नई दिल्ली। आरटीआई को लेकर मानसिकता बदलने की आवश्यकता बताते हुए आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने कहा कि राजनीतिक दलों को स्वयं से आरटीआई के दायरे में आना चाहिए। गलगली नई दिल्ली में आयोजित केंद्रीय सूचना आयोग के वार्षिक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
नई दिल्ली के डीआरडीओ भवन में केंद्रीय सूचना आयोग द्वारा 11वें आरटीआई वार्षिक सम्मेलन में बतौर वक्ता अनिल गलगली ने संबोधन किया। इस 2 दिवसीय सम्मेलन का उद्धाटन गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने किया। इस मौके पर दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग, प्रधानमंत्री कार्यालय के राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह, मुख्य सूचना आयुक्त आर के माथुर, सूचना आयुक्त बसंत शेठ आदि उपस्थित थे।
रेलवे में आरटीआई विषय पर आयोजित चर्चा सत्र में रेलवे बोर्ड के अतिरिक्त सदस्य शरतचंद्र जेठ, उप रेल प्रबंधक सचिन शुक्ल, उप सचिव आर सुब्रमण्यम और उप रेल प्रबंधक राजेश तिवारी ने संबोधित किया। सूचना आयुक्त बिमल जुल्का ने सत्र की अध्यक्षता की। अनिल गलगली ने आरटीआई को लेकर नौकरशाही और मशीनरी में पनपती मानसिकता को बदलने पर जोर देते हुए कहा कि राजनीतिक दलों को स्वयं से आरटीआई के दायरे में आना चाहिए। राज्य और केंद्र के कानून में सभी तरह की एकरुपता आनी चाहिए। गलगली ने आगे सुझाव दिया कि विभाग के मंत्रियों को तिमाही आरटीआई के आवेदनों के निस्तारण पर समीक्षा करनी चाहिए। ताकि विभाग पर भी दबाव बना रहे। आरटीआई की सफल स्टोरियों में अनिल गलगली ने हेमा मालिनी ने भूखंड लेने से किया इंकार, मध्य रेलवे ने उपनगरीय सेवा में गाड़ियों की बढ़ाई हुई संख्या और मुंबई मनपा ने रिटायर्ड हुए अफसरों को ओएसडी पद से पदमुक्त करने का उदाहरण दिया।