तेलंगाना की भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी स्मिता सबरवाल ने आउटलुक पत्रिका द्वारा खुद को ‘आई कैंडी’ कहे जाने और सीएम के साथ उनके संबंधों पर टिप्पणी के खिलाफ कार्रवाई में तेरंगाना सरकार ने उनका साथ देने का फैसला किया है। स्मिता ने आरोप पत्रिका के उक्त स्तंभ को आपत्तिजनक कहते हुए मानहानि का दावा किया था। अब तेलंगाना सरकार ने स्मिता को कानूनी प्रक्रिया में होने वाले खर्च के लिए 15 लाख रुपये की राशि दी है।
मालूम हो कि आउटलुक पत्रिका द्वारा छापे गए एक लेख पर लिंगवादी होने का आरोप लगाते हुए स्मिता ने पत्रिका के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की थी। स्मिता तेलंगाना राज्य मुख्यमंत्री ऑफिस में अतिरिक्त सचिव के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने आउटलुक पत्रिका पर मानहानि का दावा किया था। राज्य सरकार अब उन्हें कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए 15 लाख रुपये की सहायता दे रही है। स्मिता ने आउटलुक के खिलाफ 10 करोड़ रुपये का दावा भी ठोका है।
पत्रिका ने 6 जुलाई को प्रकाशित अपने अंक में एक गॉसिप स्तंभ ‘डीप थ्रोट ‘ के अंतर्गत यह विवादित सामग्री प्रकाशित की थी। बिना स्मिता का नाम लिए ही उनकी तरफ संकेत करते हुए लिखा था कि अब 38 साल की हो चुकीं सबरवाल जो कि 2001 बैच की आईएएस अधिकारी हैं और जो कि प्रशासनिक सेवा की परीक्षा में पूरे भारत में चौथे स्थान पर आई थीं, 23 साल की उम्र में ‘आई कैंडी’ हुआ करती थीं।
स्मिता के पति तेलंगाना कैडर में एक आईपीएस अधिकारी हैं। उनके 2 बच्चे भी हैं। पत्रिका ने स्मिता के बारे में बिना नाम लिए ही लिखा कि वह बहुत प्यारी साड़ियां पहना करती थीं और फैशन शो में भी जाया करती थीं।
इसके छपने के बाद इसका काफी विरोध हुआ। तेलंगाना में कई जगहों पर आउटलुक पत्रिका के खिलाफ मामले दायर किए गए। हैदराबाद सेंट्रल क्राइम स्टेशन के अधिकारियों ने तो पत्रिका से जुड़े लोगों, यहां तक कि हैदराबाद में आउटलुक के सहायक संपादक माधवी टाटा के साथ लंबी पूछताछ की।
माधवी ने ही उक्त स्तंभ लिखा था। स्मिता ने आउटलुक को भेजे गए कानूनी नोटिस, जिसका शीर्षक उन्होंने ‘नो बोरिंग बाबू’ दिया है, में लिखा है कि उक्त संबंधित स्तंभ अशोभनीय, चलताऊ और भड़काऊ किस्म का है। हालांकि पत्रिका ने स्तंभ छापने के लिए उनसे बाद में माफी भी मांगी, लेकिन फिर भी स्मिता ने पत्रिका पर मानहानि का दावा ठोका है।
29 जुलाई को स्मिता ने इस सिलसिले में तेरंगाना सरकार से संपर्क किया। उन्होंने सरकार से पत्रिका के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की इजाजत मांगी। सरकार ने कानूनी प्रक्रिया में होने वाले खर्च के लिए उन्हें 15 लाख रुपये भी दिए। इसमें से 9,75,426 लाख रुपये कोर्ट की फीस और बाकी के पैसे वकील के खर्च के लिए दिए गए हैं। तेलंगाना जनरल एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट के सचिव विकास राज ने बताया कि सरकार द्वारा जो राशि स्मिता को दी गई है उन्हें वह राशि मुआवजा मिलने के बाद सरकार को लौटानी होगी।
स्मिता के पति अकुन तेलंगाना ड्रग कंट्रोल एडमिनिस्ट्रेशन विभाग के प्रमुख हैं। उन्होंने मामला सामने आने के तुरंत बाद मिरर से बात करते हुए कहा, ‘यह लड़ाई सिर्फ मेरी पत्नी के मामले के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह सभी महिलाओं के सम्मान के लिए है। मैं इस लड़ाई में उसके साथ खड़ा हूं।’
‘एक प्रतिष्ठित पत्रिका द्वारा इस किस्म का गंदा और भड़काऊ किस्म का स्तंभ छापने के बाद हम हैरान थे। हमें बहुत तकलीफ हुई। एक महिला आईएएस अधिकारी के खिलाफ इस तरह से लिखना बेहद हैरान करने वाला था। मेरी पत्नी ने उसी समय फैसला किया कि वह इसके खिलाफ लड़ेगी। हमारी शादी को 10 साल हो गए हैं। किसी भी व्यक्ति द्वारा मेरी पत्नी के खिलाफ कुछ भी गलत कहा जाना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। भाग्यवश मुझे उसे संभालने की जरूरत नहीं पड़ी क्योंकि वह खुद ही बेहद मजबूत है। शुरू में तो हम हैरान थे, फिर हमें एहसास हो गया कि पत्रिका के खिलाफ कार्रवाई करना हमारी जिम्मेदारी है। खुद को पत्रकार कहने वाले ये लोग कैसे जानते हैं कि स्मिता के साथ सीएम किस तरह का बर्ताव करते हैं। सीएम उसे नान्ना कहते हैं, जिसका मतलब होता है छोटा बच्चा। इस तरह के प्यारे रिश्ते को कोई कैसे गलत तरीके से पेश कर सकता है। आईएएस अधिकारियों के असोसिएशन ने पहले ही स्मिता को अपना पूरा समर्थन देने की घोषणा की है। वह 14 साल से प्रशासनिक सेवा में है। स्मिता के पिता भारतीय सेना में अधिकारी थे,’ स्मिता के पति अकुन ने मिरर के साथ बातचीत में कहा।
साभार- मुंबई मिरर से