Thursday, November 28, 2024
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सिनेमा में सेंसरशिप की जगह रेगुलेशन की आवश्यकता: राहुल रवैल

सार्थक और प्रभावी सिनेमा बनाने आगे आए युवा प्रतिभा: प्रो. केजी सुरेश

फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम में जाने-माने फिल्मकार राहुल रवैल का संवाद

भोपाल।
ओटीटी प्लेटफार्म पर अपराध, असामाजिकता और अनैतिकता का महिमामंडन उचित नहीं है। हालांकि मैं सेंसरशिप का समर्थन नहीं करता, उसके लिए तो दर्शक खुद सक्षम हैं। लेकिन आपत्तिजनक कंटेंट को रोकने के लिए स्वयं की जिम्मेदारी के साथ रेगुलेशन की भी आवश्यकता है। बेताब और अर्जुन समेत कई लोकप्रिय हिंदी फिल्मों के निर्माता निर्देशक राहुल रवैल ने मीडिया एवं जनसंचार शिक्षकों से यह बात कही। श्री रवैल सोमवार को माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित पांच दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम के अंतर्गत शुभारंभ सत्र को संबोधित कर रहे थे।

एआईसीटीई ट्रेनिंग एंड लर्निंग (ATAL) अकादमी के सहयोग से ‘सिनेमैटिक कम्युनिकेशन’ पर केंद्रित एफडीपी में निर्माता निर्देशक राहुल रवैल ने कहा कि संचार के रूप में सिनेमा एक सशक्त और अद्भुत माध्यम है। सिनेमा का संचार लोगों को प्रभावित करता है। ओटीटी प्लेटफार्म के आने से सिनेमा में अवसरों की संभावनाएं काफी बढ़ गई हैं। यहां युवा अच्छा कार्य कर रहे हैं। अपने व्याख्यान के बाद राहुल रवैल ने प्रतिभागी शिक्षकों के प्रश्नों के उत्तर दिए और जिज्ञासाओं का समाधान किया।

शुभारंभ सत्र के अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि भारतीय सिनेमा को हॉलीवुड की नकल न करके मौलिकता पर ध्यान देना चाहिए। हमारे पास यंग टैलेंट है, जिसका उपयोग हो तो हम सिनेमा के क्षेत्र में अद्भुत कार्य कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि जो फिल्म रोफेशनल सिनेमैटिक लैंग्वेज समझते हैं, वह सफल होते हैं, लेकिन इस क्षेत्र में भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कई जिम्मेदारियों को लेकर आती है, जिसे समझने की आवश्यकता है। सिनेमा समाज को मोटिवेट करता है जो समाज में परिवर्तन का एक बड़ा कारण बन सकता है।

पहले दिन दूसरे तकनीकी सत्र सत्र में नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के निदेशक श्री आलोक चटर्जी ने न्यू जोनर्स ऑफ विजुअल कम्युनिकेशन विषय के साथ ड्रामा की विविध विधाओं के सौद्धांतिक पक्ष को समझाया। तीसरे तकनीकी सत्र में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्लिकल टीचर्स ट्रनिंग एंड रिसर्च के प्रो. राजीव शंकर गोहिल ने भारतीय सिनेमा के इतिहास, विकास एवं बदलते प्रतिमान पर विस्तार से प्रकाश डाला। विश्वविद्यालय द्वारा ‘सिनैमैटिक कम्युनिकेशन’ पर आयोजित पांच दिवसीय ऑनलाइन फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम में देशभर के लगभग 200 मीडिया और जनसंचार के शिक्षक भाग ले रहे हैं।

कुलसचिव प्रो. पवित्र श्रीवास्तव ने कार्यक्रम का संयोजन किया और सहायक प्राध्यापक डॉ. गजेंद्र सिंह अवास्या ने शुभारंभ सत्र का संचालन किया।

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