मलेशियाई की एक अपीली अदालत ने सोमवार को व्यवस्था दी कि ईसाई अखबार भगवान के संदर्भ में "अल्लाह" शब्द का इस्तेमाल नहीं करेंगे। कोर्ट का यह ऐतिहासिक फैसला उस मुद्दे पर आया है, जिसे लेकर इस मुस्लिम देश में धार्मिक तनाव और अल्पसंख्यकों के अधिकारों को लेकर सवाल उठते रहते हैं।
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मलेशिया की अपीली अदालत के तीन मुस्लिम जजों ने वर्ष २००९ के निचली अदालत के फैसले को पलट दिया। निचली अदालत ने मलय भाषा के अखबार "द हेरॉल्ड" को ईश्वर के लिए "अल्लाह" शब्द के इस्तेमाल की इजाजत दी थी। हालांकि मलेशिया में ईसाइयों को तर्क है कि वो ऐसा सैकड़ों सालों से कर रहे हैं।
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ईसाइयत का हिस्सा नहीं
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अपने १०० पेज के फैसले के खास हिस्से पढ़ते हुए मुख्य जज मोहम्मद अपंदी ने कहा- "अल्लाह" शब्द का इस्तेमाल ईसाइयत का अभिन्ना अंग नहीं है। इस शब्द का इस्तेमाल करने से समुदाय में भ्रम की स्थिति पैदा होगी। अदालत ने कहा कि उसका मानना है कि इससे किसी के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन नहीं हुआ है। सरकार की दलील थी कि अल्लाह शब्द मुस्लिमों के लिए है।
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२००८ से चल रहा है मामला
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गौरतलब है कि २००८ में तत्कालीन गृहमंत्री ने अखबार को इस शब्द के इस्तेमाल की इजाजत देने से इंकार कर दिया था। जिसके बाद अखबार ने इसके खिलाफ अदालत में अपील की। २००९ में अदालत ने उसके पक्ष में फैसला सुनाया। इस फैसले के बाद धार्मिक तनाव फैल गया था और चर्चों और मस्जिदों को निशाना बनाया गया था। सरकार का कहना था कि २००८ में तत्कालीन गृह मंत्री का अखबार को इसे छापने की इजाजत न देने का फैसला लोक व्यवस्था के तहत न्यायोचित था। सोमवार को फैसला आने के बाद अदालत के बाहर सैकड़ों की संख्या में खड़े मुस्लिम समुदाय के लोग बेहद खुश दिखे। मलेशिया की २.८ करोड़ की आबादी में दो तिहाई मुसलमान हैं।
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