श्री अमिताभ बच्चन और श्री आमिर खान,
एक भारतीय के रूप में, मुझे गर्व होता है कि आप जैसे भारतीय फिल्म सुपरस्टार न केवल हमारे देश में करोड़ों लोगों के प्यार और प्रशंसा के पात्र बने हैं बल्कि चीन जैसे देश में भी आपकी एक बड़ी फैन फोलोइंग है। इससे यही साबित होता है कि प्रतिभा सीमाओं की मोहताज नहीं होती और भाषा कोई रुकावट पैदा नहीं करती।
दुनिया भर में तेजी से बढ़ रही आपकी लोकप्रियता के साथ स्वाभाविक है कि बड़े कॉर्पोरेट और मार्केटिंग गुरु आपको ब्रांड एंबेसडर के रूप में निवेश में बड़ी संभावनाएं देखते हैं, जिससे आपके आकर्षण और लोकप्रियता का रंग अपने ब्रांडस पर चढ़ा सकें और अपने उत्पादों की बिक्री बढ़ा सकें।
मैं चीनी उत्पादों से जुड़े कुछ तथ्यों को आपके समक्ष रखना चाहूँगा जिनका सेलिब्रिटीज प्रचार कर रहे हैं। सावधानी का एक शब्द, हो सकता है ये तथ्य आपको बहुत घिनोने लगें।
क्या आप जानते हैं कि चीन भर में हजारों लेबर कैंप हैं जहाँ लाखों आध्यात्मिक और राजनैतिक समर्थक कैद हैं। इन कैदियों का शोषण कर उनसे मुफ्त खिलोने, कपड़े, मूर्तियाँ और अन्य उत्पाद बनवाये जाते हैं। यही कारण है कि ये इतने सस्ते होते हैं। इसमें से बहुत से सस्ते सामान की खपत भारत में भी होती है। याद रखें, हर बार जब आप ‘मेड इन चाइना’ उत्पाद खरीदते हैं, तो आप एक क्रूर शासन को समृद्ध और सशक्त बना रहे हैं।
पिछले साल दिवाली के दौरान चीनी उत्पादों का बहिष्कार करने के लिए सार्वजनिक अभियान चलाया गया। विडंबनापूर्ण यह है कि एक लोकप्रिय चीनी मोबाइल फोन निर्माता ने भारत में उसी दौरान 18 दिनों में दस लाख स्मार्ट फोन बेचे।
पिछले कुछ वर्षों में चीन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अंग प्रत्यारोपण के लिए पर्यटन केंद्र के रूप में उभरा है। हजारों लोग वहां अंग प्रत्यारोपण के लिए जाते हैं। किन्तु उन्हें यह जानकारी नहीं है कि ये अंग कहाँ से आते हैं।
पिछले 15 वर्षों से चीन में सालाना 10,000 से अधिक अंग प्रत्यारोपण हुए हैं। चीन में अंग दान में देने की प्रथा नहीं है। तो ये अंग कहाँ से आते हैं? आश्चर्यजनक यह है कि चीन में अंग प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा अवधि बहुत कम है – केवल कुछ हफ्ते। जबकि दूसरे देशों में अनुकूल अंग मिलने में वर्षों लग जाते हैं। तो यह कैसे संभव है?
यह अविश्वसनीय लगता है, किन्तु चीन में अंगों के प्रत्यारोपण के लिए अंग न केवल मृत्युदण्ड प्राप्त कैदियों से आते हैं, बल्कि बड़ी संख्या में कैद “फालुन गोंग” अभ्यासियों से आते हैं। चीन में मानवीय अंग प्रत्यारोपण के इस अपराध में बड़े पैमाने पर अवैध धन कमाया जा रहा है। चीन के अवैध मानवीय अंग प्रत्यारोपण उद्योग का सालाना कारोबार 1 बिलियन डॉलर का है।
स्वतंत्र जाँच द्वारा यह प्रकाश में आया है कि चीनी शासन, सरकारी अस्पतालों की मिलीभगत से, कैदियों के अवैध मानवीय अंग प्रत्यारोपण के अपराध में संग्लित है। चीन में कैद फालुन गोंग अभ्यासी इस मानवता के विरुद्ध अपराध के मुख्य शिकार हैं। इस अमानवीय कृत्य में हजारों फालुन गोंग अभ्यासियों की हत्या की जा चुकी है।
फालुन गोंग, जिसे फालुन दाफा भी कहा जाता है, मन और शरीर का एक साधना अभ्यास है जिसकी शुरुआत चीन में 1992 में श्री ली होंगज़ी द्वारा की गयी। इसके स्वास्थ्य लाभ और आध्यात्मिक शिक्षाओं के कारण फालुन दाफा इतना लोकप्रिय हुआ कि 1999 तक चीन में करीब 7 से 10 करोड़ लोग इसका अभ्यास करने लगे। इसका बढ़ता जनाधार चीनी शासकों को खलने लगा। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने फालुन दाफा की शांतिप्रिय प्रकृति के बावजूद इसे अपने प्रभुसत्ता के लिए खतरा माना और 20 जुलाई 1999 को इसपर पाबंदी लगा दी और इसे कुछ ही महीनों में जड़ से उखाड़ देने की मुहीम चला दी। (www.faluninfo.net पर और पढ़ें)
हम आपको नैतिक दुविधा में डाल कर चीनी कंपनियों के साथ व्यावसायिक अनुबंध तोड़ने के बारे में नहीं कह रहे हैं क्योंकि इससे आपकी साख और अखंडता पर आंच आ सकती है। हमें लगता है कि मानवता के खिलाफ इन अपराधों के बारे में लोगों को जागरूक करके आप एक उदार समाधान का भाग बन सकते हैं। आप कॉर्पोरेट जगत के मुखियाओं और चीनी सरकार के अधिकारियों से इस दमन को समाप्त करने के बारे में बात कर सकते हैं। इसे एक राजनीतिक विषय न समझें, यह एक नैतिक विषय है – एक मानवाधिकार विषय।
हम आपकी ईमानदारी और नैतिकता के लिए आपकी अनुकरणीय भावना का सम्मान करते हैं। जब आप सामाजिक कारणों के लिए खड़े हो जाते हैं और समाज की बुराइयों का खुलासा करते हैं, यह सहज ही आपके चरित्र और समाज के लिए आपके दायित्व को दर्शाता है। श्री अमिताभ बच्चन का शराब या धूम्रपान संबंधित किसी भी उत्पाद का समर्थन न करना और ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ जैसे सार्वजनिक सेवा अभियानो को समर्थन देना आपके नैतिक आदर्श को दर्शाता है। इसी प्रकार श्री आमिर खान का सक्रिय टीवी धारावाहिक सत्यमेव जयते’ भ्रष्टाचार का पर्दाफाश करने और सामाजिक बुराइयों को उजागर करने के लिए प्रशंसा का पात्र रहा है।
आपकी जानकारी के लिए फालुन दाफा को भारत में सन से 2000 से सिखाना आरम्भ किया गया था और 2004 में इसे पंजीकृत किया गया। तब से, देश भर के अनेकों स्कूल और कॉलेजों में इस ध्यान अभ्यास को सिखाया गया है। दिल्ली और हैदराबाद में पुलिस अकादमी में फालुन दाफा अभ्यास की वर्कशॉप आयोजित की गयीं। कई बड़े संगठनों ने इसे अपने वरिष्ठ अधिकारियों को सिखाने के लिए फालुन दाफा अभ्यासियों को आमंत्रित किया। दिलचस्प बात यह है कि कई जेल अधीक्षकों ने कारागृहों में कैदियों के स्वास्थ्य और नैतिक गुण उत्थान के लिए इस अभ्यास को सिखाने के लिए अनुरोध किया है।
यह आपके लिए विशेष रूचिकर होगा कि मुंबई फिल्म उद्योग के अनेक हेयर स्टाइलिस्ट, मेक-अप कलाकार, फोटोग्राफर और टैलेंट सर्च एजेंसियों के संचालक रोजमर्रा का तनाव दूर करने के लिए फालुन दाफा का अभ्यास करते हैं।
आपके धैर्य के लिए धन्यवाद और हम आपसे इस बारे में सकारात्मक कार्यवाही की अपेक्षा करते हैं।
आपका भवदीय
सुरेन राव
अध्यक्ष
फालुन दाफा एसोसिएशन ऑफ इंडिया
surenrao9@unseen.is