कलाकार अपनी कला के द्वारा सत्य को उद्घाटित करता है। रचनाकार शब्दों के सहारे अपने भावों और विचारों का मूर्तन करता है। इस मूर्तन के दौरान वह जागतिक समस्याओं से टकराता है, मुठभेड़ करता है ताकि दुनिया में मानव मूल्यों का सृजन कर सके। जीवन को जीने के लायक बना सके।
जनाब हलीम आईना के कविता संग्रह ‘आईना बोलता है!’की कविताएँ सच का आईना दिखाती हुई जीने का सलीका सिखाती हैं। हास्य-व्यंग्य से लबरेज हलीम आईना की कविताएँ पाठक या श्रोता को अन्दर तक उद्धेलित कर देती हैं।आदमी के दिल पर करारी चोट करते हुए उन्हें सच का आईना दिखाकर जीवन को जीने लायक बनाने की सफल कोशिश करती हैं।
हास्य-व्यंग्य के माध्यम से कवि हलीम आईना को सामाजिक विरोधाभासों, विद्रूपताओं, टूटन-छूटन और चारित्रिक दोहरेपन को उकेरने में महारत हासिल है।इस विशिष्टताओं की बदौलत आईना ने हिंदी व्यंग्य कविता को समृद्ध किया है तथा साहित्य की दुनिया में अपना अलग मुकाम बनाया है।
इस संग्रह से पहले भी उनके ‘हँसो भी, हँसोओ भी’ तथा हँसो,मत हँसो’ हास्य- व्यंग्य कविता – संग्रह साहित्य की दुनिया में ख़ूब चर्चित रहे हैं। ‘आईना बोलता है!’की कविताओं को पढ़ते हुए हर कविता में एक चित्र हमारी आँखों के सामने थिरकने लगता है।उनकी कविताओं की गूँज हमें झकझोरती हैं,जागृत करती हैं। इसका अहसास इसकी हर एक कविताओं को पढ़ते हुए हो जाता है।
आप साहित्य लेखन के साथ -साथ कवि सम्मेलन के मंचों पर भी अपने अलग तेवर के साथ कविताएँ पेश करते हैं जो श्रोताओं के दिलों में सीधी उतर जाती हैं । इनके हाव -भाव तथा कहने का लहजा जन-जन को भाव विभोर कर देता है। बहुमुखी प्रतिभा के धनी हलीम आईना का मंच संचालन भी कार्यक्रमों को ऊँचाईयाँ प्रदान करता है।वे अच्छे मंच संचालक भी हैं।
‘आईना बोलता है!’काव्य संग्रह के लिए भाई हलीम आईना बधाई के पात्र हैं,उन्होंने समाज को आईना दिखाते हुए अपने प्रभावी व्यक्तित्व का परिचय दिया है।हलीम आईना ने आधुनिकता के नाम पर अज्ञान की अँधेरी गलियों में भटकते लोगों को रोशनी का चिराग जलाकर आम -जन का मार्गदर्शन किया है।यह पुस्तक नैतिक मूल्यों का उत्थान करने, नव पीढ़ी को सुसँस्कृत करने…में अपना सार्थक सहयोग देगी ऐसा मेरा दृढ़ विश्वास है। मैं भाई हलीम आईना के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए चाहता हूँ कि वे मानवीय संवेदना की प्रतिमूर्ति बन कर, अपनी रचनात्मक शक्ति के साथ मानवीय चेतना को स्पर्श करने वाली कविताएँ लिखते रहें तथा इसी प्रकार अपनी लेखनी से समाज को आईना दिखाते रहें।
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अब्दुल समद राही,
प्रधान संपादक शबनम ज्योति,
अध्यक्ष प्रबंध निदेशक शबनम साहित्य समिति,
सोजत सिटी, राजस्थान।
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