फ्रांस, जर्मनी, इटली और चीन समेत छह देशों की 12 प्रतिष्ठित कंपनियां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रॉजेक्ट डायमंड क्वॉड्रिलैटरल बुलट ट्रेन प्रॉजेक्ट का ठेका लेने की दौड़ में शामिल हो गई हैं।
रेलवे मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'डायमंड क्वॉड्रिलैटरल हाई स्पीड रेल नेटवर्क प्रॉजेक्ट के तीन कॉरिडोर का संभाव्यता अध्ययन करने के लिए टेंडर में 12 इंटरनैशनल कंपनियां भाग ले रही हैं। दिल्ली एवं मुंबई, मुंबई एवं चेन्नै और नई दिल्ली-कोलकाता हाई स्पीड रेल कॉरिडोर्स के लिए संभाव्यता अध्ययन करने के लिए निविदाएं मंगाई जा रही हैं। सर्वे के इस ठेके को हासिल करने के लिए सियुआन समेत चीन की चार कंपनियां, जर्मनी की डीबी इंटरनैशनल, फ्रांस की सिस्टारा, स्पेन की सेनर और इटली की इटालसर के अलावा बेल्जियम की एक कंपनी ने निविदा में भाग लिया है।
अधिकारी ने बताया कि एक कंपनी को डायमंड क्वॉड्रिलैटरल प्रॉजेक्ट के सिर्फ एक ही कॉरिडोर का संभाव्यता अध्ययन ही करने दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस सप्ताह निविदा खोली गई और जुलाई तक चार महीनों के अंदर विजेताओं के बारे में निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि तीनों कॉरिडोर्स की अनुमति लागत करीब 30 करोड़ रुपये है।
2 लाख करोड़ के डायमंड क्वॉड्रिलैटरल प्रॉजेक्ट का लक्ष्य हाई स्पीड ट्रेनें चलाकर महानगरों के बीच यात्रा में लगने वाले समय को कम करना है। हाई स्पीड ट्रेन 300 किमी. प्रति घंटा की चाल से चलेगी। मौजूदा समय में सुपरफास्ट राजधानी एक्सप्रेस दिल्ली से मुंबई के बीच करीब 16 घंटे में दूरी तय करती है। हाई स्पीड ट्रेन के चालू होने का बाद यात्रा का समय करीब आधा रह जाएगा। इसी प्रकार दिल्ली एवं अन्य महानगरों के बीच लगने वाले समय में भी बुलट ट्रेन के चालू होने के बाद कमी आ जाएगी।
मौजूदा समय में डायमंड क्वॉड्रिलैटरल प्रॉजेक्ट के भाग के रूप में दिल्ली-चेन्नै रूट का संभाव्यता अध्ययन चीन कर रहा है।
साभार-इकॉनामिक टाईम्स से