार डॉ.कृष्णा कुमारी के काव्यपाठ का अपना निराला ही अंदाज है। एक बार राजकीय सार्वजनिक मंडल पुस्तकालय में मेरी पुस्तक “हमारा भारत हमारी शान” के विमोचन कार्यक्रम में आप से विमोचन अथिति के रूप में काव्यपाठ भी सुनने और आपसे चर्चा का सौभाग्य प्राप्त हुआ। चर्चा के दौरान उन्होंने बताया कि उन्हें प्रकृति, चांदनी, बच्चे बहुत प्रिय है, पूजा के तक एक भी फूल नहीं तोड़ती हैं।”अर्ध यामिनी की चांदनी के सुकोमल, पियूषी, रेशमीअहसास” से मेरी प्रथम कविता जन्म हुआ जो चांदनी शीर्षक से नवज्योति में प्रकाशित हुई थी। पाठकों का प्यार और उनके हजारों पत्र मेरा सब से बड़ा सम्मान एवं पुरस्कार है। कह सकता हूं कि आप सबसे अलग बहुमुखी प्रतिभा की धनी साहित्यकार हैं, जिन पर हम सब को नाज़ है।
अनेक साहित्यकारों द्वारा आपके रचित साहित्य पर आपका साक्षात्कार लेना आपकी विद्वत्ता का प्रमाण है। अन्तर्राष्ट्रीय तुलसा. ओ के 74136 यू.एस.ए. से प्रकाशित मासिक प्रत्रिका ‘रोशनी’ उर्दू में ग़ज़ले, लधुकथायें आदि प्रकाशित होने से आपने साहित्य में अंतर्राष्ट्रीय स्थान बनाने का गौरव प्राप्त कर हाड़ोती ही नहीं देश को साहित्यिक क्षेत्र में पहचान दिलवाई।
मुख्यत: आप कविता, गीत, गज़ल, रिपोर्ताज़, स्लोगन, लघुकथा, कहानी, संस्मरण, साक्षात्कार, यात्रा वृतांत, बाल गीत, समीक्षाएँ लिखने में प्रवीण हैं। हिन्दी और राजस्थानी के साथ – साथ आप उर्दू व अंग्रजी भाषाओं की विभिन्न विधाओं में निरन्तर साहित्य सृजन में लगी हुई हैं। अंतर्मुखी प्रतिभा की एक रचना” प्रियतम, याद तुम्हारी आई” के कुछ अंशों की बानगी देखिए –
गोधूलि अम्बर पर लुकछिप,
मेघ सुहाने पल में छाए।
सांझ-वधू की छमछम सुनकर,
नभ में इन्द्रधनुष मुसकाए ।
स्नेह और दीपक ने मिलकर,
गेह-गेह जब ज्योति जलाई।
प्रियतम, याद तुम्हारी आई ॥
निष्ठुर मन की पुरवाई ने,
जगती पर आंचल फैलाया।
सतरंगी सपने पलकों में,
लिए कौन आंगन में आया
विदा प्रेयसी से होकर जब,
चातक ने निज रात बिताई।
प्रियतम याद तुम्हारी आई ॥
आपके साहित्य की समृद्धता का अहसास इसी से होता है कि कई शोध- ग्रन्थों , संदर्भ ग्रन्थों एवं गु.ना.देव वि.वि..की एम.फिल में अनुशांसित पुस्तकों में विस्तृत परिचय एवं रचनायें प्रकाशित हुई हैं। साहित्य सृजनशीलता के साथ – साथ आप संगीत, वादन एवं चित्रकला में विशेष रूचि रखती हैं। आपकी बनाई पेंटिंग्स और रेखा चित्र कई पुस्तकों एवं पत्रिकाओं के आवरण पृष्ठ बने हैं। भारतीय साहित्य परिषद शाखा कोटा द्वारा सुरेश वर्मा ने “श्रीमती कृष्णा कुमारी का साहित्य में योगदान” पर मोनोग्राफ प्रकाशित किया।”अब चुप नहीं रहूंगी ” वन्य जीव संरक्षण विषयक एकांकी पर एक छात्र ने पंजाब के विश्व विद्यालय से एम.फिल किया।
कविता और ग़ज़ल विधा में पारंगत लेखिका की एक गज़ल का एक लाजवाब नमूना प्रस्तुत है ……
दिल लगाने की बात करते हो।
किस ज़माने की बात करते हो।
लोग पानी को जब तरसते हैं,
मय पिलाने की बात करते हो।
आँसूओं से दो भर दिया दामन,
मुस्कुराने की बात करते हो।
क्यूँ घड़ी, भर की रोशनी के लिये
घर जलाने की बात करते हो।
प्रेम की गहराइयों को बताती एक गज़ल यूं कहीं आपने, कुछ अंश……
बारिशों में भीग जाना इश्क़ है।
गीत कोई गुनगुनाना इश्क़ है।
नाज़ से पलकें उठा कर देखना,
शर्म से नज़रें झुकाना इश्क़ है।
राह को इक टक तके जाना युँ ही,
मन ही मन कुछ बुदबुदाना इश्क़ है।
होश गर बाक़ी रहे तो प्रेम क्या,
बेर चख-चख कर खिलाना इश्क़ है।
इश्क़ के दरिया में ‘कमसिन’ डूब कर,
आतिशे-दिल में नहाना इश्क़ है।
साहित्य प्रकाशन की आपकी यात्रा 1995 में शुरू हुई जब पहली पुस्तक “मैं पुजारिन हूँ” कविता संग्रह के रूप में प्रकाशित हुई। वर्तमान समय तक यह यात्रा निरंतरता लिए जारी है और 10 पुस्तकोंका प्रकाशन साहित्य जगत की पूंजी बन गई हैं। वर्ष 2002 में “प्रेम है केवल ढाई आखर”, 2003 में “कितनी बार कहा है तुमसे ‘ काव्य संग्रह, 2004 में गज़ल संग्रह…. तो हम क्या करें”, 2006 में “ज्योतिर्गमय” और कहानी संग्रह “ स्वप्निल कहानियाँ”, 2009 में यात्रा वृत्तांत “आओ नैनीताल चलें”, 2014 में बाल गीत संग्रह “जंगल मे फाग”, 2008 में साक्षात्कार ’कुछ अपनी, कुछ उनकी’ साक्षात्कार एवं ‘नागरिक चेतना’ दीर्घ निबन्ध, 2022 में ‘हरित पगडंडी पर’ एवं ‘बहुत प्यार करते हैं शब्द’ पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। कई रचनाओं का अंग्रेजी, उर्दू व गुजराती भाषाओं में अनुवाद प्रकाशित हुआ है।“क़तरा नदी में”( उर्दू ग़ज़ल),“अदभुत है सिंगापुर”- यात्रा वृतांत, और ‘कोई बात नहीं’ निबन्ध संग्रह कृतियां प्रकाशनाधीन हैं।
प्रेम की अनुभूति कराती लेखिका की कुछ पंक्तियां भी दृष्टव्य हैं …….
प्रेम है
नयनों के संवाद
होठों पर होठों की / अणुभर छुअन
गीत की अधूरी पंक्ति या
काग़ज़ पर खिंची हुई
आड़ी-तिरछी लकीरें / अनगढ़ रेखाचित्र
देवदार के तने पर गुदे हुए
दो नाम / हथेली पर लिखी इबारत
दीवारों पर बनी सहस्त्रों खड़ी रेखायें
चट्टानों की गहन परतों में / दबा इतिहास
प्रेम है एक ही जगह टकटकी लगाए देखना
प्रहरों खड़े रहना मुंडेर पर/ गुनगुनाना कोई पंक्ति बारम्बार.।
पुस्तक लेखन के साथ – साथ आपने करीब 100 पुस्तकों की समीक्षा कर साहित्यकारों को सम्मान दिया। विभिन्न राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय पत्र – पत्रिकाओं और संकलनों में भी आपकी हजारों रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं। शिक्षा निदेशालय बीकानेर द्वारा “शिक्षक दिवस” पर प्रकाशित पुस्तक श्रृंखला में लगातार रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं।
आपकी भाषा और शिल्प की जुगलबंदी उनकी लाजवाब है। बसंत, कृष्ण,सांझी,भाई दूज, विज्ञान, संस्कृति और वृक्ष, ज्योतिर्गमय, देवशयनी एकादशी,राम तुम्हारा चरित्र ही काव्य है,मांडने,बरात और शिष्टाचार, रावण,रक्षा बंधन, दशहरा, गोवर्धन पूजा, कन्यादान, परंपराओं का औचित्य, दाम्पत्य जीवन में सामंजस्य, गणगौर, होली- एक अग्निपर्व पर आलेख इस संकलन की धरोहर है।” ये विचार इनकी कृति “ज्योतिर्गमय” पर रचनाकार जितेंद्र ‘ निर्मोही ‘ ने व्यक्त कर इनकी साहित्य शिल्प की बानगी प्रस्तुत की है।
गौरव के पल : जीवन का वह पल गौरवपूर्ण रहा जब आपको एयर इण्डिया एवं राजस्थान पत्रिका द्वारा आयेजित ‘रेन्क एण्ड बोल्ट’ प्रतियोगिता मे जिला स्तरीय एवं राज्य स्तरीय प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ और साथ ही सिंगापुर की यात्रा का अवसर। वह पल भी आपके लिए चिरस्मरणीय रहा जब 2008 के शिक्षक दिवस पर आपको महामहिम राज्यपाल द्वारा श्रेष्ठ शिक्षक के रूप में सम्मानित किया गया।
सम्मान : समय – समय पर आपको राजस्थान साहित्य अकादमी. उदयपुर द्वारा “ज्योतिर्गमय” सांस्कृतिक निबंध को “देवराज उपाध्याय पुरस्कार”, श्री कृष्ण कला साहित्य अकादमी, इन्दौर द्वारा ‘भगवान सिंह यादव स्मृति सम्मान’,. संगम कला अकादमी परियावॉ, उत्तर प्रदेश द्वारा “सुश्री राजकिशोरी स्मृति सम्मान”, कथांचल उदयपुर द्वारा ‘पगली’ कहानी को ‘कथाशिल्पी राजेन्द्र सक्सेना सर्वोत्तम कहानी पुरस्कार’, अक्षरघाम समिति कैथल द्वारा “प्रथम राष्ट्रीय अक्षर गौरव” सम्मान एवं संगम कला परिषद बैतूल मघ्यप्रदेश द्वारा “काव्य कुसुम” उपाघि से अलंकरण, दैनिक भास्कर द्वारा ‘आशीर्वाद एचीवर्स एवार्ड’, “मघुबाला स्मृति सम्मान” प्राप्त जिला प्रशासन द्वारा नागरिक सम्मान, संस्कार भारती संस्थान दौसा द्वारा ‘श्री शिवनारायण स्मृति सम्मान’, अनुराग म्यूजिकल एंड कल्चरल सोसायटी लालसोट राजस्थान द्वारा “अनुराग साहित्य सम्मान 2007”, “साहित्य मण्डल श्रीनाथद्वारा” द्वारा ‘हिन्दी भाषा भूषण सम्मान’ और चेतना साहित्य परिषद लखनऊ द्वारा ‘श्रीमती गीता स्मृति सम्मान’ से नवाजा गया।
परिचय : अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक अपने साहित्य का परचम लहराने वाली डॉ.कृष्णा कुमारी का जन्म प्रभु लाल वर्मा के परिवार में हुआ। आप एक विद्यालय में अध्यापन का कार्य कर रही हैं। आपने एम.ए., एम.एड., (मेरिट अवार्ड) साहित्य रत्न. आयुर्वेद रत्न एवं बी.जे.एम.सी की शिक्षा प्राप्त की। “बाल साहित्यकार दीनदयाल शर्मा का रचना कर्म : एक समालोचनात्मक अध्ययन” विषय पर कोटा विश्वविद्यालय से पीएच. डी की उपाधि प्राप्त की है। ग्रीन अर्थ एन.जी.ओ.कुरुक्षेत्र द्वारा आयोजित पर्यावरण विषय पर ‘राष्ट्र स्तरीय महिला कविता प्रतियोगिता – 2017’ में द्वितीय स्थान प्राप्त किया। पर्यावरण विभाग़ राजस्थान, मदर इण्डिया अकादमी आफ लर्निग़ कोटा, नामदेव सभा कोटा आदि द्वारा विशिष्ट उपलब्घियों एवं विभिन्न प्रतियोगिताओं के लिए सम्मानित. पुरस्कृत किया गया है। आकाशवाणी केंद्र कोटा और जयपुर एवं दूरदर्शन से समय- समय पर रचना पाठ और वार्तायें प्रसारित की गई और अनेक कवि सम्मेलनों, मुशायरो में भागीदारी की है। आप राष्ट्रीय शिक्षक रचनाकार प्रगति मंच, कोटा शाखा एवं जिलाध्यक्ष संगम कला परिषद बैतूल से जुड़ी हैं। हाड़ोती के साहित्यकार जगत में आप किसी ध्रुव तारे से कम नहीं हैं।