बात वर्ष 2011 की है जब सहायक निदेशक के रूप में मेरी पोस्टिंग उदयपुर के जनसंपर्क कार्यालय में थी। एक दिन सूर्योदय से पूर्व ही मैं अपने साथी राजू के साथ जा पहुंचा नीमच माता जी मंदिर के दर्शन के लिए। माता जी एक पहाड़ी पाई पर विराजित हैं। चढ़ते-चढ़ते सूर्योदय भी हो गया। मैं सूर्य के साथ बनते रंगों के फोटो खींचने में लीन हो गया। जी भर कर सूर्य से परिवेश के साथ फोटो लिए और ऊपर चढ़ाई चढ़ते रहे। चढ़ाई के साथ-साथ वहां से उदयपुर के आस पास के सुंदर दृश्य भी कैमरे में कैद किए। चढ़ाई जब पूरी हो गई तो मंदिर की मुख्य सीढियां चढ़ कर माता जी के मनोहारी रूप के दर्शन किए। यहां से फतहसागर झील के चारों तरफ का नजारा अत्यंत चित्ताकर्षक लगता है।
दो दिन पश्चात मैंने एक आलेख लिखा जो उदयपुर सहित राज्य के कई समाचार पत्रों में प्रकाशित हुआ। मेरा मुख्य सुझाव था कि फतहसागर से मंदिर तक एक रोपवे का निर्माण किया जाए जिस से हर उम्र के श्रद्धालु माता के दर्शन का लाभ प्राप्त कर सकें, विशेष कर वह जो बुजुर्ग हैं अथवा चलने में सक्षम नहीं हैं। मेरे इस विचार की उस समय काफी चर्चा हुई। लोगों की इस पर सकारात्मक प्रतिक्रिया आई। ऑफिस के सहायक जन संपर्क अधिकारी पवन शर्मा ने कहा आपने तो माता वैष्णव देवी की कल्पना कर दी। उनको मैंने कहा भाई एक अच्छा विचार दिया है पर्यटकों की दृष्टि से क्या पता कभी साकार हो जाए।
मेरे लिए इस से बढ़ कर खुशी की बात क्या होगी कि 15 वर्ष बाद इस विचार ने मूर्त रूप लिया और 22 जनवरी 2024 को उधर अयोध्या में भगवान राम लला की प्राण प्रतिष्ठा हो रही थी, इधर उदयपुर में असम के राज्यपाल श्री गुलाबचंद कटारिया ने इसी दिन नीमच माता मंदिर रोपवे का लोकार्पण किया। पर्यटन को बढ़ावा देने तथा श्रद्धालुओं की सुविधा के मद्देनजर जिला प्रशासन तथा उदयपुर विकास प्राधिकरण के तत्वावधान में नीमच माता पहाड़ी तक स्थापित रोप-वे की सुविधा शुरू हो गई है।
झीलों की नगरी, पूर्व का वेनिस और राजस्थान का कश्मीर जैसी संज्ञाओं से विभूषित उदयपुर दुनिया के पर्यटकों की विशेष पसंद हैं। कई फिल्मों में उदयपुर की मोहक दृश्यावलियां नज़र आती हैं। बड़ी हस्तियों के लिए रमणीक उदयपुर वेडिंग डेस्टिनेशन बन गया है। नौकायन, वाटर स्कूटर, तैराकी जैसी एडवेंचर गतिविधियां आकर्षक हैं। जादुई आकर्षण लिए शहर का ऐतिहासिक सिटी महल, विंटेज कार संग्रहालय, सज्जनगढ़, जगदीश मंदिर, पिछोला झील, उदयसागर झील, बड़ी का जलाशय, फतहसागर झील और इसके मध्य नेहरू पार्क, मोती मगरी पर प्रताप स्मारक, उदयसिंह के सर्वप्रथम निर्मित पुराने महलों के खंडहर, प्रताप के प्रमुख भील सेनानियों के पार्क, झील की पाल पर एक्वेरियम, शिल्पग्राम, सहेलियों की बाड़ी पार्क, लोक संस्कृति का खज़ाना लिए भारतीय लोक कला मंडल, रात्रि में लुभाता सुखाडिया सर्किल, बागोर की हवेली संग्रहालय, सज्जन निवास उद्यान, दूध तलाई, करणीमाता रोपवे, राणा प्रताप स्मारक, बोहरा गणेश जी मंदिर, आहाड़ संग्रहालय और सज्जनगढ़ बेलोजिकल पार्क प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं।
उदयपुर के आसपास जगत का अम्बिका मंदिर, नागदा के सास-बहू के मंदिर और शिव मंदिर इकलिंगजी, जयसमंद झील, ऋषभदेव जैन मंदिर, महाराणा प्रताप से जुड़े चावण्ड, गोगुंदा, मायरा की गुफाएं और उदयपुर से नाथद्वारा मार्ग पर करीब 20 किमी दूर अरावली की पहाड़ी पर विकसित वैष्णो देवी की तर्ज पर बना मंदिर आदि प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं।
पिछोला झील के मध्य निर्मित जगनिवास महल आज अंतर्राष्ट्रीय होटल में परिवर्तित कर दिया गया है। फतेहप्रकाश महल भी होटल में तब्दील हो गया है, परंतु इसमें निर्मित भव्य और आकर्षक “क्रिस्टल गैलरी” को निर्धारित शुल्क अदा कर देखा जा सकता है। सुझाव रहेगा की नया और अद्भुत देखने की चाह रखने वाले पर्यटकों को इसे जरूर देखना चाहिए। निश्चित ही झीलों की नगरी उदयपुर में दूसरा नीमच माता रोपवे पर्यटन विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
(लेखक विभिन्न विषयों पर देश की प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं के लिए लिखते रहते हैं।)