खाद्य सामग्रियों में हो रही जहरीली मिलावट भारत के लिए एक गंभीर समस्या है। हाल में सेंटर फॉर साइंस एंड इनवायरनमेंट में हुए एक शोध के मुताबिक भारतीय बाजार में पाये जाने वाले ज्यादातर खाने की चीजों में जीएम (जेनेटिकली मोडीफाइड) तत्व पाये गये है। चिंता को बढ़ाने वाली बात ये है कि सेहत के लिए खतरनाक जीएम तत्व बच्चों को खिलाये जाने वाली सामग्रियों में भी पाये गये हैं। अलग-अलग दुकानों से अनियमित रुप से चुने गये 65 में से 21 नमूनों में खतरनाक जीएम तत्व पाये गये है।
सीएसई की प्रयोगशाला में खाने वाले तेल,नवजात शिशुओं का दूध,पैक किया हुआ स्नैक बतौर नमूना लिया गया जिनमें 35 आयातित और 30 घरेलू सामग्री थे। इन सभी की जांच के बात 32% चीजों में जीएम तत्व पाये गये जबकि अचंभित करने वाला परिणाम विदेशओं से आयात हुए सामग्रियों से आया जिनमें 80% सैंपल खाने लायक नहीं थे।
इस जांच से सेहत और पर्यावरण को लेकर गंभीर चिंता जाहिर की गई है क्योंकि भारत में जीएम(जेनेटिकली मोडीफाइड ) खाद्य पदार्थों का उत्पादन, निर्यात और आयात भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसआई) के स्वीकृति के बगैर नही किया जा सकता है। सरकार ने भी कई बार कहा है कि जीएम युक्त चीजों का आयात देश में नहीं किया जा रहा। और घरेलू उत्पादों में अगर जीएम है तो उत्पादक को लेबल में इसकी जानकारी देनी होगी। लेकिन इन नियमों को ताक पर रखकर भारतीय बाजार जीएम युक्त खाने की चीजों से पटी पड़ी है। जो उपभक्ताओं के साथ ना सिर्फ धोखा है बल्कि हजारों- लाखों लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ है।
आयात किए गये खाद्द पदार्थों में ज्यादतर चीजें नीदरलैंड, कनाडा, थाईलैंड,अमेरिका और यूएई की पाई गई है। भारतीय कानून के अनुसार भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसआई),5% तक जीएम तत्व की इजाजत देता है और इसकी जानकारी लेबल पर देना अनिवार्य है।
आइये जानते हैं कि जीएम तत्व क्यों आपके सेहत के लिए खतरनाक है :
क्या है जीएम (जेनेटिकली मोडीफाइड )
पौधों के प्राकृतिक स्वरूप को लेबोरेट्री में जेनेटिक इंजीनियरिंग के जरिए बदल दिया जाता है तो उसे जेनेटिकली मॉडिफाइड क्रॉप (जीएम) कहते हैं। इस प्रक्रिया में उस क्रॉप के जीनोम को लैब में दोबारा ऑर्गनाइज किया जाता है। वैज्ञानिकों ने कई तरह के जीन तैयार किए हैं। मसलन फसल के कीड़े को मारने वाला, बाढ़, सूखे और पाले से पौधों को बचाने वाला आदि।
जीएम का ही एक हिस्सा है बीटी (बैसिलस थुरिनजिनेसिस)। यह एक तरह का बैक्टीरिया है जो एक टॉक्सिन पैदा करता है, फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले बैक्टीरिया को मारता है। यही बैक्टेरिया खाने की चीज के जरिए हमारे शरीर में प्रवेश कर जाता है। जो ह्रदय,अमाशय ,आंतो को नुकसान पहंचाता है और छोटे बच्चों के विकास को रोकता है।
हम उम्मीद करते हैं कि इस रिपोर्ट के बाद एफएसएसआई और सरकार हरकत में आयेगी ताकि लोगों के स्वास्थ्य के साथ लापरवाही ना हो और आम लोग भी जीएम की जांच लेबेल में जरुर करेंगे।
साभार- अमर उजाला से