मुंबई। श्री आलोक कंसल, महाप्रबंधक मध्य और पश्चिम रेलवे, श्री अरुण कुमार, महानिदेशक, आरपीएफ, रेलवे बोर्ड, नई दिल्ली की उपस्थिति में रेलवे की मानसून तैयारियों के बारे में आज तलाव पाली लेक, ठाणे में मध्य और पश्चिम रेलवे के मुंबई उपनगरीय खंडों पर की गई प्री-मानसून कार्रवाई के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि कुर्ला-विद्याविहार, सैंडहर्स्ट रोड और मस्जिद, बांद्रा, वसई-नालासोपारा में माइक्रो-टनलिंग विधि द्वारा 7 अतिरिक्त जलमार्ग; वडाला-रावली, पनवेल-कर्जत, बदलापुर- वांगणी और कुर्ला-तिलकनगर में आरसीसी बॉक्स इंसर्शन के माध्यम से 4 अतिरिक्त जलमार्ग पिछले मानसून के बाढ़ के स्थानों के लिए अनुकूलित समाधान जैसे पटरियों के साथ नालियों का निर्माण, पानी के प्रवेश को रोकने के लिए दीवारों को बनाए रखना, लगभग 4 लाख घन मीटर मलवा (मक) हटाने आदि कार्य किये। उन्होंने कहा कि इन बुनियादी ढांचे के अपग्रेडेशन ने पिछले कुछ वर्षों में उपनगरीय परिचालन में सुधार किया है। उन्होंने कहां की, हाल ही में माननीय रेल मंत्री श्री पीयूष गोयल जी ने मानसून की तैयारियों की समीक्षा की और एक समग्र और दीर्घकालिक योजना बनाने पर जोर दिया। उन्होंने मानसून की बारिश से निपटने में रेलवे और स्थानीय नगर निगमों की तकनीकी और सिविल कार्य पहल की दक्षता का अध्ययन करने के लिए रेलवे को आईआईटी मुंबई जैसे संस्थानों के साथ साझेदारी करने का भी सुझाव दिया।
आरपीएफ के डीजी श्री अरुण कुमार ने संबोधित करते हुए कहा कि उपनगरीय रेलवे मुंबई की जीवन रेखा है। ऐसी आपात स्थिति में हमारा पहला काम यह सुनिश्चित करना है कि यात्री घबरायें नहीं । माननीय रेल मंत्री श्री पीयूष गोयल जी ने मानसून की तैयारियों की समीक्षा करते हुए मुंबई में रेलवे के बाढ़ राहत दल से प्रभावित हुए, यह बल कर्मियों के साथ नावों का उपयोग करता है। ऐसी आपात स्थितियों के लिए टीमों को एनडीआरएफ द्वारा प्रशिक्षित किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि रेलवे की टीमें ऐसी किसी भी आपात घटना के लिए सदैव तैयार रहतीं हैं और वे मदद के लिए सबसे पहले पहुंचती हैं और बचाव और राहत कार्य करती हैं।
श्री आलोक कंसल और श्री अरुण कुमार ने रेलवे बाढ़ राहत दल द्वारा नाव और आउटबोर्ड मोटर के उपयोग के लिए एसओपी विमाेचन किया है। उन्होंने तलाव पाली लेक में आरएफआरटी द्वारा आयोजित मॉक ड्रिल का निरीक्षण किया जिसमें जलभराव वाले इलाके में रुकी हुई एक ट्रेन में यात्रियों के बचाव और राहत का प्रदर्शन किया गया था। उन्होंने आरएफआरटी कर्मियों के साथ भी बातचीत की और उनका उत्साहवर्धन किया।
इस अवसर पर श्री अजय सादानी, प्रधान मुख्य सुरक्षा आयुक्त, मध्य रेल, श्री पी सी सिन्हा, प्रधान मुख्य सुरक्षा आयुक्त, पश्चिम रेलवे, श्री शलभ गोयल, मंडल रेल प्रबंधक, मुंबई मंडल और अन्य अधिकारी उपस्थित थे। इस मॉक ड्रिल के दौरान सभी कोविड प्रोटोकॉल का पालन किया गया।
पृष्ठभूमि
रेलवे सुरक्षा बल ने मोटर चालित नावों और प्रशिक्षित मेनपावर से लैस मुंबई मंडल पर एक रेलवे बाढ़ राहत दल (आरएफआरटी) का गठन किया है। इसका उद्देश्य रेलवे क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति में राहत पहुंचाना है। जहां भी संभव हो आपदाओं को रोकना, उनके प्रभाव को कम करना और प्रभावी, यथार्थवादी और समन्वित योजना तैयार करके परिणामों का प्रभावी ढंग से सामना करना और समग्र प्रभावशीलता में वृद्धि करना है।
इस प्रकार, सभी सामान और सुरक्षा उपकरणों के साथ 5 मोटरयुक्त इन्फ्लेटेबल नाव खरीदे गए हैं और विभिन्न संवेदनशील स्थानों पर रखे गए हैं। इन नौकाओं को तत्काल आवश्यकता पड़ने पर किसी भी स्थान पर ले जाया जा सकता है। प्रत्येक एफआरटी टीम में एक सब-इंस्पेक्टर/सहायक सब-इंस्पेक्टर और 6 अन्य कर्मचारी होते हैं। एनडीआरएफ द्वारा अब तक 15 आरपीएफ स्टाफ (5 महिलाएं और 10 पुरुष) को प्रशिक्षित किया जा चुका है। अधिक से अधिक आरपीएफ कर्मियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
मानसून के दौरान, यानी हर साल जून से अक्टूबर तक यह टीम हमेशा तैयार रहेगी। टीमें लगातार बारिश की निगरानी करेंगी, खासकर हाई टाइड के समय में, या जब मौसम विभाग द्वारा भारी बारिश की भविष्यवाणी की जाती है और उस स्थान पर जहां से बाढ़ की सूचना मिलती है वहां पहुँच इस तथ्य के बावजूद कि ट्रेन रुकी हुई है या नहीं। टीम नागरिक प्रशासन, जीआरपी, आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और नियंत्रण कक्ष में अपने समकक्षों के साथ संपर्क बनाए रखेगी। इसके अलावा, आरपीएफ ने रेलवे बाढ़ राहत टीम के लिए एक विस्तृत एसओपी तैयार किया है।
ब्लू अलर्ट – जब जल स्तर रेल स्तर से चार इंच ऊपर पहुंच जाता है, तो आवाजाही शुरू रहता है।
ऑरेंज अलर्ट – जब जल स्तर पटरी से पांच इंच ऊपर पहुंच जाता है, तो टीम स्थान पर चली जाती है।
रेड अलर्ट – जब किसी स्थान पर ट्रेन रुकती है तो उस स्थान पर राहत कार्य शुरू होता है।