Saturday, November 23, 2024
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‘राष्ट्रहित सर्वोपरि’ एक शब्द नहीं बल्कि एक मंत्र : श्री के. एन. रघुनंदन

लखनऊ। ‘राष्ट्रहित सर्वोपरि’ एक शब्द नहीं, बल्कि एक मंत्र है। राष्ट्रहित सर्वोपरि की भावना जब सबके अंदर होगी, तभी हम अपने देश व समाज के लिए कुछ कर सकते है। हमें अपने लक्ष्य को तय करना होगा और उसे हासिल करने के लिए दृढ़ संकल्पित होना होगा। हम जिस भी क्षेत्र में कार्य करें, देशहित हमेशा ध्यान रखना चाहिए। उक्त उद्गार कार्यक्रम अध्यक्ष विद्या भारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री श्री के.एल. रघुनंदन जी ने आजादी के अमृत महोत्सव पर आयोजित राष्ट्रहित सर्वोपरि कार्यक्रम के 27वें अंक में व्यक्त किए। यह कार्यक्रम सरस्वती कुंज, निराला नगर के प्रो. राजेन्द्र सिंह (रज्जू भैया) उच्च तकनीकी (डिजिटल) सूचना संवाद केन्द्र में विद्या भारती, एकल अभियान, इतिहास संकलन समिति अवध, पूर्व सैनिक सेवा परिषद एवं विश्व संवाद केन्द्र अवध के संयुक्त अभियान में चल रहा है।

मुख्य वक्ता उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड के अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद के संयुक्त क्षेत्रीय सचिव मेजर आनंद टंडन ने कहा कि अमृत महोत्सव मनाने का यह सुअवसर हमें बहुत सी कठिनाइयों एवं पुरूषार्थ के बाद प्राप्त हुआ है। उन्होंने अग्निपथ योजना की सराहना करते हुए कहा कि यह योजना देश के युवाओं के अंदर देशभक्ति की भावना जगाने व उनको देश की सुरक्षा करने के लिए प्रोत्साहित करेगी। युवाओं के प्रशिक्षण से सशक्त राष्ट्र का निर्माण होगा। उन्होंने कहा कि सेना हमारे व्यक्तित्व को निखारने एवं प्रभावशाली जीवन जीने की कला सिखाती है। उन्होंने सभी भैया-बहनों को देश सेवा के लिए फौज में जाने के लिए प्रेरित किया।

मुख्य अतिथि शौर्य चक्र से सम्मानित कैप्टन राजेश मिश्रा ने कहा कि सेना में जाने से लोगों के अंदर अनुशासन, मनोबल एवं किसी भी कार्य को करने की शक्ति का विकास होता है। वर्तमान सरकार अग्निपथ येाजना के जरिए युवाओं को रोजगार से जोड़ने व उनके व्यक्तित्व को निखारने का कार्य कर रही है। इसके साथ ही चार साल पूरे होने के बाद उनके लिए देश के विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार के मार्ग भी खुले रहेंगे। उन्होंने अपने अनुभवों को साक्षा करते हुए भैया-बहनों का मार्गदर्शन किया। इसके साथ ही भैया-बहनों के प्रश्नों के जवाब भी दिए।

विशिष्ट वक्ता केजीएमयू के चिकित्सक डा. विजय कुमार ने कहा कि कोरोना काल में हमारी संस्कृति ने हमें बचाने में बहुत सहयोग किया है। कोरोना महामारी में डाक्टरों की टीम अपनी सुरक्षा की परवाह किए बिना दिन-रात अपनी ड्यूटी पर डटी रही। हालांकि महामारी के समय कई चिकित्सकों ने अपने प्राणों की आहुति भी दे दी। उन्होंने कहा कि सेवा करने के लिए जरूरी नहीं है कि चिकित्सक बना जाए या सेना में जाया जाए, अन्य बहुत से विकल्प हैं, जिसे अपनाकर हम देश सेवा कर सकते हैं। हमें कोरोना काल के बाद भी साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।

कार्यक्रम अध्यक्ष विद्या भारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री श्री के. एल. रघुनंदन जी ने कहा कि हमारे देश के लिए जिन लोगों ने कार्य किया है, उनको सम्मान देने के लिए विद्या भारती जो अमृत महोत्सव कार्यक्रम मना रही है, वह बहुत ही सरहानीय है। इस तरह के कार्यक्रम हमारे भैया-बहनों को प्रेरणा देने का कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि युवाओं के अन्दर प्रश्न पूछने की ललक होनी चाहिए। उन प्रश्नों के समाधान खोजने से ही समाज में नई चीजों का निर्माण होता है। जब तक हमारे मन में प्रश्न नहीं होंगे और उनके हल खोजने के लिए संवेदना नहीं होगी, तब तक हम समाज की समस्याओं को हल नहीं कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान शिक्षा नीति में छात्रों को पढ़ाई के साथ उनके कौशल विकास के लिए कार्य किया गया है।

कार्यक्रम में आए अतिथियों का परिचय बालिका शिक्षा प्रमुख श्री उमाशंकर जी ने कराया। इतिहास संकलन समिति अवध प्रांत के सदस्य डा. मुनेन्द्र सिंह जी ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम की प्रस्ताविकी व कार्यक्रम का संचालन विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रचार प्रमुख श्री सौरभ मिश्रा जी ने किया।

इस अवसर पर विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के क्षेत्रीय संगठन मंत्री मा. हेमचन्द्र जी, शौर्य चक्र से सम्मानित कैप्टन राजेश मिश्रा की पत्नी श्रीमती कृष्णा मिश्रा, शौर्य चक्र से सम्मानित कैप्टन राजेश मिश्रा के छोटे भाई श्री संदानंद मिश्रा, पूर्व सैनिक सेवा परिषद के सूबेदार दिनेश पांडेय समेत सरस्वती विद्या मंदिर, इन्दिरानगर, लखनऊ के छात्र-छात्राएं सहित कई लोग मौजूद रहे।

भास्कर दूबे

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