भुवनेश्वर।
पं. विजयशंकर मेहता ने
फ्रेंड्स आफ ट्राइबल सोसाइटी और श्रीहरि सत्संग समिति भुवनेश्वर द्वारा आयोजित तीन दिवसीय श्री हनुमान त्रिवेणी कथा में श्री हनुमान चालीसा में उल्लेखित जीवन प्रबंधन सूत्रों की चर्चा की।
कथा से पूर्व पण्डित विजयशंकर मेहता ने स्थानीय तेरापंथ भवन में श्री हनुमान चालीसा में वर्णित ध्यान योग का अभ्यास कराया जिसमें सैकड़ों हनुमान भक्तों ने हिस्सा लिया। स्वागत मनसुख सेठिया, संयोजक ने किया।
इस अवसर पर सहयोग देनेवाले समस्त भामाशाहों और उनकी पत्नियों को कथाव्यास जी ने मंच पर बुलाकर उन्हें अपना दिव्य आशीर्वाद प्रदान किया। लालचंद मोहता ने ओडिशा एफटीएस और श्रीहरि सत्संग समिति की विस्तृत जानकारी दी।
कथावाचक विजयशंकर मेहता ने हनुमान चालीसा को हनुमान के यशगान की अमर कीर्ति बताई जिसमें भक्ति स्वभाव होनी चाहिए,आदत नहीं। उन्होंने जीवन में मां के प्रति आजीवन कृतज्ञ रहने का संदेश दिया। उन्होंने मान की सेवा का संदेश दिया। उन्होंने आज के युग को ज्ञानियों का युग बताया जिसमें प्रत्येक व्यक्ति को विद्यावान,गुनी और चतुर होने को कहा। होंठों पर मुस्कान और हाथ से ताली बजाने का निवेदन किया।घर को रिश्वतों से सजाने को कहा। उन्होंने ने बताया कि हम हनुमान जी से यह सीखें कि आपको कब छोटा और कब बड़ा होना चाहिए। जीवन में प्रशंसा से बचने का उन्होंने निवेदन किया। साथ ही साथ निंदा रस से आजीवन बचने को कहा। आजकल सामान्य का कोई महत्त्व नहीं है विशिष्ट का महत्त्व है। उन्होंने दवाब,तनाव और नकारात्मक सोच से बचने की सलाह दी। उन्होंने परिवार में अमन चैन और शांति बनाए रखने का निवेदन किया। आज की कथा को विराम देने से पूर्व वे सभी को श्री हनुमान चालीसा ध्यान योग कराए और उसे आजीवन करने को कहा।