पता नहीं हिंदुओं को किस तरह की सनक है। हर कुछ साल में नया भगवान चाहिए। भगवान के नए नए चमत्कार चाहिए। क्योंकि चमत्कार के नाम पर इनकी जेब सेआसानी से पैसा निकलता है।
अभी कुछ साल पहले ही एक धार्मिक नगर में बहुत बड़ा साई आश्रम बना जिसकी कीमत करोड़ों में होगी। अब फिर भक्तों की जेब से पैसा निकालने की तैयारी हो चुकी है। एकादश (11) साईं स्वरूप मन्दिर की तैयारी। इसमे साई की 11 तरह की मूर्तियों को प्राण प्रतिष्ठित किया जाएगा। शायद 1 साईं कम था इसलिए अब 11 साईं बनाए जा रहे हैं। इसके लिए साई सन्ध्या का आयोजन किया जा रहा है। चढ़ावे की दृष्टि से शिर्डी का साई मन्दिर भारत के मुख्य 10 मंदिरों में गिना जाता हैं।
साई भक्त और विचारशील हिन्दू का संवाद-
विचारशील: यह तुम्हारा साईं बाबा एक पाखंड से ज्यादा और कुछ नहीं है.
साईं भक्त: आप गलत कहते हो साईं बाबा भगवान् के अवतार हैं.स्वयं शिव के अवतार हैं.ब्रह्मा विष्णु
महेश तीनों साक्षात् साईं के रूप हैं.
विचारशील: किसी धर्मग्रन्थ से यह अवतार वाली बात सिद्ध कर सकते हो ? साईं बाबा एक मुस्लिम फ़कीर थे यह बात तो साईं सत्चरित में सिद्ध हो चुकी है.उन्होंने खुद अपने मुंह से कहा है कि मैं एक यवन वंशी यानि मुस्लिम परिवार में पैदा हुआ हूँ.और वो नमाज़ भी पढ़ते थे.
साईं भक्त: साईं चालीसा में अवतार हैं यह कहा गया है.
आर्य: साईं चालीसा में यह किसने लिखा है?
साईं भक्त: साईं के एक भक्त ने.
विचारशील: स्वयं साईं ने तो नहीं लिखा? तुम लोग साईं की बात मानोगे या भक्त की?
साईं भक्त: लेकिन साईं के चमत्कारों को देखकर तो सारी दुनिया उनके सामने झुकती है.
विचारशील: ऐसे जादू भरे चमत्कार तो हमारी गली में तमाशा दिखने वाले कलाकार भी दिखाते हैं तो
क्या उनको भी ईश्वर कहोगे आप?
साईं भक्त: जी नहीं वो कहाँ और हमारे साईं बाबा कहाँ?
विचारशील: देखिये श्रीमान जी जब सन १९५० के आस पास राम जन्मभूमि विवाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय में दायर किया गया तब तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने हिन्दू मुस्लिम सौहार्द के लिए यह साईं बाबा का जिन्न बोतल से निकाला. क्योंकि उन्हें डर था कि देश में अराजकता फ़ैल सकती है और हमारी सरकार पर संकट आ सकता है.
साईं भक्त: आप गलत कह रहे हैं.साईं बाबा तो उससे पहले से पूजे जा रहे हैं.
विचारशील: श्रीमान जी ध्यान से सुनिए! आर्य समाज नामक संस्था के पाखंड खंडन से आज तक कोई पाखंडी नहीं बचा है.किन्तु आर्य समाज के साहित्य में भी १९५० से पहले कहीं किसी साईं बाबा का नाम नहीं आता है.इससे पता चलता है कि १९५० से पहले आम जनमानस में साईं बाबा नाम की कोई चर्चा ही नहीं थी.
साईं भक्त: साहित्य में नाम नहीं आता तो क्या साईं बाबा नहीं थे?
आर्य: ऐसा मैंने नहीं कहा है मैंने कहा है कि जिस रूप में आज आप लोग मानते हो उस रूप में नहीं थे अर्थात धार्मिक जगत में कहीं उनका नाम नहीं था.
साईं भक्त: आखिर आपको साईं बाबा में क्या बुराई नजर आती है?
विचारशील: क्या आपने साईं बाबा का जीवन चरित्र पढ़ा है?
साईं भक्त: हाँ पढ़ा है.तो?
विचारशील: क्या उसमे नहीं लिखा कि साईं बाबा चिलम पीते थे? मांस खाते थे? नमाज़ पढ़ते थे?
साईं भक्त: हाँ लिखा है.तो?
आर्य: जिन देवताओं के साथ आपने साईं बाबा को बिठा रखा है उन देवताओं में कौन देवता चिलम पीता था और कौन नमाज़ पढता था कौन मांस खाता था? आप लोग साईं के साथ ईश्वर के मुख्य नाम ॐ को लगाते हो मर्यादा पुरुषोत्तम राम का नाम जोड़ते हो.क्या राम और साईं एक जैसे हो सकते हैं?
साईं भक्त: तो साईं के साथ राम का नाम जोड़ने में क्या बुराई है ?
विचारशील: क्या आपके नाम के साथ मुहम्मद शब्द जोड़ा जा सकता है ? या बाद में अहमद लगाया जा सकता है ?
साईं भक्त: जी नहीं बिलकुल नहीं.
विचारशील: इसी प्रकार किसी मुस्लिम फ़कीर के नाम के साथ राम का नाम जोड़ना गलत है.
साईं भक्त: भाई साहब आपकी बात सही है लेकिन……चलिए आप ही बताइए कि क्या साईं बाबा
भगवान् नहीं हैं?
विचारशील: भगवान् ? जैसे लक्षण खुद साईं की पुस्तक में लिखे हैं ऐसे लक्षणों वाला तो मनुष्य भी नहीं कहलाता है और आप उसको भगवान् कहते हैं ? भगवान् तो निराकार है,साईं तो साकार है.भगवान् तो दयालु है,साईं तो जीभ के स्वाद के लिए मांस खाता है.भगवान् तो अजन्मा है,साईं तो जन्म लिया है.भगवान् तो अमर है,साईं तो मर गया.और हाँ सबसे बड़ी बात तो आप सभी साईं भक्त आज तक समझे ही नहीं.
साईं भक्त: वह क्या ?
विचारशील: क्या आप लोग नमाज़ पढ़ते हैं ?
साईं भक्त:भाई साहब ये आप क्या कह रहे हैं? हम लोग नमाज़ क्यों पढेंगे?
विचारशील: क्योंकि आपका साईं बाबा तो नमाज़ पढता था और किसी भी गुरु के चेले उसके ही मत या सम्प्रदाय के माने जाते हैं.इस नियम से आप सभी साईं भक्तों को भी नमाज़ पढनी चाहिए.शायद यही उद्देश्य पूरा करने के लिए साईं बाबा को भगवान् के रूप में प्रचारित किया गया है जिससे कि लोग इसके अनुयायी बनकर धीरे धीरे अपने धर्म को छोड़कर
मुसलमान बन जाएँ.धार्मिक रूप से बरगलाकर हिन्दुओं को मुसलमान बनाने की इस प्रक्रिया को अल तकिया के नाम से जाना जता है.
साईं भक्त: भाई साहब आप हैं कौन जिनको इतनी सब जानकारी है.जो भी हो आपके तर्कों का मेरे पास कोई जवाब नहीं है.आपकी बातों से मेरी आँखों पर पडा साईं नाम का पर्दा तो हट चुका है.अब कृपा करके मुझे अँधेरे में मत छोडिये मुझे सही रास्ता भी तो बताइये.
(मूल लेख से आंशिक परिवर्तित)
मूल लेखक: पंडित रवींद्र आर्य कानपुर