सोमवार (24 जुलाई) को अपने कार्यकाल के आखिरी दिन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्र के नाम अपने विदाई संदेश में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का नाम लेकर भाजपाई को चौंका दिया क्योंकि सोनिया का नाम राष्ट्रपति के लिखित भाषण में नहीं था। हालांकि कि हैरानी की दूसरी बात ये रही कि मुखर्जी ने जहां देश के कई पूर्व नेताओं को याद किया उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का अपने संदेश में जिक्र नहीं किया। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि भारत की आत्मा बहुलवाद व सहिष्णुता में बसती है और हमें अपने जन संवाद को शारीरिक और मौखिक सभी तरह की हिंसा से मुक्त करना होगा। राष्ट्र को संबोधित अपने विदाई संदेश में उन्होंने कहा कि समावेशी समाज का निर्माण विश्वास का एक विषय होना चाहिए। उन्होंने अहिंसा की शक्ति को पुनर्जीवित करने का आह्वान किया।
राष्ट्रपति ने कहा, “मैं आपके साथ कुछ सच्चाइयों को साझा करना चाहूंगा, जिन्हें मैंने इस अवधि के दौरान आत्मसात किया है। भारत की आत्मा, बहुलवाद और सहिष्णुता में बसती है। भारत केवल एक भौगोलिक सत्ता नहीं है। इसमें विचारों, दर्शन, बौद्धिकता, औद्योगिक प्रतिभा, शिल्प, नवान्वेषण और अनुभव का इतिहास शामिल है। सदियों के दौरान, विचारों को आत्मसात करके हमारे समाज का बहुलवाद निर्मित हुआ है। हमें सहिष्णुता से शक्ति प्राप्त होती है। यह शताब्दियों से हमारी सामूहिक चेतना का अंग रही है।” उन्होंने कहा कि संस्कृति, पंथ और भाषा की विविधता ही भारत को विशेष बनाती है।
साभार- इंडियन एक्सप्रेस से