जम्मू-कश्मीर में धारा 370 के मुद्दे पर भाजपा ने नई बहस छेड़ दी है। भाजपा के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी की रविवार को राज्य में पहली जनसभा थी। इसमें उन्होंने कहा, 'धारा 370 से राज्य को फायदा हुआ या नहीं? इस पर चर्चा तो करो।' पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने तो यहां तक कह दिया कि यदि इस धारा से राज्य को फायदा हुआ है तो पार्टी इसका समर्थन करेगी। संविधान की धारा-370 जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देती है। संसद में बने सभी कानून राज्य में लागू नहीं होते। विधानसभा की मंजूरी उसके लिए जरूरी है। जम्मू-कश्मीर के नागरिक देशभर में कहीं भी बस सकते हैं। संपत्ति खरीद सकते हैं। लेकिन अन्य राज्यों के नागरिक जम्मू-कश्मीर में न तो बस सकते हैं और न संपत्ति खरीद सकते हैं।
भाजपा जनसंघ के जमाने से ही इस धारा को खत्म करने की मांग करती रही है। मोदी ने अपने भाषण में धारा-370 को खत्म करने की मांग को जायज ठहराने की कोशिश भी की। उन्होंने कहा, 'अब धारा-370 का इस्तेमाल कवच के तौर पर होता है। इसे सांप्रदायिकता से जोड़ा जा रहा है। इस पर विचार होना चाहिए कि पंडित (जवाहरलाल) नेहरू की सोच सही थी या श्यामा
प्रसाद मुखर्जी की। 60 साल के इतिहास को देखने पर तो मुखर्जी की ही सोच सही लगती है।'
मोदी ने दावा किया कि सौंदर्य और श्रद्धा के लिए यहां अच्छा टूरिज्म है। लेकिन अब राज्य का टूरिज्म प्रभावित हो रहा है। पर्यटक हिमाचल प्रदेश जा रहे हैं। बॉलीवुड अपने 100 साल सेलिब्रेट कर रहा है। कई फिल्में यहां शूट हुई है। जम्मू-कश्मीर में एक फिल्म इंस्टीट्यूट क्यों नहीं बन सकता? दुख है कि विकास और तरक्की में उनकी (राज्य सरकार की) रुचि ही नहीं है। सरकार लद्दाख में टूरिज्म बढ़ाने के लिए लेह से कैलाश मानसरोवर का रास्ता बनाने पर विचार क्यों नहीं करती?
मोदी ने आरोप लगाया कि दिल्ली की सरकार सोई हुई है। उसे किसी की चिंता नहीं है। चीन की सीमा पर पड़ोसी देश ग्रामीणों को मुफ्त में सिम कार्ड बांट रही है। मैं पूछना चाहता हूं कि क्या हमारा दूरसंचार मंत्रालय यह नहीं कर सकता? आतंकवाद से लड़ते हुए कई देशभक्त सिपाही शहीद हो गए। लेकिन आतंकवाद से निपटने के मुद्दे पर दि?ल्ली की सरकार की नींद नहीं टूटी।
मोदी को सुनने के लिए लाखों की तादाद में भीड़ दिखाई दी। जम्मू जैसे राज्य में मोदी के लिए जुटी इस भीड़ ने पूरी भाजपा पार्टी को गदगद कर दिया। निश्चित ही इस बात ने सभी राजनीतिक दलों की चिंता बढ़ा दी है।
प्रदेश भाजपा के प्रभारी रह चुके गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने ललकार रैली के दौरान जम्मू की नब्ज पर हाथ रखा। अपने सियासी जीवन के राज्य में बिताए शुरुआती दिनों को याद किया। अवाम को महाराजा हरि सिंह, डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पंडित प्रेमनाथ डोगरा के योगदान की याद दिलाई। जम्मू कश्मीर में अब तक शहीद हुए नागरिकों और सुरक्षा बलों को नमन किया। गुज्जर, बकरवालों, अनुसूचित, जनजाति और ओबीसी वर्ग के अलावा भेदभाव और शिया समाज के मसलों को उठाकर मोदी ने स्थानीय अवाम की भावनाओं को सहलाया। गुज्जरों से मोदी ने गुजरात का नाता जोड़ा। महाराजा हरि सिंह के रियासत के लिए योगदान से लेकर अब तक जम्मू कश्मीर में शहीद हुए सुरक्षा बलों को नमन किया।
श्री नरेंद्र मोदी ने �ललकार रैली की सफलता का श्रेय अवाम को देते हुए इसे माता वैष्णो देवी की कृपा बताया। रैली में जुटी भीड़ से गदगद मोदी ने कहा, माता वैष्णो की कृपा से उन्हें जम्मू कश्मीर में विशाल जन दर्शन हुए हैं। यह अपने आप में एक ऐतिहासिक और हौसला बढ़ाने वाली घटना है। इसके बाद सीधे मोदी महाराजा हरि सिंह का राज्य के योगदान में जिक्र किया। उन्होंने कहा कि अगर महाराजा हरि सिंह को जम्मू कश्मीर पर निर्णय की प्रक्रिया में शामिल किया गया होता तो आज हालात अलग होते। मोदी ने कहा कि राज्य के देश से विलय समेत महाराजा ने कन्या शिक्षा को प्राथमिकता के साथ अनुसूचित जाति वर्ग का मंदिरों में प्रवेश आदि कई महत्वपूर्ण कदम उठाए थे।
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उन्होंने जनसंघ के पहले अध्यक्ष पंडित प्रेम नाथ डोगरा के प्रजा परिषद के आंदोलन, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, ब्रिगेडियर राजेंद्र सिंह, मेजर सोमनाथ शर्मा, कर्नल रिंकचन और टीका लाल टपलू की शहादतों के अलावा राष्ट्रवादी मकबूल शेरवानी और अब्दुल अजीज के योगदानों का जिक्र किया। अखनूर निवासी चमेल सिंह की पाकिस्तान की कोटलखपत जेल में मौत को उन्होंने केंद्र सरकार की नालायकी करार दिया। यह नालायकी तब साबित हुई, जब सरबजीत सिंह को भी उसी तरीके से उसी जेल में मारा गया। उन्होंने राज्य के रिफ्यूजी, अनुसूचित जाति, जनजाति और ओबीसी वर्ग को आरक्षण संबंधी पूरे अधिकार नहीं मिलने का मुद्दा उठाकर स्थानीय अवाम के करीबी होने का संकेत दिया। जम्मू संभाग में ही सबसे अधिक ओबीसी और सिर्फ अनुसूचित जाति वर्ग है। मोदी ने स्पष्ट किया कि वह हिंदू मुसलमान की बात नहीं कर रहे। राज्य के सवा सौ करोड़ लोगों की बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जम्मू और लद्दाख से भेदभाव की आवाजें क्यों उठती हैं। कारगिल का शिया समाज, क्योंकि बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। इसका जवाब केंद्र और राज्य सरकार को देना होगा।