प्रियंका चोपड़ा : नीरव मोदी ब्रांड का विज्ञापन करती हैं। इस समय चल रहे प्रिंट और आउट-ऑफ-होम (ओओएच) अभियान का हिस्सा हैं। उन्हें अपनी अंतरराष्ट्रीय अपील (अमेरिकी टीवी सीरीज क्वांटिको और कुछ हॉलीवुड फिल्मों का हिस्सा रह चुकी हैं) की वजह से ब्रांड से जोड़ा गया था।
सिद्धार्थ मल्होत्रा : मॉडल से अभिनेता बने सिद्धार्थ नीरव मोदी ब्रांड के लिए प्रियंका चोपड़ा के साथ बहुत से हॉर्डिंग और प्रिंट विज्ञापनों में हैं।
कंगना रनौत : वह नक्षत्र ब्रांड का चेहरा हैं, जो मेहुल चोकसी के स्वामित्व वाले गीतांजलि समूह का एक ब्रांड है। पहले नक्षत्र का विज्ञापन ऐश्वर्या राय और कटरीना कैफ जैसी जानी-मानी फिल्म अभिनेत्रियां भी कर चुकी हैं।
लारा दत्ता और महेश भूपति : उन्होंने गीतांजलि समूह के संगिनी ब्रांड का प्रचार किया था, लेकिन भुगतान नहीं मिलने के कारण दिसंबर 2017 में आभूषण निर्माता कंपनी के खिलाफ इनसॉल्वेंसी याचिका दायर की थी।
कृति सेनन : वह गिली का विज्ञापन करती हैं। यह पहला ज्वैलरी ब्रांड है, जिसे गीतांजलि समूह ने 1994 में पेश किया था।
विराट कोहली : वह पंजाब नैशनल बैंक के ब्रांड एबेस्डर हैं और पिछले कुछ वर्षों से बैंक के विज्ञापन अभियानों का हिस्सा हैं।
हीरे, बैंक घोटाला, चमकते सितारे, शातिर कारोबारी और अपराधियों को पकड़ने के लिए दुनियाभर में खोजबीन। 114 अरब रुपये के पंजाब नैशनल बैंक-नीरव मोदी घोटाले में वे सभी मसाले हैं, जो एक बॉलीवुड फिल्म बनाने के लिए जरूरी होते हैं। अब बड़ा सवाल है कि क्या प्रचारक उन ब्रांडों के घोटालों, असफलताओं और विवादों के लिए जिम्मेदार होने चाहिए, जिनका वे प्रचार करते हैं?
फ्यूचर ब्रांड के एमडी और सीईओ संतोष देसाई ने कहा, ‘मुझे यह बहस बेतुकी नजर आती है। ऐसी चीजों के बारे में किसी ब्रांड एंबेसडर को कैसे पता चलेगा? सवालों के घेरे में आए बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों को इसके बारे में नहीं पता था। जांच एजेंंसियों को कोई जानकारी नहीं थी। ऐसे में किसी ब्रांड प्रचारक को इसका पता कैस चलेगा? यह कहने की जरूरत नहीं है कि प्रचारक को पूरी जांच-पड़ताल नहीं करनी चाहिए। लेकिन मैं इस बहस को पूरी तरह अनपयुक्त मानता हूं।’
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, जब ऐसे सवाल उठे हैं। वर्ष 2015 में नेस्ले-मैगी मामले में अमिताभ बच्चन और माधुरी दीक्षित सवालों के घेरे में आ गए थे। इसी तरह 2016 में एमएस धोनी रियल एस्टेट समूह आम्रपाली के साथ जुड़ाव के लिए सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा झेलना पड़ा था। बीते वर्षों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं। इससे सरकार को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम को मजबूत करने तरीकों पर विचार करने के लिए आगे आना पड़ा है। अब पीएनबी घोटाले से नई चिंताएं पैदा होंगी। राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलेगा, जिससे प्रचारक और ब्रांड एक-दूसरे से करार करने में ज्यादा सतर्क हो जाएंगे।
इस घोटाले के दूरगामी असर पड़ेंगे। दरअसल भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली पीएनबी के ब्रांड एंबेस्डर हैं। वहीं प्रियंका चोपड़ा और सिद्धार्थ मल्होत्रा नीरव मोदी के ब्रांडों के चेहरे हैं, जबकि कंगना रनौत, कृति सेनन और अन्य कई सितारे मेहुल चोकसी के स्वामित्व वाले गीतांजलि समूह के ब्रांडों का प्रचार करते हैं। (चोकसी नीरव मोदी के मामा हैं और इस समय भगोड़े हैं।) निस्संदेह कोहली सबसे मशहूर हैं और पीएनबी ने उन्हें टीवी और प्रिंट विज्ञापन अभियानों में खूब इस्तेमाल किया है। कोहली ने कहा है कि वह उन उत्पादों या सेवाओं को प्रचार के लिए चुनते हैं, जिनका उन्होंने खुद अनुभव लिया है या जिनमें उनका भरोसा है।
कोहली ने कहा कि उन्होंने पीएनबी का विज्ञापन करने का फैसला इसलिए लिया है क्योंकि वह 16 साल की उम्र से उनके साथ बैंकिंग कर रहे हैं। बेशक कोहली या अन्य कोई एंबेसडर पहले ही बड़े बैंक घोटालों का पता नहीं लगा सकता, लेकिन ब्रांड विराट आलोचनाओं से नहीं बचेगा। ऐसा ही मामला प्रियंका का है, जो अंतरराष्ट्रीय अभिनेत्री की बनाने की कोशिश कर रही हैं। टीआरए के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एन चंद्रमौलि ने कहा, ‘पहले ऐसी कई घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें ब्रांड एंबेसडर को सावधान रहना चाहिए। ऐसा ही मामला धोनी-आम्रपाली मामले का है। पीएनबी मामला इस श्रेणी में नहीं आता है। किसी भी ब्रांड एंबेसडर को इसका पता नहीं लगा सकता था। सार्वजनिक शख्सियत होने का नुकसान यह है कि वह आलोचनाओं का शिकार हो जाता/जाती है।’
सितारों के ब्रांड प्रबंधकों का कहना है कि वे संभावित जोखिम को लेकर सतर्क हैं। एक मनोरंजन एजेंसी केडब्ल्यूएएन के संस्थापक अनिर्वाण दास ब्लाह कहते हैं कि सितारे और उनकी सहायक टीम ज्यादा सतर्क होती जा रही हैं। सूचना और तकनीक तक पहुंच होने से अब अनुबंध बहुत जांच-परखकर किए जा रहे हैं। वह कहते हैं कि प्रचार कारोबार को पेशेवर बनाने का प्रयास किया जा रहा है। प्रबंधन टीमें किसी ब्रांड की यात्रा के हर पहलू पर नजर रखती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे विवादों से ब्रांड एंबेस्डर रियल एस्टेट की तरह आभूषण श्रेणी से जुड़ने में और ज्यादा सतर्क हो जाएंगे।
साभार-http://hindi.business-standard.com/ से