राजनांदगाॅंव । शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय के स्नातकोत्तर भौतिक शास्त्र विभाग एवं स्वशासी प्रकोष्ठ के तत्ववाधान में एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया । तकनीकी सत्रों में शोध पत्र वाचन किए गए। अतिथियों ने उद्गार व्यक्त किया । विशेषज्ञों ने मार्गदर्शन किया । संगोष्ठी का विषय भौतिकी के क्षेत्र में उच्चतर शोध तथा उसकी सामाजिक उपयोगिता पर केन्द्रित था । विभिन्न क्षेत्रों और राज्यों के प्रतिभागी शामिल हुए ।
उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि आर. टी. एम. नागपुर विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डाॅ. एस. जे. धोबले थे । अध्यक्षता छ.ग. निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोजन के पूर्व अध्यक्ष, डाॅ. एस. एन. अग्रवाल ने की। विशिष्ट अतिथि पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर की डाॅ. नमिता ब्रम्हे एवं डाॅ. डी. पी. बिसेन, डाॅ. सी. व्ही. रमन विश्वविद्यालय बिलासपुर के प्राध्यापक डाॅ. ए. के. श्रीवास्तव, भाभा रिसर्च इन्स्टीट्यूट, मुम्बई की वैज्ञानिक डाॅ. नंदिनी गर्ग तथा डी.आर.डी.ओ. दिल्ली के वैज्ञानिक श्री सुदीप वर्मा थे । मंच पर संरक्षक एवं प्राचार्य डाॅ. आर. एन. सिंह, संगोष्ठी की संयोजक डाॅ. प्रीतिबाला टांक तथा आयोजन सचिव डाॅ. सुरेश कुमार पटेल उपस्थित थे ।
प्रारंभ में अतिथियों का पुष्प गुच्छ तथा गीता पुस्तक भेंट कर स्वागत किया गया । शाल-श्रीफल तथा छत्तीसगढ़ी संस्कृति के प्रतीक खुमरी पहनकर सम्मान किया गया । प्राचार्य डाॅ. आर. एन. सिंह ने प्रस्ताविक उद्बोधन में कहा कि शोध एवं नई दृष्टि के आधार पर विद्यार्थियों में विज्ञान के प्रति नया रूझान पैदा करना समय की मांग है। यह संगोष्ठी उसी दिशा में एक प्रयास है । संयोजक डाॅ. प्रीतिबाला टांक ने अतिथियों का परिचय देते हुए संगोष्ठी संबंधी जानकारी दी ।
मुख्य अतिथि डाॅ. धोबले ने अपने उद्बोधन में कहा कि हम शोध और कौशल विकास के क्षेत्र में बच्चों को इस प्रकार तैयार करें कि वे अपना रास्ता स्वयं चुन सकें । अध्यक्षीय आनंदी से डाॅ. अग्रवाल ने भौतिकी के क्षेत्र में पिछली एक सदी के शोध तथा डाॅ. सी. व्ही. रमन, डाॅ. जगदीशचन्द्र बसु, डाॅ. भाभा, डाॅ. सत्येन्द्रनाथ बोस आदि के योगदान पर सारगर्भित प्रकाश डालते हुए प्राचीन भारतीय वैज्ञानिकों की साधना से भी अवगत करवाया। उन्होंने कहा कि विज्ञान के सामने आज भी कई चुनौतियाॅं है जिनका सामना करना नई पीढ़ी में वैज्ञानिकों की जिम्मेदारी है। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि डाॅ. नमिता ब्रम्हे ने कहा कि विज्ञान के क्षेत्र में विद्यार्थियों तथा शोधकर्ताओं के कार्यों को सही पहचान मिलना चाहिए । कार्यक्रम का संचालन डाॅ. नीलू श्रीवास्तव ने किया ।
उक्त जानकारी देते हुए आयोजन की संवाद समिति के संयोजक डाॅ. चन्द्रकुमार जैन ने बताया कि तकनीकी एवं समानान्तर सत्रों में आमंत्रित विशेषज्ञों ने विषय के विविध पहलुओं पर प्रस्तुतीकरण दिया। शोधार्थियों ने शोध-पत्र वाचन किया, पश्चात् समापन सत्र सम्पन्न हुआ । आकर्षक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गये । अंत में डाॅ. सुरेश कुमार पटेल ने आभार व्यक्त किया ।
समाचार प्रकाशन हेतु सादर प्रेषित ।
डाॅ. आर.एन.सिंह
प्राचार्य
शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय
राजनांदगाॅव (छ.ग.)