उस्ताद अल्ला रक्खा खान के साहबज़ादे उस्ताद ज़ाकिर हुसैन के भाई उस्ताद तौफीक कुरैशी जी आज कल अमेरिका के दौरे पर हैं इसी दौरान टलसा में शो करने से पहले मुझे तौफीक जी से बात करने का मौका मिला प्रस्तुत है बात चीत के मुख्य अंश
आपने अपने अब्बा जी से तबला सीखना शुरू किया था फिर आप पर काशन वाद्य यंत्रों की तरफ कैसे आकर्षित हो गए?
अमेरिका के एक ड्रमर थे ,जिनका नाम था बडी रिच (buddy rich ) तो उनके साथ अब्बा जी ने एक अल्बम निकाला था उसका नाम था 'रिच अल्ला रक्खा ' मै उस समय ६-७ साल का था इस अल्बम को दिन मेँ ७-८ बार सुनता था क्यों कि टेबल मेँ मुझे रूचि थी पर ये दूसरा साज़ क्या बज रहा है इसकी बहुत जिज्ञासा थी। मेँ डब्बा बाटली ले कर झाड़ू की लकड़ियों से , उस ड्राम जैसा बजाने की कोशिश करता था l बचपन मेँ जब भी आर डी बर्मन साहब का गाना आता था तो उसके साथ बजाता था lधीरे धीरे जब मुझे समझ मेँ आने लगा तो मैने सोचा की मै एक ही परकाशन वाद्य यंत्र तक खुद को सिमित नहीं रखूँगा सारे वाद्य यंत्र बजाऊंगा परकाशन की कोई सीमा नहीं है l डब्बा बाटली अपनी आवाज को, साँस को किसी को हम परकाशन बना कर उपयोग कर सकते हैं l
आप ने तबला के सिलेबल्स को जेम्बे पर बजाया है ये विचार आपको कैसे आया ?
जो विद्या मैने अपने पिताजी से सीखी है वो सारी मै जेम्बे पर उतरने की कोशिश कर रहा हूँ l अभी भी डिकोडिंग चल रही है पिछले १३-१४ सालों से मै यही कोशिश कर रहा हूँ अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है l जब मैने तबला बजाना छोड़ा उस समय मैने अपने अब्बाजी को कहा की मै ये शास्त्रीय संगीत नहीं करना चाहता हूँ lमुझे फिल्म संगीत करना हैl मुझे फियूजन संगीत में जाना है l उस समय उन्होंने मुझे यही कहा की तुझे जो करना है वो कर ले बेटा, पर उसमे मेरी छवि नजर आनी चाहिए जो तुमने मुझसे सीखा है वो नजर आना चाहिएl ये १९८८ की बात है, उस समय से मेरी खोज शुरू हो गयी की मेरे पिता जी की जो विद्या है वो किसी एक साज पर निकालनी चाहिए l करीब १५-१६ साल पहले मेरे हाथ में ये जेम्बे आया तो मैने देखा की जो विद्या मैने मेरे पिता जी से सीखी थी कायदे, चक्रदा, टुकड़े ये सब कुछ हद तक मै इस वाद्य यंत्र पर उतार सकता हूँ l
मैने जेम्बे की एक भाषा बनायीं जैसे तबले पर "धा ' होता है तो जेम्बे पर होता है 'धे' तबले में ती होता है तो जेम्बे मेँ होता है का तबले का धुन जेम्बे का तुन हो जाता है नादि न होजाता है l पहले जब मै अपने विद्यार्थियों को सिखाता था तो आज सिखाओ वो कल भूल जाते थे l तो मुझे लगा हमने जो सीखा था उसकी एक भाषा थी हम लिख सकते थे फिर जब मैने ये भाषा खोजी तो सीखना आसान हो गया अब मेरे विद्यार्थी भी लिख सकते थे और याद रख सकते थे । जब तबले के सिलेबल्स को जेम्बे पर बजता हूँ तो मुझे ये ध्यान रखना है की बोलों की सुंदरता ख़राब न हो जाये। मै तबले की भाषा नहीं बजा रहा हूँ तबले की विद्या बजा रहा हूँ l
आपने जिंगल में संगीत दिया है उसके बारे में कुछ बताइये l
सबसे पहले मैने ओर्केस्ट्रा में काम किया था फिर छोटी छोटी रिकॉर्डिंग करते करते जो मेरी पहली बड़ी रिकॉर्डिंग हुई वो फिल्म की हुई l इसी समय मुझे मौका मिला की मै जिंगल्स करूँ l सबसे पहला जिंगल जो मैने किया था वो था माणिक चन्द्र पान मसाला 'ऊँचे लोग ऊँची पसंद 'उसके बाद बबूल टूथपेस्ट ,का जिंगल बनाया l मैने इंडियन रेलवे के लिए एक जिंगल बनाया था जिसको कानन फैस्टिवल में गोल्ड मिला ,अभी मैने नाइकी शूज के लिए जिंगल किया कान्स फैस्टिवल में कास्य मिला और २०१२ में लन्दन फिल्म फैस्टिवल में गोल्ड मिला l
आपको अपनी पहली फिल्म कैसे मिली ?
हुआ क्या की उन दिनों मै ऑक्टोपैड बजता था एक फिल्म थी दीवाना मुझसा नहीं जिसके संगीत निर्देशक आनंद मिलिंद थे l उनके साथ जो बजाने वाला था वो दो महीनों के लिए भारत से बाहर चला गया था l उन दिनों मेरे पास ज्यादा काम नहीं था, मै मैसेंजर को रोज फ़ोन करता था कि मुझे काम दो। एक दिन उसका फ़ोन आया की कल महबूब स्टूडियो में रिकॉर्डिग है तुम चले जाना मै गया तो देखता हूँ की आनंद मिलिंद की रिकॉर्डिंग थी मैने आपने काम अच्छे से किया उनको पसंद आया फिर तो दो महीनो के लिए मुझे रोज काम मिला फिर वहां से काम करते करते नाम थोड़ा फैला तो फिर जतिन ललित, नदीम श्रवण, राजेश रौशन, अनु मलिक के साथ काम किया l फिर लोग मुझे खास काम के लिए ही बुलाने लगे उसका कारण ये था की शंकर एहसान लॉय ने जब काम शुरू किया तो उनके साथ मैने बहुत काम किया दिल चाहता है में मैने काम किया जो सभी को बहुत पसंद आया । उसके बाद तन्हाई, मिशन कश्मीर का भूमरो, धूम टू में ऋतिक की एंट्री का सारा रिदम मैने ही दिया, मेरे ढोलना गाने का सारा शास्त्रीय संगीत वाला भाग मैने दिया ।अभी मैने भाग मिल्खा भाग में हवन करेंगे का रिदम दिया। इस गाने में सब कुछ मैने अपनी आवाज से किया है एबीसीडी में भी मैने रिदम दिया है l
आपका एक बैंड था सूर्या उसके बारे में बताइये l
जी ये बैंड मैने कॉलेज में शुरू किया था बाद में इसमें मेरे साथ शंकर महादेवन, सलीम, श्रीधर पार्थी सारथी, कभी कभी मेहमान कलाकार के रूप में उस्ताद सुल्तान खान साहब आते थे l बहुत सालों तक वो बैंड चला फिर सभी आपने आपने कामों में व्यस्त हो गए, तो बैंड बंद हो गया l पर अभी मैने उसको फिर से शुरू किया है उसका नाम सूर्या द न्यू सन इसमें सितार, सरोद की बोर्ड बजाने वाले है मै हूँ और मेरा बेटा है l
यदि आपको धन्यवाद करना हो तो किस बात का करेंगे ?
मै बहुत खुशनसीब हूँ की उपरवाले ने मुझे ऐसे घर में पैदा किया जिसमे उस्ताद अल्ला रक्खा खान थे और उस्ताद ज़ाकिर हुसैन साहब हैं l यदि मेरे पिताजी की विद्या मुझे नहीं मिलती तो मै कुछ नहीं कर पाता और मेरी पत्नी गीतिका उसका साथ न होता तो मै कुछ नहीं कर पाता l मेरा सारा काम करती है जैसे शो करने वालों से बात, पैसे का सारा काम वो ही करती है ये सब काम मुझे समझ में नहीं आता है उसी के कारण मै केवल संगीत पर ध्यान दे सकता हूँ l
रीधुन एकेडमी ऑफ़ वर्ल्ड रिदम के बारे में कुछ बताइये l
हम इसको रॉर कहते हैं l यहाँ लोग मुझसे जेम्बे सीखते हैं विधु विनायक राव जी से मैने साऊथ का संगीत सीखा है ,तो वो भी सिखाता हूँ lमेरे विद्यार्थी आज बहुत सी अच्छी जगह पर लगे हैं l
जेम्बे अलग अलग आकर आकार( साइज )में आता है तो आप कैसे निर्धारित करते हैं की कौन सा आपके लिए उपयुक्त है ?
अगर हमको सोलो बजाना है तो १२ इंच का जेम्बे अच्छा रहता है इसकी टीयूनिंग 'सी' शाप से 'डी ' शाप तक रहती है l ये बजाने में सबसे अच्छा रहता है l इसमें बेस भी मिलता है और हाइस भी मिलता है l इससे छोटा १० इंच का आता है जिसकी टीयूनिंग 'डी 'शाप से 'इ 'शाप तक होती है इसमें केवल हाइस मिलता है ,एक १४ इंच का बड़ा आता है, इसमें केवल बेस मिलता है, जिसकी टीयूनिंग 'सी' शाप से 'बी 'शाप तक रहती है l 'रीमो' जो की अमेरिकन कम्पनी है, उसका जेम्बे बहुत अच्छा होता है l मै इसी कम्पनी का जेम्बे बजाता हूँ l उनका एक हेड होता है 'मंडो बोफा हेड ' ये मेरा पसंदीदा है क्योंकि बजाने पर उसकी धुन बहुत अच्छी निकलती है l
आप सा रे ग म पा (मराठी ) के जज भी रहे हैं क्या आपको लगता है की बच्चों पर बहुत दबाव है आगे बढ़ने के लिए ?
जी मै मानता हूँ की माता पिता बहुत दबाव डालते हैं लेकिन बच्चों को सारी दुनिया जान रही है अतः उनको लगता है की मै और अच्छा करूँ उनका उत्साह भी बढ़ता है l.
आपने एल्बम के बारे में कुछ बताइये l
मेरे तो ३ एल्बम आये हैं १९९२ में एक एल्बम किया था 'कलर्स ऑफ़ राजिस्थान ', २००० में 'रिधुन' किया , २०१२ में मैने ता धा एल्बम किया .l थीम पर आधारित दो एल्ल्बम है एक है 'म्यूज़िक ऑफ़ फारेस्ट 'और दूसरा 'म्यूजिक ऑफ़ मुम्बई ' मेरे तीन लाइव शो के एल्बम है l
रिधुन में आपके अब्बा जी ने आवाज दी है .आपने कहा था की ये उनका आशीर्वाद था आपके लिए …
मै जब रिधुन करने वाला था तो मैने अब्बा जी को बताया तो उन्होंने कहा बताओ क्या बजाना है मैने कहा बजाना नहीं है आपको गाना है तो उन्होंने कहा "अरे मै कैसे गा सकता हूँ मै तो तबला बजाने वाला हूँ l तब मैने कहा कि जब हम डाइनिंग टेबल (खाने की मेज )पर बैठते थे तो आप पुरानी पुरानी चीजें हमें सुनाते थे मुझे उनमे से एक चीजे चाहिए l 'ताल सुरंड के वेदन को ध्यान 'ये अब्बा जी बहुत गाते थे मैने कहा यही चाहिए l जब रिकॉर्डिंग होनी थी तो अब्बा जी की तबियत थोड़ी ख़राब थी मैने कहा कि रिकॉर्डिंग आगे करूँ क्या इन्होने कहा नहीं मै आता हूँ l हमने २६ या २७ जनवरी २००० को रिकॉर्डिंग की और फरवरी ३ को उनका इंतकाल हो गया .l तो मुझे लगता है की उनकी आखिरी दुआ मुझको मिली है l
मुम्बई इस्टैम्प के बारे में कुछ बताइये l
आज से १० साल पहले मैने लन्दन में एक बैंड को सुना था जिसका नाम था 'स्टोम्प' l उसके एक साल बाद मैने उनको न्यूयॉर्क में सुना तो मुझे बहुत अच्छा लगा l मैने सोचा ऐसा कुछ भारत में शुरू किया जाय, तो इसकी शुरुआत हो गयी l यदि आप मुम्बई इस्टैम्प के वीडिओ देखें तो उसमे हमने कुछ भी ख़रीदा नहीं है, वो सब कचरे के डिब्बों से उठाया हुआ हैl अभी सबको मालूम है मेरे बिल्डिंग में लोग कोई डिब्बा फेकने से पहले मुझसे पूछते हैं तौफीक आपको चाहिए क्या ?मुम्बई इस्टैम्प ये बहुत प्रसिद्ध हो गया धूम- २ में ऋतिक की जो एंट्री है उसमे सारा यही बजाया है मैने और प्रीतम का एक गाना है जोर का झटका हाय जोरो से लगा उसमे भी पूरा ट्रैश रिदम बजाया है मैने भूलभुलैया का गाना है लेटस रॉक माय सोनिये उसमे भी ट्रैश बजाया है बॉलीवुड में और साउथ में भी ट्रैश रिदम बहुत बजाया जाता है l
अमेरिका में होने वाले दौरे का नाम है' कलर्स ऑफ़ रिदम ' ऐसा क्यों?
मुझे रिदम में रंग दिखते हैं जैसे जब मै आवाज से बजाता हूँ तो उसमे मुझे एक रंग दिखता है वो है सफेद ,जब हम तीनो मिल कर बजाते हैं तो मुझे लाल रंग दिखाई देता है जब मिलिंद को सुनता हूँ क्योंकी वो जल तरंग बजाते हैं तो मुझे नीला रंग दिखता है जब मै और रामदास जी मिल कर बजाते हैं तो मुझे मिट्टी की खुशबु आती है तो वहां मुझे भूरा रंग दिखता है ,रामदास जी बहुत अच्छे तबला बजाने वाले हैं ,मिलिंद जी जलतरंग बजाते हैं और मै जैम्बे तो हम सभी मिल कर टलसा (अमेरिका का एक शहर ) में रंग बिखरने वाले हैं l