नई दिल्ली: रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभु ने नई तबादला नीति लागू कर दी है। नई नीति के तहत रेलवे में अब ग्रुप ए और ग्रुप बी के अधिकारी लॉबिंग और राजनीतिक पहुंच के दम पर महानगरों व बड़े शहरोंं में दशकों तक नहीं टिक पाएंगे। कार्यकाल पूरा होने के बाद उनका दूसरे शहर में तबादला किया जाएगा।
वहीं अधिकारी अब पोस्टिंग होने के बाद पांच साल का कार्यक्रम पूरा होने पर ही तबादले के लिए आवेदन कर सकेंगे। रेल मंत्री ने 31 अगस्त को रेल अधिकारियों की विस्तृत तबादला नीति लागू कर दी है इस नीति में स्पष्ट है कि रेलवे के ग्रुप-ए और ग्रुप बी के अधिकारी को जोन अथवा यूनिट में पांच साल का कार्यक्रम पूराकरना अनिवार्य होगा। इसके बाद ही रेलवे अधिकारी बोर्ड, आरडीएक्सओ (रिसर्च डिजाइन्स एंड स्टैंडड्स आर्गेनाइजेशन) पीएसयू व अन्य विभागों में तबादले के लिए आवेदन कर सकते हैं।
तबादले के आवेदन पर तभी विचार किया जाएगा जब संबंधित पोस्ट की मंजूरी मिल गई हो। रेलवे बोर्ड के अधिकारी अधिकतम पांच साल तक नौकरी कर सकेंगे। नीति में कहा गया है कि एक शहर में कोई अधिकारी अधिकतम 15 साल तक रह सकेंगे। उदाहरण के लिए दिल्ली में रेलवे बोर्ड, उत्तर रेलवे मुख्यालय, डिविजन सहित कई रेलवे के पीएसयू हैं। रेलवे अधिकारी दिल्लीआने के बाद यहां दो से तीन दशक तक जम जाते हैं कमोबेश यही स्थिति मुबंई, कोलकाता, चेन्नई आदि शहरों की है, लेकिन नई नीति में अब दशकों से जमें अधिकारियों को दूसरे शहर का रास्ता दिखाया जाएगा।