अदालतों में मुकदमों के बहुत लंबे समय तक खिंचने पर बंबई उच्च न्यायालय ने कहा है कि ऐसा लगता है कि अदालतों में ‘टाइम मशीन’ है, जहां मुकदमे अनिश्चितकाल तक चलते रहते हैं. बंबई हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी किराया नियंत्रण अधिनियम से संबंधित एक मुकदमे में की जो 1986 से चल रहा है.
किराया नियंत्रण अधिनियम से संबंधित एक मामले में बंबई हाई कोर्ट ने कहा कि यह मुकदमा 1986 में शुरू हुआ था, इसके बाद कई अपील, आवेदन और याचिकाएं दायर हुईं लेकिन मामला फिर भी नहीं सुलझा, जबकि वास्तविक भू-स्वामी और किरायेदार अब जीवित नहीं रहे हैं. बंबई हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति दामा एस नायडू ने कहा कि कई मामलों में दोनों पक्षों के वादियों की मृत्यु हो जाती है, लेकिन बाद की पीढ़ियों द्वारा मुकदमेबाजी जारी रहती है. अदालत ने कहा कि लगता है कि अदालतों में टाइम मशीन है और यहां अनंतकाल तक मुकदमे चलते रहते हैं.
मुंबई निवासी रुक्मणीबाई द्वारा यह याचिका दायर की गई थी. याचिका में उसने अपनी संपत्ति से कुछ किरायेदारों को बाहर किये जाने का अनुरोध किया था. केस के दौरान उनकी मौत हो गई और उसके वारिसों ने इस मामले को संभाल लिया. किरायेदारों के खिलाफ 1986 में संपत्ति खाली कराये जाने की कार्रवाई शुरू की गई थी और निचली अदालत तथा उच्च न्यायालय ने संपत्ति मालिकों के पक्ष में फैसला दिया था. लेकिन, 2016 में किरायेदारों ने बदली परिस्थितियों का हवाला देते हुए फिर से उच्च न्यायालय में केस दायर कर दिया.