आता है जो फागुन बीते साल नया
होली वाला फाग सुनाते साल नया ।
सन् से पहले आया संवत भूल गए
संवत्सर के साथ निभाते साल नया ।
बौराता है मधुवन सारा ख़ुशबू से
तब आता है सचमुच प्यारे साल नया ।
उपवन में जब फूल जरा-से होते हैं
तब आता है अंग्रेजी ये साल नया ।
चोर उचक्के आते आधी रात ढले
फिर क्यूँ आता चुपके-चुपके साल नया ।
मर्यादित गौरवशाली विक्रम संवत
सूर्य उदय के साथ मनाते साल नया ।
सर्दी का मौसम होता जब ठण्डा ठूँ
तब क्यूँ आता यार ठिठुरते साल नया ।
– कमलेश व्यास ‘कमल’